समय का चक्र – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा”
Post View 7,993 “तू अब तक यहीं बैठी है, चल जा यहाँ से।” “माॅ जी ऐसा मत करिये। मैं कहा जाउॅंगी। अब यही मेरा घर है। मुझे अन्दर आने दीजिये। मैं जिन्दगी भर आपकी नौकरानी बन कर रहूंगी।’’ कामिनी अपनी सास के पैर पकड़कर गिड़गिड़ाने लगी। “हमे नौकरानी नहीं, पैसा चाहिये। जाओ अपने बाप से … Continue reading समय का चक्र – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा”
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