भावेश अपने 5 साल पुराने विचारों में खो जाता है कितना अच्छा समय था—– मैंने एम.बी.ए भी कर लिया था और एक कंपनी में मेरा जॉब भी लग गया था। अपॉइंटमेंन्ट लेटर भी मिल गया था अगले हफ्ते ज्वाइन करने जाने वाला था कि इसके पहले ही पापा की तबीयत अचानक खराब होने के कारण मैं अपनी नौकरी ज्वाइन नहीं कर सका और गांव की खेती बाड़ी में उलझ के रह गया।
भावेश के पापा बलदेव गांव के जमींदार थे बहुत जमीन जायदाद, हवेली थी और खेती-बाड़ी के भी आधुनिक साधन जुटा रखे थे खेती से बहुत मुनाफा होता था काफी नौकर चाकर भी लगे थे भावेश कभी-कभी खेती-बाड़ी में इंट्रेस्ट लेता था और आधुनिक साधन भी उसके कहने पर उसके पापा बलदेव ने खरीद लिए और उनके बारे में जानकारी भी हासिल की—— लेकिन भावेश का मन सर्विस करने का था इसलिए पढ़ाई पूरी कर नौकरी करना चाहता था। पापा की दिन पर दिन तबीयत बिगड़ती गई पता नहीं क्या हो गया था?
उनके हार्ट में प्रॉब्लम हुई और महीने भर बाद पापा बलदेव जी गुजर गए——– अब भावेश के ऊपर अपनी मां की और छोटा भाई विकास जो इंजीनियरिंग के फस्टईयर में पढ़ रहा था और छोटी बहन वैशाली बी.ए द्वितीय वर्ष में पढ़ रही थी अब तो सब की जिम्मेदारी भावेश के ऊपर आ गई उसने भी सोचा ——–अरे पापा की इतनी अच्छी खेती-बाड़ी जमी हुई है उससे मुनाफा भी होता है अब मैं अपने भाई बहनों को ही पढ़ाऊंगा और खेती-बाड़ी से पैसा कमाऊंगा।
भावेश को भी गांव के सभी लोग चाहते थे क्योंकि उनके पापा बलदेव बहुत ईमानदार थे, सबका ध्यान रखते थे, और कोई परेशानी में होता था तो उसकी मदद भी करते थे भावेश भी अपने पापा पर ही गया था! देखते-देखते—– पास के ही गांव के एक सरपंच की लड़की स्नेहा से भावेश की शादी हो जाती है स्नेहा पढ़ी लिखी थी
और स्वभाव से भी बहुत सुशील और संस्कारी थी वह रिश्तों को निभाना अच्छे से जानती थी उसके पापा मम्मी ने अच्छे संस्कार दिए थे। ससुराल आते ही घर संभाल लेती है और मां का और अपने देवर नंद का भी ध्यान रखती है वैसे तो घर में कोई कमी नहीं थी घर में सभी नौकर चाकर घर के काम करने के लिए लगे थे स्नेहा अपनी छोटी नंद वैशाली को भी कभी-कभी पढ़ा देती थी क्योंकि वह भी ऐम.ए. पास थी स्नेहा अपने गांव के और परिवार के बच्चों को भी ट्यूशन पढ़ा देती थी।
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भावेश के छोटे भाई,बहन को गांव के पास में शहर में जहां उनका कॉलेज था पढ़ने जाना पड़ता था जब तक वह वापस नहीं आ जाते चिंता लगी रहती थी इसलिए भावेश ने थोड़ा सा जमीन का टुकड़ा बेचकर शहर में घर खरीद लिया और मां से बोला मां आप छोटे भाई विकास और बहन वैशाली के साथ शहर में रहकर——-
उनकी देखभाल करो! मैं गांव में अपनी पत्नी के साथ गांव का काम संभाल लूंगा और पैसे कमा कर आपको भेजूंगा! ताकि मेरे भाई बहन की पढ़ाई में फीस में कोई कमी ना रहे, अब मां अपने छोटे बेटे विकास और बेटी के साथ शहर में रहने लगीं और उनके खाने-पीने का ध्यान रखने लगीं।
देखते देखते 5 साल गुजर गए और दोनों बच्चों की पढ़ाई भी पूरी हो गई भावेश ने मां से कहा—– पहले वैशाली की शादी कर देते हैं! और एक अच्छा लड़का शहर का ही देखकर वैशाली की शादी भी हो गई—- उसके 1 साल बाद विकास की शादी के लिए भी लड़की देखना शुरू की लेकिन———
विकास जब इंजीनियरिंग में था तभी उसको उसके साथ पढ़ने वाली लड़की से प्यार हो गया और वह अपनी मां को बताता है कि मैं तो अन्वी से ही शादी करूंगा—- हम दोनों इंजीनियर हैं शहर में रहकर ही नौकरी करेंगे और बड़े भाई ने इतनी परेशानी उठाई है–मां मैं उनका भी ध्यान रखुंगा और आपका भी। मां को अपनी परवरिश, संस्कार पर पूरा भरोसा था उन्होंने भावेश से बात की और विकास की भी शादी अन्वी से करदी अब मां ने कहा—– मैं कुछ टाइम गांव में अपने बड़े बेटे भावेश के पास ही रहूंगी।
भावेश का 2 साल का बेटा था। मां का अपने पोते पीयूष के साथ बहुत मन लगता था। विकास पूरी तरह से शहर में रहने लगा और गांव भी आना बंद कर दिया विकास और अन्वी का कुछ समय से कोई पता नहीं चल रहा था ना तो कोई फोन करते थे! ना अपने भाई-भाभी या मां का कोई हाल पूछते एक दिन भावेश कहता है मां अपन सब विकास के पास चलते हैं।
भावेश अपने परिवार को और मां को लेकर जब विकास के घर जाता है तो पता चलता है—– विकास को कंपनी का बड़ा मकान मिल गया है, और नौकर चाकर भी घर का काम करने के लिए लगे हैं—— वहां कोई पार्टी चल रही थी! भावेश गार्ड को बताता है की विकास को बताओ उनके परिवार के लोग आए हैं—– तो गार्ड कहता है मैं– सहाब से बात करके आता हूं—थोड़ी देर में गार्ड आकर बताता है कि सहाब बोल रहे हैं उनको गेस्ट रूम में बिठा दो और बोल दो अभी——
पार्टी चल रही है! उन सबका खाने पीने का इंतजाम कर दो गार्ड आकर भावेश से बोलता है—- सर जी आप सब लोग गेस्ट रूम में बैठ जाएं साहब ने बोला है! और वहां पर आराम से फ्रेश होकर आराम करें खाना आपका भिजवा रहे हैं यह सुनकर भावेश को बड़ा दु:ख होता है! कि भाई को इतना टाइम भी नहीं है कि दौड़कर अपने भाई-भाभी, भतीजे और मां से मिले। सब लोग खाना भी खा लेते हैं लेकिन विकास और बहू अन्वी मिलने नहीं आते रात के 12 बज जाते हैं! मां को नींद आने लगती है सभी लोग थक गए थे इसलिए सो जाते हैं।
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सुबह जब नींद खुलती है तो विकास चाय नाश्ता नौकर के साथ भेजता है और साथ में खुद भी आ जाता है अरे— भैया-भाभी मां आप पहले बता देते की आने वाले हैं और अपने भतीजे को गोदी में ले लेता है—— मेरा प्रमोशन हुआ है उसकी पार्टी चल रही थी इस कारण सारे दोस्त लोग और हाई सोसाइटी के लोग आए हुए थे यह सुनकर भाई को बड़ा दुःख होता है—– क्या कहा— हम तेरे लिए लो— सोसाइटी के हो गए! हमको पार्टी में बुलाने में तुम्हें शर्म आ रही थी, मां से नहीं मिल सकता था, अरे—-
भैया आप तो नाराज हो गए!आपको पता है अन्वी को ज्यादा पसंद नहीं है, अच्छा—- तो अन्वी की पसंद चलेगी—— तुम मेरे भाई नहीं हो? और इस मां के बेटे नहीं हो? यह सुनकर विकास कहता है भाई क्या करूं! अन्वी कुछ ज्यादा ही फॉरवर्ड है! भावेश बोलते हैं अच्छा तो अपने परिवार के लोगों से मिलने भी नहीं आ सकती थी आखिर है तो इसी घर की बहू।
विकास कुछ सोचता है फिर बोलता है अन्वी तो अभी सो रही है रात को पार्टी में तीन चार बज गए थे अब तो वह देर से ही उठेगी यह सुनकर भावेश कहते हैं मुझे तुम्हारे घर में एक क्षण भी नहीं रुकना—– यह नाश्ता भी—– नहीं करना हम कहीं भी जाकर कर लेंगे रास्ते में और मां से बोलता है मां—–
आपका बेटा विकास बहुत फॉरवर्ड हो गया है !अमीर हो गया है! इसलिए उसको रिश्ते की कीमत नहीं है जिस भाई ने अपना नौकरी करने का निर्णय छोड़ दिया था इन भाई बहनों को पढ़ाने के लिए और मां आपने भी कितना त्याग किया उनकी परवरिश की इनके पास शहर में रहीं वह सब विकास भूल गया गलती तो पहले बेटे की होती है—— बहू तो बाहर से आती है! विकास ने बहुत रोकने की कोशिश की पर भावेश ने कहा नहीं हम वापस जा रहे हैं और वह मां और अपने परिवार को लेकर गांव चला गया।
एक दिन भावेश के पास अचानक अन्वी का फोन आता है भैया विकास को बचा लो उनकी बहुत ज्यादा तबीयत खराब है खून की कमी आ गई पहले तो भावेश को गुस्सा आता है कि क्या हुआ? तुम अब बता रही हो! और तुम्हें तो कोई रिश्ते की अहमियत ही नहीं है हम लोग आए तुम मिलने भी नहीं आईं और पार्टी मनाती रहीं! अब हमारी सब की याद आ रही है?
तुम्हारे इतने सारे दोस्त तो हैं, इतने सारे फॉरवर्ड परिवार हैं, वह मदद नहीं कर रहे क्या? अरे भैया आप समझते तो हैं इतने बड़े शहर में कोई किसी का नहीं होता हमसे बहुत गलती हो गई हमें माफ कर दीजिए जो खास रिश्ता होता है भाई बहनों का, मां का खून का रिश्ता उसका महत्व हमें अब समझ में आ रहा है मां से कहो मुझे माफ कर दें भैया-भाभी आप सब मुझे माफ कर दें!और वह गिड़गिड़ाने लगती है—- आखिर विकास भावेश का छोटा भाई ही तो था विकास
की हालत——- भावेश से देखी नहीं गई! भावेश जल्दी से सबसे बोला तैयार हो और विकास को देखने चल रहे हैं उसकी सहायता करते हैं।
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भावेश मां को और अपने पूरे परिवार को लेकर तुरंत विकास के पास आजाता है साथ ही अपनी छोटी बहन और बहनोई को भी खबर कर देता है ताकि वह भी तुरंत अस्पताल में विकास के पास आ जाते हैं अस्पताल में विकास को ऑक्सीजन लगी हुई थी उसका बुखार सिर में चढ़ चुका था और डॉक्टर बहुत क्रिटिकल स्थिति बता रहे थे, खून की भी कमी आ गई थी, जब खून की जांच की गई तो भावेश ने अपना खून विकास को दिया साथ ही उसके इलाज के लिए जितने भी पैसे लगे उन्होंने खर्च किए
अच्छे से अच्छे डॉक्टर को अस्पताल में बुलाने को कहा देखते देखते 2 दिन निकल गए अब विकास की स्थिति थोड़ी ठीक होने लगी थी विकास ने जैसे ही अपने परिवार को और भाई-भाभी, भतीजा को मां को और अपनी छोटी बहन बहनोई को अपने चारों तरफ देखा उसकी आंखें शर्म से नीचे झुक गईं और वह कुछ नहीं बोल पाया उसकी आंखों से आंसू बह निकले उसको समझ में आ रहा था की रिश्ते का महत्व क्या होता है आज मैं कितना भी कमा लूं कितना भी बड़ा आदमी बन जाऊं लेकिन अपने परिवार अपनी मां को अपने भाई बहनों को घर का बेटा ही समझ सकता है बाहर से आने वाली बहू को तो समझाया जा सकता है।
विकास और अन्वी को रिश्ते का महत्व अच्छी तरह से समझ में आ गया था उन्होंने कितना भी धन कमाया लेकिन “ये धन संपत्ति अच्छे-अच्छों का दिमाग खराब कर देती है” आखिर में रिश्ते ही काम आते हैं और अन्वी ने सबसे हाथ जोड़कर माफी मांगी कम से कम उसका पति उसका सुहाग आज ठीक होकर अपने घर जा रहा था।
सुनीता माथुर
मौलिक, अप्रकाशित रचना
पुणे महाराष्ट्र
# ये धन- संपत्ति ना अच्छे-अच्छों का दिमाग.. खराब कर देती है।