Post View 161 कहाँ जाना है? उसने पूछा। बहुत दूर। मैंने कहा। कितनी दूर?फिर प्रश्न आया। जहां से वापसी सम्भव ना हो। जवाब दिया मैंने। ऐसा क्यों? वो झुंझलाई। बस यूं ही। मैं लापरवाही से बोला। जाना क्यों है? ऐसे पूछा मानों कोई काम हो उसे भी। बस यूं ही। मैं बोला। जरूरी है क्या? … Continue reading सफर में चलते हुए – संजय मृदुल
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