Moral Stories in Hindi : ऑफिस से घर आते ही दिव्या का दिमाग फिर से घूम गया, जब उसने देखा कि उसकी बड़ी बेटी, जो दसवीं की छात्रा है, अपनी चाची से बहस कर रही थीं और दिव्या की छोटी बेटी भी अपनी बहन का साथ दे रही थीं,मां को आया देख दोनों एक बार तो चुप हो गई पर फिर चाची के खिलाफ़ ढेर सारी शिकायते लेकर बैठ गई…
संयुक्त परिवार में रह रही दिव्या और उसकी देवरानी निशा बहुत प्यार और आपसी तालमेल बना के रहती है, दिव्या का जहां खुद का बिजनेस है वही निशा भी एक बड़े बुटीक को चलाती है, पर घर और काम के बीच कभी भी दोनों की ना तो नोक झोंक हुई और ना ही कोई मनमुटाव… सुबह का सारा काम निशा देखती और शाम का दिव्या..
सास – ससुर, पति, देवर और चार बच्चों वाला भरा पूरा परिवार अपने हंसी ठहाको से गुलज़ार रहता लेकिन अभी कुछ महीनों से दिव्या की दोनों बेटियां जोकि किशोरावस्था में कदम रख चुकी है , अपनी मां की अनुपस्थिति में चाची की बातों का उल्टा जवाब देने लगी थी, मुंह बना लेना, बहस करना, बात नहीं मानना तो जैसे दोनों की आदत ही हो गई थी, निशा के भी दो बच्चे है लेकिन अभी दोनों बहुत छोटे है, उनके लिए घर के अन्य सदस्यों का अतिरिक्त प्यार और देखभाल भी दोनों बड़े बच्चों को चुभने लगा था।
एक रात आंख खुलने पर दिव्या ने देखा उसकी दोनों बेटियां आपस में बात कर रही थी की चाची बहुत ही खराब और मतलबी है, अपने दोनों बच्चों को तो कुछ नहीं कहती पर हमारे पीछे पड़ी रहती है, खुद के दोनों बच्चे तो सारा दिन टीवी और फोन पर चिपके रहते है, पर हमे पढ़ाई करने के लिए पीछे पड़ी रहती है,
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खाने में भी सब घर का बना कर खिलाती है और पूरे दिन की रिपोर्ट रोज मम्मी को आते ही दे देती है, बच्चों के मन में बैठे इस जहर को कम करने के लिए दिव्या सोच ही रही थी की अचानक पैर उलझनें से बहुत ज़ोर से गिर पड़ी और पैर मुड़ जानें के कारण डॉक्टर ने एक हफ्ते का पूर्ण रूप से बेड रेस्ट बता दिया तो सारी जिम्मेदारी निशा के ऊपर आ गई।
चारों बच्चों को स्कूल से लेकर ट्यूशन और अन्य कामों के साथ निशा जेठानी का भी पूरा ध्यान रख रही थी।
आज स्कूल से आकर दिव्या की छोटी बेटी उदास सी दिखी और अपनी मम्मी से बोली की कल स्कूल में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जायेगा और उसे मां यशोदा का क़िरदार निभाना है जिसके लिए बहुत तैयारी करनी है, आप चल फिर नहीं सकते तो कल कैसे तैयार हो पाऊंगी, उधर बड़ी बेटी को भी बहुत तेज सर्दी लग गई थी तो वो भी परेशान थी…अभी ये सब बातें चल ही रही थी की निशा गरम गरम काढ़ा लेकर आई
और बड़ी बेटी को पिलाकर उसको लिटा दिया और बाम लगाकर सर दबाने लगी, चाची के ममतामई हाथों का स्पर्श और काढ़े के असर से वह सो गई, फिर निशा ने एक बहुत ही सुंदर लहंगा छोटी बेटी को दिया, साथ ही मैचिंग जूलरी और गजरे भी रख दिए..अरे चाची आपको ये सब कैसे पता था, दिव्या की छोटी बेटी थोड़ा शर्मिन्दा होकर पूछ बैठी… मुझे सब पता है मेरी लाडो, इतने दिन से रोज तुम्हे प्रैक्टिस करते देख रही थी
और दीदी ने भी मुझे बता दिया था तो मैने सारी तैयारी कर ली है और हां कल तुम्हे ऐसी सुंदर यशोदा बना कर भेजूंगी की सब देखते रह जायेंगे… चाची को हमेशा गलत और मतलबी समझने वाली छोटी बेटी को भी रोक टोक के पीछे वाला प्यार अब समझ आने लगा था।
अगली सुबह कुछ अलग सी ही थी आज चाची भतीजियों के बीच नोक झोंक की जगह मां बेटी सा अपनापन अधिक दिख रहा था और सचमुच निशा ने अपनी छोटी भतीजी को इतने सुंदर और मनमोहक तरीके से माता यशोदा का रूप दिया की सब देखते रह गए।
शाम को स्कूल से अपने पापा के साथ जब दिव्या की दोनों बेटियां घर पहुंची तो सीधे अपनी चाची के गले जा लगी और चाची की पसंदीदा मिठाई और बर्गर देते हुए बोली
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“हमें माफ कर दो चाची” आपसे उल्टा बोलने और गलत समझने के लिए हम बहुत शर्मिंदा है और दोनो अपनी चाची के गले लग गई।
दिव्या और उसकी सास ये सब देखकर बहुत खुश हुई आखिर बड़े होते बच्चो को समझ आ गया था की चाची की रोक टोक “मतलबी” नही बल्कि उनकी परवाह करनी थी
मिलावट सिर्फ “मतलबी रिश्तों” में ही होती है, दिल से जुड़े रिश्तों में नही।….
स्वरचित, मौलिक रचना
#मतलबी रिश्ते
कविता भड़ाना