प्रतिभा और होड़ – प्रतिमा त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : खुद को संभालिये, पापा। अतुल भाई ने फोन पर बताया कि भाई अब खतरे से बाहर हैं। मेरी  भतीजी पूर्वी मेरे छोटे भाई प्रभुनाथ को समझा रही है। मुझे देखते ही प्रभुनाथ मुझे पकड़कर कहने लगा-

“कहाँ चूक हो गयी भाई साहब। मैंने तो कोई कमी नहीं रखी थी। आपको तो पता है न। इनको इस मुकाम तक पहुँचाने में , मैंने अपनी हर इच्छा को मार दिया। लेकिन….”  

वह हताशा में आगे कुछ कहने की परिस्थिति में नहीं था। मैं उसे सहारा देकर बाहर लाया। भतीजा अतुल जिस सयंम से स्थिति को संभाल रहा है, अविश्वसनीय है। आँखों में, उसका मासूम उपेक्षित चेहरा उतर आया। प्रभुनाथ ने उसका परीक्षा परिणाम देखकर उसपर चिल्लाते हुए कहा रहा था-

“यह रिजल्ट देखकर तुम्हें शर्म से डूब मरना चाहिए। किस कॉलेज में एडमिशन मिलेगा तुम्हें, सोचा है। सपनें तो इतने बड़े हैं कि उसकी ऊँचाई तक नजर भी न पहुँचे। और चले हैं  बड़े भाई से बराबरी करने। अरे तुम्हारी और उसकी कोई तुलना नहीं है। टॉपर है, तुम्हारा भाई। आजतक किसी परीक्षा में उसे किसी ने पछाड़ा नहीं। प्रभुनाथ का गुस्सा चरम पर था। और अतुल की माँ, मिठाई का टुकड़ा हाथों में लिए याचक मुद्रा में सबको ताकती रही। 

बीचबचाव करने के उद्देश्य से मैं ज्योहीं कहना शुरू किया। प्रभुनाथ ने मुझे बुरी तरह झिड़क दिया-“भैया, आप तो रहने ही दीजिये। आप के लाड़ प्यार ने ही इसे बिगाड़ा है। नहीं तो आज यह मुझसे गाली नहीं खा रहा होता। मेहुल के समय की तरह इसके लिए पूरे दोस्त रिश्तेदार को बुलाकर पार्टी करता।अखबार के हर पन्ने पर, टेलीविजन पर इसके ही चर्चे होते।

प्रभुनाथ का कथन, तब तो नहीं, परंतु अब सही साबित हुआ। अखबारों और टेलीविजन की खबर सुनकर ही तो मेरा यहाँ आना हुआ। पूरा शहर सकते में हैं। सिटी एसपी अतुल कुमार के बड़े भाई मेहुल राज ने अमेरिका स्थित अपने आवास पर आत्महत्या की कोशिश किया। इसके कारणों की पड़ताल हो रही है। अनुमान के आधार पर सब अलग अलग इसका कारण बता रहें हैं। 

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मेहुल शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहा। एक नंबर से भी कोई आगे बढ़ जाता तो उसके लिए वह पिछड़ना। जिंदगी हारने के समान होती। इस सोच को हवा पानी प्रभुनाथ की अकथ इच्छाओं और सपनों ने ही दिया। इंजीनियरिंग के बाद मेहुल एमबीए करने अमेरिका चला गया। एक विश्व प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी की और एक विश्वप्रसिद्ध कम्पनी में जॉब करने लगा।  उसे हमेशा से अव्वल रहने की आदत थी। अपने बुद्धि और परिश्रम से यहाँ भी सबको पछाड़ते हुए प्रतिष्ठित मुकाम हासिल किया।

लेकिन एकाएक मंदी की वजह से, कम्पनियों ने छटनी शुरू की। उसी छटनी में मेहुल की जॉब चली गयी। उसके अनुरूप ढंग की दूसरी जॉब मिली नहीं। भौतिकता से परिपूर्ण अमेरिका की जीवन शैली। उसकी गाड़ी बिना अर्थ के आगे कैसे बढ पाती। और अतुल की अव्वल रहने की आदत उसे परिस्थिति अनुसार निर्णय लेने की इजाजत नहीं दी। 

अतुल उससे भारत लौटने की गुहार लगाता रहा। लेकिन, सुविधाओं के नाम पर लिए कर्ज ने, उसे अपने देश लौटने की अनुमति नहीं दिया। और इस हताशा में मेहुल वह कर बैठा जिसकी आहट भाई ने तो सुन लिया मगर बेबुनियादी होड़ की हनक में  पिता को सुनाई नहीं दिया। अतुल ने अपने कांटेक्ट का इस्तेमाल किया और मेहुल की जान बचाने में सफल रहा।

“बड़े पापा चाय।” पूर्वी की आवाज सुनकर वापस वर्तमान में लौट आया। प्रभुनाथ एक ही रट लगाए था। अब उसे कैसे समझता कि नम्बर रेसिंग और प्रतिभा में बहुत अंतर होता है, भाई। रेसिंग से सिर्फ होड़ की सभ्यता विकसित होती है। और प्रतिभा से विषमताओं को पछाड़ने की संस्कृति। भौगोलिक स्खलन में सभ्यताएं तो नष्ट हो जाती हैं। परंतु, संघर्षशील संस्कृतियां उसके अवशेषों में भी बची रह जाती है। यही योग्यता प्रतिभा को कालजयी स्वरूप प्रदान करती है।

प्रतिमा त्रिपाठी

राँची झारखंड।

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