Moral stories in hindi : ‘
आज फिर रुचि और रवि के बीच झगड़ा हुआ था। रुचि की लाल- लाल सूजी हुई आँखें इस बात की गवाही दे रही थी। यह हर रोज की ही कहानी हो गई थी जब तक रवि रुचि और उसके घर वालों को खरी- खोटी नहीं सुना लेता था ऐसा लगता था कि उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती थी।
अब तो बच्चे भी गाली देना सीख गये थे जब रुचि उनसे कहती कि ऐसे नहीं बोलते यह गंदी बात होती है तो वे तपाक से जवाब देते.. पापा भी तो ऐसे ही बोलते हैं न फिर आप उनसे क्यों नहीं कहतीं? क्यों चुप रह जाती हैं आप?
इस बात ने सीधे उसके दिल पर चोट की.. सच ही तो कह रहे हैं बच्चे.. वह सुनकर चुप रह जाती है तभी तो रवि की हिम्मत दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। उसने मन ही मन निश्चय किया बस अब और नहीं.. अब और अधिक अपमान नहीं सहेगी वह। रवि जैसे संस्कार अपने बच्चों में नहीं आने देगी वह।
जब शाम को रवि घर आया तो उसने रवि को बच्चों का हवाला देकर समझाने की कोशिश की पर वह कहाँ सुनने वाला था बात को समझने के बजाय वह उल्टा उसी पर बिफर पड़ा.. तू सिखायेगी मुझे कि मुझे किस तरह बात करनी चाहिए, हिम्मत कैसे हुई तेरी मेरे संस्कारों को गलत ठहराने की। आज तुझे सबक सिखाना ही पड़ेगा।
जहाँ खड़े हो वहीं रुक जाओ रवि अपने बच्चों को सही रास्ते पर लाने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ अगर आज के बाद तुमने हाथ उठाया या गाली देकर बात की तो मैं भूल जाऊंगी कि तुम मेरे पति हो फिर चाहे उसके लिए मुझे पंचायत बुलानी पड़े या पुलिस मैं पीछे नहीं हटूंगी।
क्या यही संस्कार दिये हैं तुम्हारे घरवालों ने कि पति के मान सम्मान की धज्जियां उड़ा दो?
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अपने घरवालों के दिये संस्कारों की खातिर ही तो चुपचाप सब सहती आ रही थी अब तक लेकिन क्या सम्मान सिर्फ पति का ही होता है पत्नी का नहीं??
सिर्फ तुम्हें आईना दिखाने के लिए मुझे न चाहते हुए भी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ा जिससे तुम्हें अहसास हो कि ऐसे शब्द दूसरे के दिल को कितनी चोट पहुंचाते हैं और आज तुम मुझे संस्कारहीन ठहरा रहे हो कभी अपने अंतर्मन में झांक कर देखना कि तुम्हें किस नाम से पुकारूँ मैं ??
अपने आचरण से तुम न सिर्फ अपना सम्मान खो रहे हो बल्कि अपनी परवरिश पर भी लोगों को उंगली उठाने का मौका दे रहे हो। अरे माता- पिता तो अच्छी बातें ही सिखाते हैं अपने बच्चों को.. कुछ गलत करने से पहले एक बार उनके बारे में ही सोच लो कि यह सब देख- सुन कर उनके दिल को कितनी चोट पहुंचेगी।
# संस्कारहीन
स्वरचित एवं अप्रकाशित
कमलेश राणा
ग्वालियर