प्रेमालाप – पुरुषोत्तम : Moral Stories in Hindi

Post View 1,840 “क्या हमारा ब्याह न हो पायेगा आरू?” अरिंदम की बाँहों में सिमटी सुनयना ने आह भरते हुए कहा। “नहीं।” “क्यों आरू।” “क्योंकि तुम बड़े घर की हो और मैं छोटे घर का।” “लेकिन मुझे तुमसे दूर रहना होगा, यह सोचकर भी डर लगता है। मेरा ब्याह होगा किसी और से, तो तुमसे … Continue reading प्रेमालाप – पुरुषोत्तम : Moral Stories in Hindi