न्यूयोर्क सिटी ….
क्वीन रेस्टुरेंट .. …
गहरे नीले रंग के सूट में आधे भरे और आधे खाली पानी के गिलास पर हाथ फेरते हुए एक लड़की बार – बार दरवाज़े की तरफ देख रह थी…. तभी उसका फोन बजा….. उसने देखा फोन पर अतुल दादा लिखा हुआ था…. उसने फोन उठाया और बोली
“हैलो…. “
“मनु..”. उधर से आवाज़ आयी
“जी दादा.. “
“कैसी हो? “
“ठीक हूँ दादा ….आप कैसे है” ??और आगे वो बोलते – बोलते वो रुक गयी
अतुल ने कहा -“मनु तुझे आना होगा पापा की तबियत ठीक नहीं है वो तुझे बहुत याद कर रहे हैं ‘”
ये सुन कर मनु आँखों में आँसू आ गए
“मनु तुम सुन रही हो ना… मनु”
“हाँ दादा ..
” तुम्हारी फाइट की टिकेट मैने करा दी है … कल की है ..अभी मेल की है … “
“दादा मै… “
“मनु ” फोन के दूसरी तरफ से किसी ने बोला
“माँ.”.. मनु ने भरे हुए गले से कहा
” कैसी है मरी बच्ची…? “
मनु कुछ बोल नहीं पा रही थी गला रुंध गया था .. आँखों से आँसू बहने लगे उसने बहुत मुश्क़िल से कहा -” ठीक ..हूँ
आप? “
“यहाँ कुछ भी ठीक नहीं है … वापस आ जा मेरी बच्ची “
हिचकियाँ भरते हुए मनु ने “हम्म ” कहा
“मनु…. मैं भेज दूँगा शिव को लेने और चलते वक़्त फोन करना … “
“हम्म “
उधर से फोन कट हो गया
मनु ने किसी को फोन किया… और वेटर को बुलाया…
वेटर आया तो उसने कहा – आइ हैव सम अर्जेंट वर्क टू डू….. आई हैव टू… सो आई डिड नॉट ऑर्डर एनीथिंग
“ओके मैम… नो प्रॉब्लम” उस वेटर ने कहा
मनु ने उस वेटर को थैंक्स कहा और रेस्टुरेंट से बाहर निकल गयी
रेस्टुरेंट से घर तक के रास्ते में मनु की आँखों में सारे बीते पल वीडियो की तरह चलने लगे…. यादें उसकी आँखों में आँसू बन कर उतर आयी और उन यादों में याद आया एक नाम “अनी”….
मनु ने अपनी आँखों को पोंछा तब तक उसका घर आ गया….. उसने टैक्सी वाले को पैसे दिए और घर के अंदर आ गयी …. उसने अपना पर्स में से फोन निकला मेल ओपन किया…..अतुल के भेजे हुए टिकिट को वो देख रही थी सुबह 11 बजे की फाइट थी उसने फोन एक तरफ रखा और कमरे मे जाकर बेड पर जाकर लेट गयी…उसकी आँखों के कोने से लगातार आँसू बह कर तकिए को भिगो रहे थे…… वो कब सो गयी उसे पता नहीं चला….. मनु की आँखें खुली तो शाम हो गयी थी……वो उठी और चाय बनाने के लिए रखा दी… उसने फोन देखा तो स्टेला कि तीन मिस कौल थी…. उसने स्टेला को फोन किया जो इस परदेस में उसकी सबसे अच्छी दोस्त थी….
स्टेला ने फोन उठाते ही कहा –
” वेयर आर यू? “
” एट होम… एंड टुमारो आई एम गोइंग टू इंडिया… “मनु ने कहा
“सड़नली…. व्हाट हैपेन्ड??? “
“पापा इज़ नॉट वेल “
“ओह!!….आर यू ओके? “
“ह्म्म्म…”
“आई विल ड्रॉप यू….”
“ओके…. “
मनु ने अपनी पैकिंग की और अगले दिन स्टेला के साथ वो ऐरपोर्ट के लिए निकल गयी …..
दूसरी तरफ मुंबई के ऐम्स हॉस्पिटल के हॉल में किसी फंक्शन की तैयारियां चल रहीं थी …..जहाँ ऐम्स के बड़े- बड़े डॉक्टर्स
आने वाले थे…. शाम के सात बज गए थे
और एक – एक करके डॉक्टर्स का आना शुरू हो गया था…..
डॉ. बिजॉय घोष जो कि इस पार्टी को होस्ट कर रहे थे जाने माने हार्ट सर्जन थे…. और सीनियर डॉक्टर्स में से एक थे .. सब उनका बहुत सम्मान करते थे आज अपनी पत्नी सुनंदा जो कि खुद भी डॉक्टर थी उनके साथ सबका स्वागत कर रहे थे…..
लगभग सब मेहमान आ चुके थे तभी उनमें से एक डॉक्टर ने कहा – डॉ घोष हम सब आ गए लेकिन आपने ये पार्टी किस ख़ुशी में दी है ये तो अभी तक बताया ही नहीं..
डॉ. घोष ने अपने हाथ में माइक लिया और बोले…. इस खूबसूरत सी शाम में मैं बिजॉय आपका दिल से स्वागत करता हूँ…..आप सब आए इसके लिए धन्यवाद….. और खुशखबरी ये है कि हम जो रिसर्च हार्ट पर कर रहे थे उसमें हमें कामयाबी मिली है और अब हम और ज़्यादा पेशेंटस का ट्रीटमेंट कर पाएंगे ….
डॉ. घोष के इतना कहते ही सारे डॉक्टर्स ने ताली बजायी और हूटिंग करने लगे
डॉ घोष ने फिर कहा – “इस कामयाबी के पीछे जिसका हाथ है वो है डॉ. अनिरुद्ध “
कहते हुए उन्होंने अनिरुद्ध को अपने पास बुलाया… अनिरुद्ध मुस्कुराते हुए डॉ. घोष के पास गया…
“सो लेडीज़ एंड जेंटेलमेन गिव राउंड ऑफ एप्लाउज् तो यंग एंड टैलेंटेड डॉ. अनिरुद्ध शर्मा…. “
सब तरफ से तालियाँ बजने लगी डॉ. घोष अनिरुद्ध कि पीठ थपथापाते हुए बोले – “आई एम प्राउड ऑफ माय बॉय “
अनिरुद्ध ने सिर झुकाकर उनकी बात का सम्मान किया
तभी किसी ने कहा – “थ्री चियर्स फॉर डॉ. अनिरुद्ध…. हिप हिप हुर्रे “
अनिरुद्ध मुस्कुराते हुए सबका धन्यवाद कर रहा था
डॉ. घोष ने कहा – “लेट्स एंजॉय द पार्टी “
सबने एक साथ एस कहा और हल्का म्यूज़िक बजने लगा….. सब अपने में बिज़ी हो गए कुछ डॉ. अनिरुद्ध से बात करने में लगे हुए थे कुछ खाने – पीने में
थोड़ी देर बाद अनिरुद्ध कोने में रखी हुयी खाली टेबल पर चेयर पर बैठ गया…उसने अपना फोन निकला और गेलारी में जा कर पिकस् देखने लगा …पिक्स स्क्रॉल करते हुए उसके हाथ एक पिक पर रुक गए … कुछ नमी उसकी आँखों में तैर गयी….
“तुम आज भी उस से मुहब्बत करते हो?” किसी ने पीछे से पुकारा
अनिरुद्ध ने अपना फोन बंद किया और पीछे देखा
डॉ. विधि आप??
हाँ तुम्हें बधाई देने आयी थी… उसने मुस्कुराते हुए कहा और अनिरुद्ध के सामने वाली चेयर पर बैठ गयी
“थैंक्स…. “
“तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया ? “
अनिरुद्ध मुस्कुराया और बोला – ” पता नहीं “
“पता करो वरना औरों को पता चल जायेगा ये दिला का डॉक्टर तो खुद ही दिल का मरीज़ है “- कहते हुए वो हँसने लगी
अनिरुद्ध भी हँसने लगा….. !!
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आपने मेरी कहानियों को बहुत प्यार दिया सराहा इसके लिए धन्यवाद ….एक नयी कहानी लेकर आयी हूँ आशा करती हूँ पसंद आयेगी….
“”” प्रेम का एक रंग होता है….. जब ये प्रेम का रंग किसी पर चढ़ता है तो वो पूरी तरह उसमें सराबोर होकर उसका हो जाता है … ख़ुद को इस रंग में डूबकर जो पूरी तरह किसी का हो जाए उसे रंगरेज़ कहते है … बस वो प्रेम सच्चा होना चाहिए …. क्योंकि भले ही कपड़ों पर चढ़ा हुआ रंग उतर जाए… पर जो प्रेम का रंग एक बार रंगरेज़ चढ़ा जाए वो फिर उम्र भर नहीं उतरता…””
धन्यवाद
स्वरचित
कल्पनिक कहानी
अनु माथुर
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