सम्मान – शुभ्रा बैनेर्जी : Moral Stories in Hindi

आज विधि की शादी तय हुई थी।रागिनी अपनी बेटी की शादी तय होने की खुशी में ,एक बड़ी पार्टी देना चाहती थी।आखिर सहेलियों को भी तो पता चले। पार्टी की बात सुनकर विधि ने तपाक से पूछा”पापा को बुलाएंगी ना आप?”तिलमिला उठी थी रागिनी। झिड़कते हुए कहा “पापा,पापा बस पापा।तुझे मुझसे कोई मतलब ही नहीं है।रिश्ते की दौड़-धूप की मैंने।तेरे ससुराल वालों की खातिर दारी की मैंने।अब जब अपने परिचितों को एक छोटी सी पार्टी दे रहीं हूं,तुझे उस मनहूस को बुलाना ही है।”

विधि ने भी साफ शब्दों में कह दिया”पापा हमसे अलग नहीं हुए थे।तुम्हीं उन्हें छोड़कर अपने मायके आ गई थी।मेरे रोने का भी तुम पर कोई असर नहीं पड़ा था मम्मी,घसीटते हुए लेकर आई थी।पापा अगर नहीं आएंगे पार्टी में, पार्टी नहीं होगी।बस।”

रागिनी की बड़ी भाभी ने उसे समझाया”रागिनी क्यों विधि के मन में ननदोई जी के लिए हमेशा जहर भरती हो।पिता हैं वो विधि के।विधि अगर पूरी दुनिया में किसी को चाहती है तो,अपने पिता को।तुम दोनों की गलतफहमी में पिछले बीस साल से पिस रही है वह।यहां वह कभी खुश नहीं रही।अब तो शादी तय हो गई उसकी ,बुलाने दो न अपने पिता को।”

रागिनी को अपनी भाभी की सलाह बिल्कुल पसंद नहीं आई।मुंह बनाकर बोली”मैं जानती हूं भाभी,आपको हमारा यहां रहना कभी पसंद नहीं था।आपने कई बार हमें मिलाने की कोशिश करी है।आप भूल जातीं हैं,हीरा कभी लोहे की अंगूठी में नहीं पहना जा सकता।मुझ जैसी लड़की के लायक ही नहीं थे आपके ननदोई।वो तो मैंने बड़ी मुश्किल से कुछ साल उनके साथ निभाने की कोशिश की,पर वो समय की बर्बादी थी।मैं नहीं चाहती ,कि उस मनहूस का साया मेरी बच्ची पर पड़े।मैं दोनों को मिलने भी नहीं देती,फिर विधि कैसे इतना पक्ष लेती है उनका पता नहीं।”

विधि चुपचाप खड़ी सब सुन रही थी।मंझली मामी ने भी उसे समझाया कि चुप रहे,वरना रागिनी का ब्लड प्रेशर बढ़‌ जाएगा।विधि अपने कमरे में‌ जाकर पापा की फोटो के पास बैठ गई और रोते-रोते कहने लगी”,हम क्यों अलग हो गएं पापा?मुझे तो आप दोनों ही चाहिए थे। कोर्ट से तो मुझे ले ही सकते थे आप। मम्मी से ऐशो आराम की जिंदगी छोड़ी नहीं जाती,और मुझे यह एक अहसान लगता है मामा -मामी का।पापा आप आकर ले जाओ ना मुझे।”

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मंझली मामी विधि की बातें सुन रहीं थीं।अगले दिन औपचारिकता वंश उन्होंने विधि के पापा को खुशखबरी दी ,विधि का रिश्ता तय हो जाने की।उनकी आवाज से लगा ,मानो उन्हें इस बात की जानकारी पहले ही चल चुकी थी। पार्टी में आने से उन्होंने ही मना कर दिया।अब तो रागिनी का भी मूड ठीक हो गया।जान बची उसकी।

शादी के दिन नजदीक आ रहे थे। रागिनी ने अपने गहनों का डिब्बा विधि के सामने रखा और बोली”,विधि,ये सारे तेरे गहने हैं।तुझे जो पसंद आए वहीं पहन लेना।एक से एक जड़ाऊ सैट हैं,तू ले ले।”विधि ने पूछा अपनी मां से”ये तो पापा के बनवाए गहने नहीं हैं,वो कहां गए?”रागिनी ने सफाई दी”अरे वो जो सुपर मार्केट वाली दुकान‌ जमीन के साथ खरीदी थी ना मैंने,उन्हीं‌ को तो बेचा था तब।”

विधि ने हंसकर कहा”जिस आदमी से तुमने ज़िंदगी भर बस नफरत ही की,उसे मनहूस ही कहा।उसी के गहने बेचकर अपना और मेरा पेट पाला।तब तो हुए ना पापा हमारे लिए लकी।पर मम्मी,मुझे पापा के गहने ही पहनने हैं।तुम्हारे मायके वाले नहीं।”,

“विधि अब बहुत बोलने लगी है,जो भी मुंह में आता है बोल रही है।तू उस फटीचर आदमी से मेरी ममता की तुलना कर रही है।कितनी तकलीफों से पाला है मैंने और नानी ने तुझे।गोद से नीचे नहीं उतारते थे हम।अब तुझे नानी के लिए गहने ही नहीं पहनने।ये सब कहां से सीखा?”

अब विधि समझ चुकी थी,असली दांव खेलने का समय आ चुका है।उसने आगे कहना शुरू किया”मम्मी,आपने अदालत से पापा को एकमुश्त रकम देने के लिए बाध्य किया था।एक बार भी सोचा आपने,एक सच्चे ईमानदार इंसान पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगने पर उनकी क्या हालत हुई होगी?दादा -दादी अदालत में हांथ जोड़े बैठे थे।दादा जी ने तुम्हारे आगे विनती भी की थी।तुम नहीं पसीजी मम्मी।तुम्हें सीधा -सादा पति नहीं चाहिए था।जो बेईमानी कर के भी तुम्हारी तिजोरियां भरे ,ऐसा पति चाहती थी ना तुम।

मैंने देखा है पापा को। स्कूल में मिलने आते थे रोज।रोते रहते थे मुझे देख कर।दादी अपने हाथों से मेरी पसंद का नाश्ता भेजती थी बनाकर।एक शब्द कभी भी तुम्हारे खिलाफ नहीं कहा उन्होंने।बस इतना ही कहते कि अगर मेरे पास ज्यादा पैसा होता ना,तो मम्मी से तुझे ले पाता।कम तो नहीं कमाते थे पापा,पर आपके अनाप-शनाप खर्च से परेशान‌ होकर ज़रा सा डांट दिया ,तो आपने बात का बतंगड़ बना दिया।तलाक ले लिया पापा से।आपको क्या मिला,उनकी जिंदगी बर्बाद करके?”

रागिनी ने तड़ाक से एक चांटा मारा विधि के गाल पर।विधि रोती हुई चली गई।

अब रागिनी को चिंता सताने लगी विधि की शादी की।अगले ही दिन अपने परिवार वालों से मशवरा किया और बताया”,विधि ,तुम्हारी शादी लड़के वालों के यहां जाकर करेंगे।उनकी भी यही इच्छा है।कम लोग होंगे,तो इंतजाम दोनों पक्ष अच्छे से कर पाएंगें”विधि समझ चुकी थी मम्मी की चाल। रागिनी के साथ ना जाकर,विधि ने पापा के साथ शॉपिंग पूरी की अपनी।दादी ने अपना पुश्तैनी हार भी विधि को दे दिया,जब पापा के साथ घर गई।कितनी ही चीजें जोड़कर रखी थीं पापा और दादी ने विधि के ब्याह के लिए।

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दो दिन बाद शादी थी।कल ही निकलना होगा।रागिनी ,अब विधि पर भरोसा करना नहीं चाहती थी।अपने सर पर उसका हांथ रखकर कसम खिलवाई कि वह पापा को शादी में न्योता ना दे आने का।विधि ने हामी भर दी।अगले दिन विवाह स्थल पर पहुंच कर रागिनी और परिवार वाले चकित रह गए।विधि की एक -एक पसंद को ध्यान में रखकर हॉल सजाया गया था।यहां तक कि रजनीगंधा की लड़ियों से पूरा मंडप सजा हुआ था।

रागिनी ने कहा भी विधि से”,निशांत को तेरी पसंद नापसंद की कितनी अच्छी समझ है।देख,इसे कहते हैं‌ जिम्मेदार पुरुष।”,

विधि कुछ नहीं बोली।हल्दी की रस्म के लिए लड़के वाले आ रहे थे।उनका होटल थोड़ी दूरी पर था।विधि के ससुर स्वर्ग सिधार चुके थे।सास और दो भाई (छोटे),कुछ रिश्तेदारों के साथ आए।हल्दी में ही जेवरों के दो सैट आए देखकर रागिनी की आंखें फटी रह गईं।हल्दी की रस्म शुरू हुई।विधि और निशांत को अगले बगल बिठाया गया था पीढ़े पर।पहले निशांत को हल्दी चढ़ी।एक सज्जन सफारी सूट में निशांत की तरफ से आए थे।

आंखों पर चश्मा था।रागिनी तो दूर से पहचान नहीं पाई।जब विधि को हल्दी लगाने वही सज्जन आए तो,रागिनी का मुंह खुला का खुला रह गया।ये और कोई नहीं,विधि के पिता थे।रागिनी को असमंजस में देखकर निशांत ने चुप्पी तोड़नी”मम्मी,मेरी तरफ से कोई बुजुर्ग नहीं थे

परिवार में।जैसे ही मैंने विधि को बताया,उसने कहा तुम मेरे पापा को ले लो अपनी टीम में। मम्मी ने तो सारी तैयारियां कर ही लीं हैं।पापा तुम्हारी रस्में सही तरीके से करवा देंगे। मम्मी आप सोच नहीं सकती कि पापा ने मेरा कितना साथ दिया।ये डेकोरेशन,खाना,पंडित,रिश्तेदारों की व्यवस्था सब इन्होने ही संभाला है।थैंक यू मम्मी,अपना सबसे अच्छा मैम्बर हमें देने के लिए।”,

रागिनी अवाक खड़ी थी।विधि ने नहीं बुलाया पापा को उसकी मम्मी की कसम की खातिर,पर निशांत से उसने सब करवा लिया।कई सालों के बाद देख रही थी इतना करीब से। उम्र से ज्यादा लग रहे थे,पर सक्रिय भी वही थे ज्यादा।कन्यादान के समय जब विधि ने साफ कह दिया कि पापा और मम्मी साथ में करेंगे तभी वो‌ शादी करेगी।

निशांत ने शादी के बाद रिसेप्शन में एक स्पीच दी,जिसमें उसने विधि के पापा में अपना पापा मिलना स्वीकार किया।उसने शपथ ली बाकायदा कि अपने घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ हम विधि के मम्मी पापा की जिम्मेदारी भी अबसे हमारी।विधि में अच्छे संस्कार अपने मां-बाप के संस्कारों से ही आए हैं।एक पिता अपनी बेटी को सबसे ज्यादा प्रेम करते हैं,यह मैंने अंकल जी से मिलकर जाना।”

शादी निर्विघ्न समाप्त हुई।अब फैमिली फोटो की बारी आई।दूल्हे ने एक तरफ रागिनी और दूसरी तरफ पापा‌ को बैठाया।विधि के ससुराल वाले मुक्त कंठ से विधि के माता और पिता की तारीफ कर रहे थे।दूसरी जगह जाकर शादी करना मामूली नहीं।सभी तालियां बजाकर विधि के पापा का सम्मान कर रहे थे।

आज विधि की बरसों की तपस्या सफल हुई।जिस पिता को बचपन में मां ने जलील किया था, मनहूस कहा था ,आज उन्हीं की प्रशंसा में तालियां बजा रहे हैं। मम्मी के बस में अब नहीं पापा को अपमानित करना।बेटी के ससुराल वालों की नजर में तो विधि के पापा हीरो बन चुके थे,अब मम्मी की बारी थी।निशांत ने सहज होकर ही कहा “मम्मी,अब जब हम फेरों में आएंगे ना चंडीगढ़,पापा के घर में जाएंगे पहले।देखते हैं आप कैसी तैयारी करती हैं दामाद की?”,

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विधि के मन से बरसों से पड़ा बोझ आज हट गया।पापा का अपमान से पीला पड़ा चेहरा अब तक भूली नहीं थी वह।आज दामाद के द्वारा उनको अपना सम्मान वापस मिला।दोनों एक साथ अपने घर जा रहे थे,लगभग बीस बरस के बाद।

मम्मी के गले लगकर रोते हुए कहा विधि ने”सॉरी मम्मी,यह बहुत जरूरी था अभी।आप दोनों को एक दूसरे की सहारे की जरूरत है अभी।आप अपने शौक पर लगाम लगाओगी,तो पापा भी अपना सब कुछ लुटा देंगे आप पर।पति हैं‌ वो आपके।मायके में इतने साल रहकर आपने समय को अपनी मुट्ठी में भरने का भरम पाला है।अब अपने घर जाइये।तलाक वापस करवा लीजिए आप लोग।निशांत के पहचान के वकील हैं।

एक बेटी को आज अपनी शादी का सबसे मंहगा तोहफा मिल गया।

अपमान

शुभ्रा बैनेर्जी

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