सबसे बड़ा धोखा- सांसें – संजय अग्रवाल
Post View 352 सांसे थमने वाली हैं। अटक अटक कर आ रही है, गले से घर्र घर्र की आवाज निकल रही है। आंखों के कोर से आंसू धीमे धीमे बह रहे हैं। चैतन्य तो हूँ मगर इतनी भी नही की जो से आवाज देकर किसी को बुला सकूँ। और सुनेगा भी कौन? यहां है ही … Continue reading सबसे बड़ा धोखा- सांसें – संजय अग्रवाल
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