समय का फेर – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

रमा का परिवार उसे हमेशा ही मनहूस कहता था। उसके ताने सुनने का सिलसिला बचपन से ही शुरू हो गया था, जब उसकी ताई दांत पीसकर कहती, “यह कुलच्छिनी जन्म लेते ही मां को खा गई, फिर बाप को भी निगल गई। इसके साये से भी दूर रहना चाहिए।” इस तरह की बातें सुन-सुनकर रमा … Continue reading समय का फेर – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi