बहुत ज्यादा ठंड थी उस दिन , सर्द हवा मानों तन को बेध कर अंदर घुसने के लिए आतुर थी कंबल में से निकलना ही सजा लग रहा था ऐसे में रेवती को एक शादी में जाना था। बहुत करीबी शादी थी जाना जरूरी था, बड़े बेमन से उठकर तैयार होने लगी तभी उसका पोता अभि और चार साल की पोती परी आ गये।
दादू दादी आप कहाँ जा रहे हैं हमें भी चलना है।
मम्मा जल्दी से हमारे कपड़े भी निकाल दो.. जल्दी करो न मम्मा वरना दादू दादी हमें छोड़ जायेंगे।
रेवती ने कहा.. तुम दोनों कहीं नहीं जा रहे हो बेटा ठंड बहुत है घर में रहो।
देखो दादी मैं कितना स्ट्रांग हूँ मुझे कोई ठंड वंड नहीं लगती।
और दादी मैं तो बहुत सारे कपड़े पहनकर चलूंगी न फिर ठंड कैसे लगेगी
वहाँ पर छोटे बच्चों की एंट्री नहीं है… रेवती ने टालते हुए कहा
जब अभि को लगा कि उसकी बात नहीं मानी जा रही है तो उसके दिल की कुढ़न बाहर निकलने लगी यही तो भोलापन है जो मन के भाव छुपाना नहीं जानता।
दादी आपको पता है वहाँ मोटे लोगों की एंट्री पर बैन हैरेवती की हंसी फूट पड़ी वह उसके जाने की तीव्र इच्छा को समझ रही थी।
हँसते हुए बोली… मोटे तो जा सकते हैं बस पतले नहीं जा सकते तभी तो देखो न तुम्हारे मम्मी पापा भी नहीं जा रहे ।
तो फिर मैं भी तो मोटा हूँ अब तो ले चलो न दादी आपको वहाँ बच्चों के बिना अकेले कैसे अच्छा लगेगा।
अभि तुम जाओगे तो परी भी जिद करेगी वहाँ जाने की फिर कुछ खा तो पायेगी नहीं वह। तुम्हें तो पता है न बेटा उसे ग्लूटन एलर्जी है इसलिए तुम यहीं रहो।
तभी परी ठिनकते हुए बोली… पर मुझे भी जाना है दादी।
बेटा तुम यहीं रहो वैसे भी वहाँ सब गेंहूँ की चीजें होंगी खा तो पाओगी नहीं फिर क्या करोगी जा कर।
अरे दादी… वहाँ पानी तो मिलेगा न मैं तो बस पानी ही पी लूंगी।
रेवती उसके सब्र को देखकर अवाक् थी इतनी छोटी बच्ची और इतनी समझदारी। हे प्रभु!!! किसी बच्चे के सब्र का इतना भी इम्तिहान न लेना कि वह टूट कर बिखर जाये। वह बहुत समझदार है कभी किसी खाने के लिए जिद नहीं करती पर क्या उसका मन नहीं होता होगा क्या कि वह भी सबकी तरह खाये किस तरह वह खुद को काबू में रखती होगी यह तो सिर्फ वह ही जानती होगी।
साथ में परिवार के सभी सदस्य जब तरह तरह के लज़ीज़ व्यंजनों का स्वाद ले रहे होते हैं तो परी का चेहरा उन्हें बेस्वाद कर देता है ।
तब परी को केवल सलाद, चावल, दही बड़े से ही संतोष करना पड़ता है पर आज उसका यह कहना… पानी तो मिलेगा न… मैं तो बस वही पी लूंगी.. चीर गया दिल को।
स्वरचित
कमलेश राणा
ग्वालियर