Moral stories in hindi : दरवाजे पर ढोल की आवाज सुनकर सुषमा जल्दी से अपने कमरे मै चली गई वो नई बहू का स्वागत नही कर सकती थी उसकी सास ने साफ कहा था शुभ काम से दूर रहना और अपने बच्चो का बुरा कौन सोच सकता है पूरी शादी मैं वो रस्म से दूर ही रही बेटे ने एक दो बार बुलाया भी पर काम का बहाना करके दूर ही रही।
सुषमा कमरे मै अपने पति की फोटो देख आंख मैं आंसू भरकर बोली कितने अरमान थे अपनी बहु का स्वागत जोर शोर से करूंगी लेकिन शायद किस्मत को मंजूर नहीं था
सुषमा को अपनी शादी का समय याद आ गया जब वो दुल्हन बन कर आई थी उसकी सास ने जोरदार स्वागत किया था चांदी की थाली मै पैर रखवा कर घर के अंदर बुलाया दुनियां भर के नेग बांटे सुषमा को सास ससुर का बहुत प्यार मिला महेश इकलौता बेटा था दो ननद थी जिनकी शादी होनी थी
महेश और सुषमा ने मिलकर दोनों की शादी खूब धूम धाम से करी सारी जिम्मेदारी सुषमा ने उठाई थी बहुत प्यार से सब चल रहा था सुषमा को अपनी किस्मत पर नाज़ होता ऐसा परिवार प्यार करने वाला पति और दो प्यारे बच्चे बेटा आकाश और बेटी सोनाली उसकी जान थे
जब बच्चे कॉलेज मैं आए तब अचानक सुषमा की खुशियों को नज़र लग गई महेश इस दुनियां को छोड़कर चले गए सभी एकदम सदमे मै थे कैसे इस स्थिति से निकले पर बच्चों और सास, ससुर के प्रति अपने कर्तव्य निभाने के लिए सुषमा ने ससुर के साथ महेश की जगह बिजनेस सम्हाला जल्दी ही वो सब सीख गई पर महेश के जाने के बाद सास का व्यवहार एकदम बदल गया।
वो सुषमा को ही जिम्मेदार मानती और अक्सर उसे ताने देती रहती उनके पति समझाते क्यों उसको और दुखी करती रहती हो पर उन्हे समझ नही आता
आकाश और सोनाली बड़े थे उन्हे भी गुस्सा आता उनकी मां को ताने सुनने पड़ते वो भी अपनी दादी से लड़ते पर सुषमा उन्हे समझाती की उन्होंने भी अपना बेटा खोया है परेशान है बोलने दो उन्हे ।
सुषमा घर के काम के साथ ऑफिस सम्हाल कर टूट चुकी थी इतना करने पर भी सहानभूति की जगह ताने मिलते पर बच्चों की खातिर सब सह रही थी सोनाली और आकाश रसोई मैं मदद कर देते जो सास को पसंद नही आता।
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आकाश ने पढ़ाई पूरी कर काम सम्हाल लिया अब सुषमा घर मैं रहती आकाश की शादी पक्की हो हुई सुषमा बहुत खुश थी की अब अपने अरमान पूरी करूंगी आखिर मेरा अधिकार है पर सास ने कड़ी चेतावनी दी कि किसी भी रस्म मैं सामने नही आना सुषमा के अरमान टूट गए पर बेटे की खुशी के लिए उसने मंजूर कर लिया
उसको रोना आ रहा और फ़ोटो को सीने से लगाकर रोए जा रही थी नीचे ढोल की आवाज बंद हुई और बेटे की आवाज सुनाई दी की जब तक मां नही आयेंगी हम अंदर नही आयेंगे
दादी बोली तू पागल हो क्या ऐसे मौके पर विधवा सामने नही आती
आकाश बोला दादी कैसी बात कर रही हो एक मां अपने बच्चे का बुरा कभी नही करती और ना होता ये सब किस्मत के खेल है इसके लिए किसी को दोष नही दे सकते और जब मां कर्तव्य निभा सकती है तो रस्म क्यों नही ये उनका अधिकार है जो कोई नही छीन सकता
हारकर सुषमा नीचे आई और रस्म पूरी करी अब उसे सुकून मिल गया था बेटे ने मां को गले लगा लिया ।
स्वरचित
अंजना ठाकुर ।
#अधिकार
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