“रवि बेटा तुम अपना मकान अपनी पत्नी रजनी के नाम क्यों नहीं कर देते?” जब उसकी यही जिद है तो उसे पूरी कर दो हमारा क्या भरोसा हम आज हैं कल नहीं वैसे भी हमारे मरने के बाद तो यह मकान तुम दोनों के नाम होना ही है
“रामदत्त ने अपने बेटे रवि से कहा तो अपने पापा की बात सुनकर रवि सोच में पड़ गया था रामदत्त के तीन बच्चे थे बड़ा बेटा रवि और दो छोटी बेटियां पूजा और रोशनी। किराए के कमरे में रहने वाला अपना छोटा सा मकान बनाने के लिए रामदत्त सदर बाजार से सामान लाकर उसे कई दुकानों पर बेचकर उससे जो कमाई होती
उसमें से थोड़ा-थोड़ा पैसा जमा करके अपने बच्चों की अच्छी तरह से परवरिश करता था जब उसके पास कुछ पैसा जमा हो गया तब उसने जमीन खरीद कर अपने लिए एक छोटा सा मकान बनवा लिया था। शिक्षा पूरी करने के बाद रवि एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था पूजा और रोशनी दोनों कॉलेज में पढ़ाई कर रही थी रामदत्त अपने तीनों बच्चों से बहुत प्रेम करता था।
रवि की नौकरी लगने के बाद उसके लिए कई जगह से रिश्ते आने लगे थे जो खूबसूरत लड़की के साथ-साथ उसे दहेज में काफी रकम देने के लिए भी तैयार थे परंतु, रामदत्त दहेज लेने के बिलकुल खिलाफ था इसलिए उसने दहेज लेने की बजाय एक गरीब घर की लड़की रजनी से बिना दहेज लिए यह सोचकर खुशी खुशी विवाह कर दिया था
कि रजनी प्रेम पूर्वक उसके घर में सभी सदस्यों के साथ मिलजुल कर रहेगी रामदत्त और उसकी पत्नी जानकी रजनी से बेटी की तरफ प्रेम करते थे उसके खाने पीने और ओढ़ने पहनने में कुछ भी भेदभाव नहीं करते थे कुछ दिन तो रजनी उनके घर में खुशी-खुशी रही परंतु, शादी के 10 दिन बाद
ही उसने रवि से यह कहकर सबकी खुशियों पर ग्रहण लगा दिया कि यदि अपना मकान मेरे नाम करोगे तो मैं तुम्हारे साथ रहूंगी नहीं तो मैं यह घर छोड़ कर चली जाऊंगी।
पत्नी की बात सुनकर रवि आश्चर्य चकित हो गया था उसने रजनी को मकान अपने नाम नहीं करवाने के लिए समझाने का बहुत प्रयास किया परंतु, रजनी अपनी जिद पर ही अडी रही जब रवि ने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया तो वह गुस्से में यह कहकर “मैं यहां तभी आऊंगी जब यह मकान मेरे नाम होगा यदि मकान मेरे नाम नहीं हुआ तो मैं यहां कभी नहीं आऊंगी “बैग में अपना सामान पैक करके अपने मायके चली गई।
जब रामदत्त को रजनी के उसके मायके जाने का कारण पता लगा तो वह रवि से अपना मकान उसके नाम करने के लिए कहने लगे थे पापा की बात सुनकर रवि कुछ सोचते हुए बोला”पापा आपने और मम्मी ने तो उसे बेटी की तरह प्यार दिया था
मैने भी उसे प्यार और सम्मान देने में कोई कमी नहीं की जिसकी नज़रों में आपके और मेरे प्यार की कोई कीमत नहीं वह आपके द्वारा दिन रात मेहनत से बनाए गए मकान की कीमत क्या समझेगी? यदि मकान उसके नाम करने पर उसने मकान बेचकर आपको मम्मी और मेरी बहनों को घर से बेघर कर दिया
तो मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा जो औरत इंसान से ज्यादा मकान से प्यार करती हो वह कभी विश्वास के लायक नहीं रहती यदि उसे मुझसे जरा सा भी प्यार होता तो वह किसी भी कीमत पर मकान के लिए मुझे छोड़कर अपने मायके नहीं जाती बल्कि मेरे साथ रहती
जिस औरत को मुझसे रत्ती भर भी प्रेम नहीं मैं किसी भी कीमत पर उसके लिए अपना मकान नाम नहीं करूंगा यह मकान हमेशा आपके और मम्मी के नाम पर ही रहेगा क्योंकि मुझे आपसे सच्चा प्यार है मकान से नहीं।”बेटे की बात सुनकर रामदत्त निशब्द हो गए थे उनके मुख से कोई शब्द नहीं निकला था अपने बेटे के प्रति अपने मन में इतना प्रेम देखकर प्यार से उन्होंने रवि को गले से लगा लिया था।
किसी की भावना को ठेस पहुंचने पर मेरा कोई इरादा नहीं है परंतु,यह आज के जमाने की एक कड़वी सच्चाई है जो मैंने कई घरों में देखी है जब एक परिचित ने मुझे अपनी बहू के काफी दिन से घर में ना आने पर उसकी सच्चाई बताई और यह भी बताया
कि बहु उनसे मकान के बदले 15 लख रुपए की मांग कर रही है और पैसे ना देने पर उन्हें दहेज के झूठे मामले में फंसा कर जेल भेजने की बात कर रही है तो मन यह सोचने पर मजबूर हो गया कि माता-पिता अपनी बेटियों को कैसी शिक्षा देने लगे हैं जो चंद पैसों के लालच में अपनी बेटी का घर ही उजाड़ देते हैं
ऐसा करने से सिर्फ बेटे का घर ही बर्बाद नहीं होता बेटियों का जीवन भी बर्बाद हो जाता है यदि बेटियों का घर बसाना है तो उन्हें ससुराल में घर अपने नाम करवाने की बजाय पति और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ प्रेम से मिलजुल कर रहने की शिक्षा दें तभी घर स्वर्ग बनता है अन्यथा ऐसा करने से घर जहन्नुम बन जाता है।
बीना शर्मा
VD