समय का फेर – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

Post Views: 4 रमा का परिवार उसे हमेशा ही मनहूस कहता था। उसके ताने सुनने का सिलसिला बचपन से ही शुरू हो गया था, जब उसकी ताई दांत पीसकर कहती, “यह कुलच्छिनी जन्म लेते ही मां को खा गई, फिर बाप को भी निगल गई। इसके साये से भी दूर रहना चाहिए।” इस तरह की … Continue reading समय का फेर – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi