रमन और महेश दोनों बचपन के मित्र थे! दोनों ही मित्र शहर में व्यवसाय करते थे! भगवान की कृपा से दोनों का व्यापार भी अच्छी तरह फल फूल रहा था!
महेश ने अपनी बेटी के लिए रमन के बेटे मयंक का चुनाव किया था! मयंक और प्रियंका बचपन से ही साथ-साथ खेलते बड़े हुए थे ,तो उन्हें एक दूसरे से लगाव हो गया था!
मयंक ने भी अपने पिता के व्यवसाय को ही आगे बढ़ना उचित समझा! सही समय पर मयंक और प्रियंका की सगाई हो गई! दोनों परिवार इस रिश्ते से बेहद खुश थे!
किंतु समय का कुछ नहीं कहा जा सकता! कब अच्छा या बुरा दिन देखने को मिल जाए!, और महेश के साथ भी यही हुआ! महेश को व्यापार में दिनों दिन घाटा होता जा रहा था,
तो उसकी चिंता भी बढ़ती जा रही थी! तब महेश की पत्नी ने कहा… आप क्यों चिंता करते हैं! आपका मित्र आपका साथ देगा,
और चिंता किस- बात कि हमारी बेटी प्रियंका उस घर की बहू बनने जा रही है! हमारे दिन भी जल्दी ही सुधरेंगे, आप चिंता मत कीजिएगा! किंतु अगले दिन ही रमन ने आकर महेश को कहा कि..
यह रिश्ता नहीं हो सकता, क्योंकि मयंक के लिए तो बहुत अच्छे-अच्छे घरों से संबंध आ रहे हैं, और तुमसे रिश्ता रखकर मेरी जो समाज में इज्जत है वह कम हो जाएगी!
अब यह रिश्ता नहीं हो सकता! जिस मित्र का और उसके परिवार का वह इतना भरोसा और आदर करता था, आज वह उसकी नजरों से गिर गया!
जब प्रियंका ने मयंक से इस बारे में बोला तो मयंक ने भी कहा की.. देखो प्रियंका मेरे परिवार वाले जहां चाहते हैं, मैं वही शादी करूंगा! मैं उनका दिल नहीं तोड़ सकता!
जबकि उनके दिमाग में चल रहा था की प्रियंका महेश की इकलौती बेटी है तो, जाहिर सी बात है पूरी धन दौलत की मालकिन प्रियंका ही होती! किंतु अब ऐसा नहीं होगा!
अतःबाप बेटे ने यह रिश्ता ठुकराकर अपने आप को उनकी नजरों से गिरा लिया!
हेमलता गुप्ता
स्वरचित