“सहारा” – राम मोहन गुप्त

Post Views: 9 भईया, मैं अंदर आ जाऊँ! हाँ आओ न, कहते हुए विनोद ने सुबोध की ओर देखा, जो बंशी को लगातार घूरे जा रहा था। कल ही की यो बात है कि उसने बंशी को घर से भगा दिया था। रोज रोज घर आकर कुछ न कुछ माँगना, दे दूँगा कह कर भी … Continue reading  “सहारा” – राम मोहन गुप्त