आठवाँ महीना शुरू होने पर महिमा आज डाक्टर के पास दिखाने आई । इधर कुछ दिनो से उसका वजन बहुत तेजी से बढ़ रहा था । रोज दो किलो वजन को बढ़ता देख रंजन ने देर ना की और उसे शहर के अस्पताल ले आया ।
लेडी डाक्टर ने जाँच पड़ताल कर कहा , ” इन्हें एडमिट करा दीजिए आपरेशन करना होगा ।”
यह सुनकर महिमा तुरंत बोली : ” लेकिन डाक्टर साहिब अभी तो दो महीना शेष है ।”
डाक्टर बोली ,” वो सब ठीक है पर तुम्हारे बीपी के साथ साथ शरीर में पानी की मात्रा भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है ।जाँच में बच्चा भी अपनी ही गर्भनाल में फंसा हुआ है।जिसके चलते उसकी जान जा सकती है । हमलोग को तुरंत तुम्हारा आपरेशन करना ही होगा ।”
साथ में बैठे महिमा के माता पिता भी यह सुनकर सकते में आ गये । रंजन को अपना कहने के लिए एक सौतेले भाई को छोड़कर और कोई ना था ।उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव की भांति ही उन दोनों के रिश्ते भी थे । महिमा के बारे में उन्हें बताना उसे उचित नहीं लगा , लेकिन सास ससुर के कहने पर उसने उन्हें खबर कर दिया ।
कागजी खानापूर्ति के बाद महिमा को एडमिट करने की तैयारी चल रही थी तभी उसके जेठ और जेठानी दोनो अस्पताल पहुँचे । जेठानी ने उसके सर पर हाथ रख कर कहा ,” चिंता नहीं करना , अब सब ठीक हो जाएगा । इन्होंने अस्पताल के हेड से बात कर ली है । बाहर से भी डाक्टर बुलाया गया है । तुम्हें पहले ही बताना चाहिए था । हम कोई पराए थोड़ी हैं ।”
उधर जेठ महिमा के पापा की तरफ लपके । उनके अस्पताल पहुँचते ही सारा स्टाफ रेस हो चुका था । उन्होंने देखा महिमा के पिता गमगीन होकर एक कोने में बैठे थे और उनके हाथ में कोई पेपर था । उन्होंने नोटिस किया , पिता उस पेपर पर हस्ताक्षर करने से हिचक रहे थे ।महिमा के जेठ ने फार्म उनके हाथ से लेकर एक साँस में उसे पढ़ लिया और साइन कर डाक्टर के पास जाकर बोले :
” माँ या बच्चा में से किसी एक को बचा पाइयेगा तो हमारी महिमा को बचाने की पूरी कोशिश कीजिएगा। माँ जिंदा रहेगी तो बच्चा फिर से हो जायेगा पर बिन माँ के बच्चे को हम नहीं पाल पायेंगे ।”
रंजन के ससुर जी उसके बड़े भाई के मुख से ये सुनकर भौचक्के रह गयें क्योंकि उन्हें पता था उनके दामाद के भाई भाभी दोनो ही निसंतान थे ।
रंजन भी भाई का ये रूप देखकर भावविह्वल हो गया और उसकी आँखो से आँसुओं की धार बहने लगी । रिश्तों पर पड़ी बर्फ शायद पिघलने लगी थी तभी तो उसके हाथ भाई के चरणों की ओर झुक गयें ।
@मीरा सिंह@
@राँची@