प्यार, विश्वास का गला घोंट दिया – शिव कुमारी शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

मैडम अब हम क्या कहें आपसे शायद हमारे दिए संस्कारों में ही कोई कमी रह गई जो आज यह दिन देखना पड़ा। इसके कारण किसी को मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहे। क्या सोचा था क्या हो गया। इसका उज्जवल भविष्य बनाने के लिए हमने क्या नहीं किया।इसे डाक्टर बनाने के लिए ,इसकी खुशी के लिए हमने बैंक से दो लाख रुपए का लोन लिया ताकि हम इसका डाक्टर बनने का सपना पूरा कर सकें।

हम दोनों कितनी तकलीफ़ें उठाकर, अपनी जरूरतों का गला घोंट कर अपने बच्चों का भविष्य संवारने में जुटे थे और इसने यह सिला दिया हमारे प्यार का, हमारे विश्वास का।यह कह नीता जी   फूट-फूटकर रोने लगीं।अब हम क्या करें समझ नहीं आ रहा नौकरी करूं, छोटे बेटे को देखूं या इसकी चौकसी करूं।

मेरी वैसे ही नियुक्ति बाहर है मैं सप्ताहंत में ही घर आ पाती हूं एक दिन के लिए। इन्हीं के सुख के लिए इतनी तकलीफ़ झेल रहे हैं। फिर वे जोर -जोर से रोने लगीं। मैंने उन्हें चुप कराया पानी दिया पीने को और चुप होने को कहा। देखिये नीता जी रोने से काम नहीं चलेगा हिम्मत रखिए। समस्या का समाधान शांति से सोचने पर निकलेगा।

तभी उनके पति सौरभ जी बोले मैडम अब रह ही क्या गया है सोचने को। लड़की की इज्जत सबसे बड़ी चीज होती है,जब इसने वही दांव पर लगा दी तो शेष बचा क्या।अभी इसकी उम्र ही क्या है मात्र सोलह साल और इस उम्र में यह लड़कों के साथ संबंध बनाने में लगी है।हम सोच रहे थे पढ रही है अब मैं क्या सोचूं मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा रहा है।अब इसका क्या करूं अभी भी बेशर्म सी खडी है जबकि मेरी गर्दन शर्म से झुकी जा रही है। कितना बड़ा धोखा दिया इसने हम सपने में भी नहीं सोच सकते थे।

यह वार्तालाप चल रहा है छात्रा निधि के माता-पिता द्वारा एक पी जी की मालकिन से जो किस्मत से उसी जगह प्रधानाचार्या 

रहीं थीं जहां के ये रहने वाले थे इसलिए मैडम कह कर सम्बोधित कर रहे थे।

अब आप लोगों को पात्र परिचय करवा दूं। निधि कोचिंग के लिए कोटा आई थी।वह नीट की तैयारी कर रही थी और कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा थी।

उसके मम्मी पापा दोनों नौकरी में थे। पापा स्कूल में लैब असिस्टेंट थे और मम्मी तृतीय श्रेणी अध्यापिका। उनकी नियुक्ति दूसरे शहर में थी सो वे वहां से सप्ताहंत में घर आ पातीं थीं। एक छोटा बेटा था जो नवीं कक्षा का छात्र था पापा के साथ ही रहता था। दोनों बच्चे उन्हें बड़े दुलारे आंखों के तारे थे और उनके सुखी भविष्य के लिए वे जी-जान से जुटे थे। मैडम के पी जी में छात्र रहते थे सो यह घटनाक्रम उनके घर में ही घटा था।

जो छात्र पी जी में रहता था उसने कमरे की खिड़की के कांच पर पेपर लगा दिया था। मैडम जब-तब अक्सर कमरे चेक कर लेतीं थीं कि सफाई वगैरह ढंग से हो रही है या नहीं।या कमरे में कोई अवांछित वस्तु का उपयोग तो नहीं हो रहा।सो उन्होंने उसे टोका यह खिड़की पर पेपर क्यों लगाया। दरवाजे के ऊपर वेंटिलेटर पर भी पेपर लगा दिया।

वह बोला मुझे रात को रोशनी में नींद नहीं आती बाहर गैलरी में लाइट जलती है सो बंद कर दिया असल में तो आज पता चला कि वह लड़की को कमरे में लाता था।

निधि को अपने परिवार की इज्जत, पढ़ाई की चिन्ता नहीं थी वह उस लड़के कपिल के प्यार में दीवानी थी। घर से जो पैसा आता वह उस पर खर्च करती। अक्सर लड़कियां अपने बॉयफ्रेंड से खर्च करवातीं हैं, महंगे-महंगे उपहार लेतीं हैं किन्तु यहां उल्टा था लड़की,लड़के के ऊपर खर्च कर रही थी।जब पहले पी जी में रही तब कुछ दिन तो ठीक रही पर इस लड़के कपिल के सम्पर्क में आने के बाद उसकी गतिविधियां बदल गईं। समय -असमय वह कमरे पर आने लगी सो मकान मालिक ने उससे कमरा खाली करने को कह दिया।तब उसने अपने मम्मी-पापा से झूठ बोल दिया कि मकान मालिक परेशान करते हैं लाइट नहीं जलाने देते सो रात को  पढ नहीं पाती। ऐसे ही और भी बाहने कर दिए।

अपनी बेटी की बातों पर विश्वास कर उन्होंने उसे होस्टल में कमरा दिलवा दिया और एक हजार रुपए दे वे वापस चले गए। अभी तीन दिन ही बीते थे कि निधि ने घर पैसों के लिए फोन किया पापा पैसे चाहिए।तब पापा ने कहा कि अभी तो देकर आया हूं इतनी जल्दी खर्च कैसे हो गये।

वह रोते हुए बोली पापा मेरे पैसे किसी ने चुरा लिए।

वे फिर कोटा आये और होस्टल मालिक से शिकायत की ।

वह बोले होस्टल में आज तक किसी की चोरी नहीं हुई, मुझे विश्वास है कि पैसे चोरी नहीं हुए हैं इसी ने कहीं खर्च कर दिए होंगे और चोरी का इल्ज़ाम लगा रही है। बात ज्यादा बढ़ी तो पापा ने होस्टल में से निकाल उसे वापस एक पी जी में कमरा दिलवा दिया।

इस घटनाक्रम के पहले वह पापा से लैपटॉप भी जिद करके ले चुकी थी,कि मुझे पढ़ने के लिए लैपटॉप की बहुत जरूरत है। पापा ने पैसे उधार ले कर उसे लैपटॉप दिला दिया था। वे नहीं चाहते थे कि उसकी पढ़ाई में कोई व्यवधान हो।

हां तो वे उसे दूसरे पी जी में रखकर रात को ही घर पहुंचे थे कि सुबह ही मकान मालिक का फोन आ गया।आपकी बेटी रात भर कमरे पर नहीं आई है।आप आकर सम्हाल लें।

मम्मी-पापा उल्टे पांव वापस कोटा आये। निधि से पूछ-ताछ की कि वह कहां गई थी।

निधि बोली कि वह अपनी सहेली के कमरे पर रुक गई थी।

उन्होंने सहेली का नाम पूछा तो किसी लड़की का नाम बता दिया।

उन्होंने कहा हमें उसके कमरे पर लेकर चल।

पहले तो वह आनाकानी करने लगी किन्तु जब उसे डांट कर लें चलने को कहा तो वह मैडम के पी जी पर ले आई। उसने सोचा पापा बाहर से ही देख कर आ जायेंगे किन्तु मम्मी-पापा अंदर घुस गये और बोले कमरा बता कौन सा है।अब तो कमरा बताने के सिवा कोई चारा नहीं था।

कमरे का दरवाजा खटखटाते ही कपिल बाहर निकला वे उसे धकियाते कमरे में प्रवेश कर गये और पूछ-ताछ करने लगे। उनके द्वारा दिया लैपटॉप भी कमरे में रखा था जो निधि ने कपिल को गिफ्ट किया था। बात बढ़ती देख कपिल ने कमरे  से बाहर निकल कुण्डी लगा उन लोगों को कमरे में बंद कर दिया और वहां से भाग गया।

अब मम्मी रोने लगीं और जोर -जोर से दरवाजा पीट रहीं थीं और चिल्ला रहीं थीं कि खोलो हमें बंद कर दिया है। दरवाजा पीटने एवं रोने की आवाज सुनकर मैडम नीचे आईं जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला तीनों को देख हतप्रभ रह गईं।आप लोग कौन यहां क्या कर रहे हैं।तब उन्होंने पूरी बात बताई।

कहानी के प्रारंभ में जो वार्तालाप चल रहा है वह इसी वक्त का है।अब वे परेशान हो बोले अब हम क्या करें।इसे कैसे पढ़ायें आप ही कुछ राय दें ।

मैडम ने कहा तसल्ली रखें जो हुआ बुरा हुआ आपके साथ पर मारने पीटने से कुछ नहीं होगा।यह लड़की पटरी से उतर चुकी है अब इसे लाइन पर लाना मुश्किल है किन्तु नामुमकिन नहीं।पर  अब इसे आप यहां न छोड़ें अपने साथ ले जाएं। वहीं स्कूल में प्रवेश दिला दें।वह इस समय कुछ भी सोचने समझने के लायक नहीं है कारण प्रेम का भूत उस पर सवार है अतः उसे समय दो और नियंत्रण तो रखें किन्तु प्यार से। उसकी अवहेलना बिल्कुल न करें 

नहीं तो वह ओर विद्रोही हो जाएगी।समय सब कुछ बदल देता है।समय के साथ इसका भी मन बदल जाए इसे आप लोगों की परेशानियों का अहसास हो जाए, और अपने किये पर पश्चाताप।जब यह अपनी भूल के लिए आप लोगों से दिल से माफी मांगे और आपको इसका पूरा विश्वास हो जाए कि अब यह नहीं भटकेगी तब फिर बारहवीं के बाद यहां कोचिंग के लिए भेज देना। अभी इस वक्त इसको यहां से ले जाना ही उपयुक्त रहेगा नहीं तो कोई बड़ी अनहोनी भी हो सकती है।

आप भी समझदार हैं स्वयं भी और विचार कर लें जैसा आपको उचित लगे वैसा ही निर्णय लें।

मम्मी-पापा भारी मन से रोते हुए उसे वापस ले जाने पर सहमत हो गए। उन्हें भी यही निर्णय उचित लगा।

उनके जाने के बाद सुरक्षा के तहत मैडम ने कपिल के कमरे में ताला लगा दिया और चाबी अपने साथ ले गईं ।वह लौट कर नहीं आया । एक माह बाद उसने अपने किसी दोस्त को सामान लेने के लिए भेजा।तब मैडम ने उससे कहा पहले फोन पर मेरी बात करवाओ मैं तुम्हें नहीं जानती सामान कैसे दे दूं। बात करने के बाद भी मैडम ने उससे पेपर पर लिखवाया की मैं कपिल का सामान उसके कहने पर ले जा रहा हूं और अपना नाम,पता, फोन नंबर सब लिख कर दिया।

इस तरह दो बच्चों के माता-पिता के अरमान, इज्जत, सपने सब धराशायी हो गये। बच्चों ने उनके दिये संस्कारों  की धज्जियां उड़ा उन्हें एक तरह से गलत साबित कर दिया और अपना सुनहरा भविष्य भी पाने से पहले ही खत्म कर लिया।

 

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शिव कुमारी शुक्ला 

12-1-25

स्व रचित मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

वाक्य प्रतियोगिता*****हमारे दिए संस्कारों में कोई कमी रह गई होगी ।

 

यह सिर्फ एक कहानी नहीं है वरन् एक सत्य घटना पर आधारित है। केवल पात्रों के नाम बदल कर घटना को ताना-बाना बुन कहानी का रुप दिया गया है।यह घटना मेरे स्वयं के साथ घटी है। मैडम और कोई नहीं मैं स्वयं हूं।

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