अच्छा मामी जी ,आप मांजी के साथ चाय पीयो मै अपनी एक्सरसाइज की क्लास हो आऊ।” नैना ने अपनी मामीजी से बोला।
“अरे हम कौन सा रोज ,रोज आते है ।चार दिन बाद तो हम चले जाऐंगे।कौन सा मैराथन मे दौड़ना है जो दो चार दिन की परैक्टीस ना होएगी तो हार जायेगी।”मामी जी ने चाय का कप उठाते हुए देसी अंदाज में बोलते हुए, मांजी की तरफ देखा ।
“घर मे दिनभर की भागादौड़ी भी किसी मैराथन से कम थोड़ी ना है।कह तो आप ठीक रही है,कि आप कौन सा रोज रोज आती है ,?आज मांजी आयी है यहां तो आप भी आ गये, मिलने नही तो हम बुलाते रह जाते है ।जबकि यहा से एक किमी की दूरी नही है आपकी सोसायटी की,आप कहां आ पाती है?और आज देखिये आपको मांजी का प्यार खींच लाया तो आप रहने भी आ गए ।”नैना ने मामीजी को हंस कर कहा।
“तुम कभी इतने अधिकार से बुलाती ही नही,अब मुंह के आगे तो सभी आ जाना,आ जाना कहते ही है।”मामीजी ने स्वभाववश तंज कसते हुए कहा।
“आपको याद है ,जब मोनू (बेटा) पैदा हुआ था ,तो मांजी के पैर मे फैक्चर था ,तब मां समान समझकर विभु(पति) आपको बुलाने गये थे।लेकिन आप लाख बुलाने पर भी नही आयी।मैने डिलीवरी के दूसरे दिन से घर का काम शुरु कर दिया ,जिसकी वजह से मेरी तबियत खराब रहने लगी।क्योकि कोई भी परहेज हो ही नही पाया ।लेकिन फिर मोनू के छः महीने के होते ही मैने एक्ससाईज करनी शुरु कर दी ,जिससे मेरी ताकत और उर्जा वापस आने लगी।उस वक्त मुझे समझ आया कि आपसे एक सच्चा रिश्ता आपका शरीर निभाता है ,इसलिये आप इसके रखरखाव का ध्यान पहले रखो बाकि सब उसके बाद।रही बात मैराथन की, परिवार मे सब की ख्वाहिशो और जरुरतो कि मैराथन मे अववल आना भी तो किसी मैराथन से कम.नही।मेरी स्वसथ्य देह ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है।तो मै चलू अभी मां ।”कहते हुये नैना वहा से चल दी ।
“आजकल की लड़कियो को तो कुछ कहना ही बेकार है।”मामीजी ने नैना के जाते ही मांजी की तरफ देखकर बोला।
“सही तो कह रही है नैना ,सब का ध्यान तभी तो रख पाओगे जब खुद का रखोगे।”मांजी ने नैना के समर्थन मे बात करते हुए मामीजी के मुह पर जैसे ताला लगा दिया,मामीजी भी इस बात को भली भांति समझ गयी थी कि नैना उनमे से नही जो घर की जिम्मेदारियो मे खुद को उपेक्षित कर दे।
दोस्तो ,हम सभी ने कभी ना कभी इस बात को जरुर महसूस किया होगा कि हम अपनी जिममेदारियो मे इतना मशगूल हो जाते है कि उसके लिये हम.खुद को उपेक्षित कर देते है। लेकिन यह.एक कड़वी सच्चाई है कि अगर घर कि औरत एक दिन भी बीमार हो जाती है तो पूरे दिन की देखभाल तो छोडो एक चाय बनाना भी घर के सदस्यो को एक बड़ा काम लगने लगता है।इसलिये यह बहुत आवश्यक है कि आप सबकी अपेक्षाओ के बीच खुद को कभी उपेक्षित ना करे किसी भी मायने मे।आपका स्वास्थ्य ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है।
आपकी दोस्त
स्मिता सिंह चौहान।