रिश्ते तकरार से नहीं प्यार से चलते हैं – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

सुषमा अपनी सहेली मीरा के घर आई हुई थी।बड़े दिनों बाद दोनों मिली तो बातों का सिलसिला शुरू हो गया।तभी मीरा की बहु चाय नाश्ता लेकर आ गई पहले उसने सुषमा के पैर छुए फिर दोनों सहेलियों को चाय सर्व की।वो वहाँ ज्यादा देर रुकी नहीं चली गई शायद जल्दी में थी।

सुषमा चुस्कियाँ लेकर चाय पी रही थी और बीच-बीच में सैंडविच भी खा रही थी।

“भई मीरा..चाय तो तेरी बहु ने बहुत टेस्टी बनाई है और सैंडविच खाकर तो मजा ही आ गया।”मीरा से बहु की तारीफ हजम नहीं हुई,तुरंत मुँह बनाते हुए बोली-“हम्म..नाश्ता तो मेरी बहु ने बढ़िया बनाया है पर जो रसोई का बेड़ा गर्ग किया होगा वो देखेगी तो तू अपना सिर पीट लेगी।”

“अरे मीरा तू भी क्या बेकार की बातें लेकर बैठ गई।तेरी बहु सब बनाकर ले आई ये क्या कम है?”

“ऐसे बनाने से क्या फायदा?समेटना तो मुझे ही पड़ेगा ना।तेरे को विश्वास नहीं हो रहा तो चलकर रसोई में देख ले।” मीरा सुषमा को उसके मना करने के बावजूद भी जबरदस्ती खींचकर रसोई में ले गई।सुषमा को वहाँ कुछ ज्यादा बिखरा हुआ नहीं दिखा बस ऐसा लग रहा था,कि जल्दी-जल्दी में सब काम किया गया होगा

इसलिए थोड़ा चीजें अस्त व्यस्त थीं।पर मीरा ने तो बहू को कोसने की जैसे ठान ही ली थी।मुंह बनाते हुए बोली -“देख..ये चाय,शक्कर का डिब्बा नीचे ही रखा है और चाय का भगोना गैस पर ही सड़ रहा है।यूँ नहीं कि इसे सिंक में पानी डालकर रख दे।रगड़-रगड़कर तो मुझे ही धोना पड़ेगा ना।

ब्रेड का डिब्बा भी प्लेटफॉर्म पर ही छोड़ दिया पता है ना बाद में सास सब समेट लेगी।जरा भी तौर तरीका नहीं सिखाया इसके माँ बाप ने बस अपनी मुसीबत हमारे गले मढ़ दी।” मीरा की बातें सुषमा को बिल्कुल अच्छी नहीं लग रहीं थी।वो उसे बोलने से रोक रही थी..मीरा धीरे बोल बहु सुन लेगी तो उसे बुरा लगेगा।..

“हाँ तो सुन ले ना,मैं किसी से डरती हूँ क्या?” मीरा का स्वर धीमे होने की बजाय और ऊँचा हो गया।उसकी बातें सुनकर बहु रसोई में आ गई और दुखी होते हुए बोली-“माँ,आप हर बात में मेरे माता-पिता को क्यों कोसती रहती हैं?मैंने तो यही सोचा,कि जल्दी से चाय नाश्ता बना लेती हूँ ताकि आप आराम से अपनी फ्रेंड के साथ बातें कर सकें

आपको किचन में नहीं आना पड़े।और जहाँ तक बात रसोई समेटने की थी तो सोचा बाद में कर लूँगी क्योंकि मेरी अर्जेंट कॉल थी।इसमें कौनसी बड़ी बात हो गई?” कहकर वो रोते हुए अपने कमरे में चली गई।
“मीरा आखिर तूने अपनी कड़वी बातों से बहु का दिल दुखा ही दिया ना।तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।”

“तेरी बहु समझदार हैं ना..इसलिए तू ऐसे कह रही है।”मीरा चिढ़ते हुए बोली

“मीरा वो कितनी समझदार है मुझे मालूम नहीं पर मैं अब समझदार बन गई हूं।”

“क्या मतलब..?”

“मतलब ये,कि मैंने रसोई में ज्यादा दखलंदाजी करना बंद कर दिया है।मैं तो तेरे से भी ज्यादा सफाई पसंद थी।हर चीज रसोई में करीने से रखती थी।शुरू-शुरू में मैं भी टोका-टाकी करती थी फिर एक दिन मुझे लगा कि इतने समय तक मैंने अपनी मर्जी से रसोई पे राज किया।जैसा चाहा,वैसा किया तो अब बहू भी इस घर का हिस्सा बन गई है उसका भी रसोई पर उतना ही हक बनता है।अब वो भी रसोई को जैसे रखना चाहे रख सकती है

बस उस दिन से मैंने टोकना छोड़ दिया।हाँ,कभी कुछ जरूरी लगता है तो कह देती हूँ।घर में शांति बनाए रखने के लिए अपनी आदतों से समझौता तो करना ही पड़ता है।मैं तो यही कहूँगी,कि तू भी अपनी आदतों को बदल ले..सुखी रहेगी…आगे तेरी मर्जी।” इतना बोलकर सुषमा अपने घर जाने लगी तो मीरा की बहु आ गई और बोली-“सॉरी आंटी जी,मुझे आपके सामने माँ जी को ऐसे नहीं बोलना चाहिए था।आपका भी मूड खराब हो गया।”

“नहीं बेटा,ऐसी कोई बात नहीं।सब घरों में ऐसा होता रहता है।बस मैं तो यही कहूँगी,कि हमें एक दूसरे की भवनाओं की कद्र करते हुए मिलजुलकर घर का काम करना चाहिए।कभी किसी को ऐसे कड़वे बोल ना बोलें जिससे घर में अशांति हो और घर जंग का मैदान बन जाए।”

“सही कहा आपने आंटी जी..अब से मैं भी चुप रहने की कोशिश करूंगी।”मीरा की बहु बोली।

“बहु,चुप रहने की जरूरत तुझे नहीं..मुझे है।क्योंकि यदि मैं ही फालतू नहीं बोलूंगी तो तुझे कुछ बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।”मीरा अपनी गलती स्वीकारते हुए बोली।

“ये हुई ना बात।”सुषमा खुश होते हुए बोली।

“माँ,मुझे माफ कर दो..अब से मैं साफ सफाई का पूरा ध्यान रखूंगी..अपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगी।”

“चल अब बहुत हो गईं बातें..जा अब ऑफिस का काम देख…वैसे तुझे अपने आपको बदलने की कोई जरूरत नहीं.तू जैसी है वैसी रहना।”कहकर मीरा ने बहु को गले से लगे लगा लिया तो उसकी बहु का चेहरा खिल उठा..!!!

जहां मीरा की कटु वचनों ने बहु के दिल को आहत किया तो वहीं उसके प्यार के दो बोल बहु के चेहरे पे वापिस मुस्कुराहट ले आए।ये बात मीरा के समझ में अच्छे से आ गई थी..कि रिश्ते तकरार से नहीं प्यार से चलते हैं उसने सुषमा का बहुत बहुत शुक्रिया अदा किया और उसे खुशी खुशी विदा किया।

कमलेश आहूजा

27/505

सिद्धाचल फेज 5

Hdfc बैंक के सामने

वसंत विहार

थाने (महाराष्ट्र)

#अशांति

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