हाथ में पहली तनख्वाह आते ही सपना की आँखें खुशी से चमक उठी।अब वह माँ के लिए नया चश्मा बनवा देगी, छोटे भाई जीतू के लिए नया स्कूल बैग और अपने लिए भी एक अच्छी-सी ड्रेस ले लेगी।कब से दो जोड़ी सूट को ही घिसे जा रही है।यही सब सोचते हुए वह सड़क पार कर ही रही थी कि अचानक उसने एक वृद्ध को सड़क पर बेहोश होकर गिरते देखा।आसपास भीड़ जमा हो गई, सब एक-दूसरे से ‘ कौन है?’ पूछने लगे।लेकिन किसी ने भी उन्हें उठाने की कोशिश नहीं की।थोड़ी देर बाद बाद सभी अपने-अपने रास्ते चल दिए।उसका मन भी वहाँ से जाने को हुआ लेकिन फिर कुछ सोचकर उसने ऑटोरिक्शा बुलाया और उस वृद्ध को बिठाकर पास के अस्पताल ले जाकर भर्ती करा दिया।डाॅक्टर ने चेकअप करके बताया कि चिंता की कोई बात नहीं है, थोड़ी देर में होश आ जाएगा।उसने घर पर फ़ोन करके माँ को कह दिया कि आने में थोड़ी देर होगी और वहीं बैठकर पेशेंट के होश में आने का इंतज़ार करने लगी ताकि पता पूछकर उनके घरवालों को खबर दे सके।
अस्पताल आने,डाॅक्टर की फ़ीस और दवाइयों में उसकी तनख्वाह के आधे से अधिक पैसे खत्म हो चुके थें।अब माँ का चश्मा, जीतू का बैग कैसे…, सोचकर वह उदास होने लगी लेकिन फिर सोचा,किसी की जान बचाना ज़्यादा ज़रूरी है।चश्मा अगले महीने बनवा दूँगी।तभी उसे कराहने की आवाज़ सुनाई दी,वह दौड़कर उनके पास गई।वृद्ध ने हाथ के इशारे से उसे थैंक्स कहने का प्रयास किया और उसे अपने बेटे का फ़ोन नम्बर बता दिया।
सपना ने फ़ोन करके उनके बेटे को अस्पताल का पता बता दिया और घर चली आई।माँ को पूरी बात बताकर बोली,” माँ मेरी पहली कमाई ….” ” का तूने सही उपयोग किया है।बेटी,परमार्थ और परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं है।तूने उनकी जान बचाकर एक नेक काम किया है।पैसा तो फिर आ जाएगा।” माँ ने बेटी के कथन को पूरा कर दिया।
अगले दिन जब वह ऑफ़िस जाने लगी तो कोरियर वाले ने उसे एक लिफ़ाफा दिया।उसने खोल कर देखा तो उसमें पाँच हजार रूपये थे और एक अपाॅइंटमेंट लेटर था।साथ में एक नोट लिखा था – “सपना जी, धन्यवाद!मेरे पिता अलज़ाइमर की बीमारी से ग्रसित हैं।आपने उनकी जान बचाकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है।हमारी तरफ़ से छोटी-सी भेंट है।मेरी कंपनी का अपाॅइंटमेंट लेटर भी है।आप चाहे तो आज से ही ज्वाइन कर सकतीं हैं।धन्यवाद!” पढ़कर वह खुशी से चिल्लाई,” माँssss ” पत्र देखकर माँ बोली, ” ये तेरी अच्छाई का पुरस्कार है।” ” हाँ माँ ” कहकर उसने ऑफ़िस में फोन करके कह दिया कि वह काम पर नहीं आयेगी और अपने नये ऑफ़िस जाने के लिए ऑटो में बैठ गई।
——– विभा गुप्ता