सागर किनारे – विजया डालमिया 

Post View 455 सबको आता नहीं दुनिया को सजा कर जीना। जिंदगी क्या है मोहब्बत की जुबां से सुनिए । मेरी आवाज ही पर्दा है मेरे चेहरे का मैं हूँ खामोश जहाँ मुझको वहाँ से सुनिए। तृप्त तन और सुप्त मन दोनों एक जैसे ही होते हैं। तृप्ति का भाव भीतर तक लिए वैशाली आज … Continue reading सागर किनारे – विजया डालमिया