प्रणय अपहरण – रवीन्द्र कान्त त्यागी

Post View 1,409 आजकल न जाने क्यूँ बचपन की यादों के गुब्बारे रह रहकर दिमाग में फट रहे हैं। कहते तो ये हैं कि  इंसान के आखिरी समय में ऐसा होता है मगर, तुरंत तो ऐसा एहसास नहीं हो रहा है। बात पचास साल से भी अधिक पुरानी है। बचपन में हम जोधपुर में रहते … Continue reading प्रणय अपहरण – रवीन्द्र कान्त त्यागी