प्रेरणा – कंचन श्रीवास्तव 

Post View 1,904 मनीष के द्वारा पकड़े कागज के पुलिन्दे  ने मेरे होश उड़ाए दिए। “सब कुछ संभला रहे तो पुरुष की वाह वाही जरा सा कुछ बिगड़ जाए तो ……………।” इन्हीं दो पाटों के बीच जिंदगी पिस कर रह जाती है  हां यही तो सुनती आ रहीं हूं वर्षों से,मुझे याद है जब भाई … Continue reading प्रेरणा – कंचन श्रीवास्तव