रिक्त स्थान (भाग 43) – गरिमा जैन

Post Views: 3 वह रात जितेंद्र के लिए सबसे भारी , सबसे लंबी ,सबसे वीरान थी।रेखा के बिना जीवन की कल्पना करना बहुत मुश्किल था ।उसे हर तरफ रेखा दिखाई देती। कमरे के हर कोने में उसकी छाप थी ।हवा के झोंके से जब विंड शाइन की घंटियां बचती तो जितेंद्र को ऐसा लगता जैसे … Continue reading रिक्त स्थान (भाग 43) – गरिमा जैन