रिश्तें फिर जुड़ गयें – गुरविंदर टूटेजा

Post View 714  रात के ग्यारह-सवा ग्यारह बजे होगें…तभी घंटी…फोन की घंटी….दरवाजे को भी जोर जोर से खटका रहा थे…आवाज़ सुनकर सभी अपनें कमरों से बाहर निकल आये दरवाजा खोला तो सामने बहुत सी भीड़ थी…शोर था आपके यहाँ आग लगी है पीछे की तरफ से धुआं आ रहा है…सुनकर सब घबरा गये क्योंकि नीचे … Continue reading रिश्तें फिर जुड़ गयें – गुरविंदर टूटेजा