पितृदोष – ऋचा उनियाल बोंठियाल

Post Views: 3 “अरेsss ओ sss साहब, टिकट !” तेज़ आवाज़ से नरेश की तंद्रा टूटी। उसने हड़बड़ा कर देखा, सर पर कंडक्टर खड़ा था और उसे ही घूर रहा था। “ओह !! माफ करना भैया मेरा ध्यान कहीं और था …ये रहे टिकेट, एक मेरा और एक इनका, अपनी मां वसुंधरा जी की तरफ़ … Continue reading पितृदोष – ऋचा उनियाल बोंठियाल