रिश्तों की समाधि… – विनोद सिन्हा “सुदामा” : Moral Stories in Hindi

Post Views: 3 आज़ वर्षों बाद बाबूजी की अस्थियां लिए,मैं उस शहर को लौटा था,जहां मेरा बचपन गुजरा था,जहां मुझे माँ की ममता मिली,पिता का प्यार मिला था, रिश्तों की परिभाषाएं समझ आई थी.! पता चला सप्ताह भर की मूसलाधार बारिश के कारण सड़क कहें या रास्ता ,जगह जगह गड्ढे पड़ गए थे और बरसाती … Continue reading रिश्तों की समाधि… – विनोद सिन्हा “सुदामा” : Moral Stories in Hindi