सफरी –   अरुण कुमार अविनाश

Post View 6,076 हम व्ययाम कर ही रहें थे कि राय साहब का मोबाइल गुनगुनाया। एक बार तो उन्होंने फोन को इग्नोर किया –  आधे मिनट के बाद , जब दोबारा मोबाइल गुनगुनाने लगा तो राय साहब फोन की उपेक्षा न कर सकें। स्टेशन इंचार्ज होने के नाते उन्हें कभी भी – किसी का भी … Continue reading सफरी –   अरुण कुमार अविनाश