परिवार की एकता – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :  विनोद बड़बड़ाते हुए घर के बाहर चला गया कि ‘भाभी को अभी तक भोजन बनाना नहीं आया, सब्जी में कितना नमक डाल दिया कोई खाए तो कैसे खाए,पता नहीं कब अकल आएगी इन्हें।’ प्रभा जी बहुत अच्छा भोजन बनाती थी, मगर विनोद की आदत पड़ गई थी नुक्ता चीनी निकालने की।

प्रभा जी का बेटा राहुल जो दसवी कक्षा में पढ़ता था, भोजन कर रहा था। वह बोला- ‘माँ सब्जी में बराबर नमक डला है। आप कुछ कहती क्यों नहीं? काका रोज किसी न किसी बात पर आप पर चिल्लाते हैं। रजनी भुआ भी किसी न किसी बात पर आपसे लड़ाई करती रहती है। मुझे अच्छा नहीं लगता माँ।

आप हमसे तो कहती हैं कि काका और भुआ हमसे बड़े है, हम उनका आदर करे। आप तो काका और भुआ से बहुत बड़ी है, आप उन्हें क्यों नहीं टोकती?’ ‘बेटा! तुम शांति से भोजन करो।व्यर्थ की बातों पर ध्यान न दो, तुम्हारा उद्देश्य है अच्छी पढ़ाई करो और अपना लक्ष्य प्राप्त करो और हमेशा बड़ो का सम्मान करो।’

  ‘पर माँ, आप काका और भुआ को…..।’ प्रभा जी ने बात को बीच में काटते हुए कहा-  ‘तुम चाहते हो ना कि मैं काका और भुआ को कुछ कहूँ? अच्छा बेटा बताओ मैं अभी काका को कुछ कहती, फिर वे कुछ कहते, फिर मैं कुछ कहती बात बढ़ जाती और घर की शांति भंग होती।तुम्हारे दादाजी को कितना बुरा लगता। बात इतनी सी थी विनोद भैया को सब्जी में नमक ज्यादा लगा, कल से कुछ कम डालूँगी।

ये कहानी भी पढ़ें :

बहन… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

और बेटा! मैं जानती हूँ, तुम्हारे काका मन के बहुत साफ है, गलती लगती है, तो बोल देते हैं। मगर वो तुझे और रानी को प्यार भी तो बहुत करते है। अभी आठ दिन पहले जब मेरी तबियत ठीक नहीं थी, तुम्हारे पापा तो बाहर गॉंव में थे। विनोद भैया ने मेरा कितना ध्यान रखा था।बेटा ये जो रिश्ते होते हैं ना, इनकी डोर बहुत नाजुक होती है, इसे प्यार से सहेजना पड़ता है, एक बार टूट जाए तो मुश्किल से जुड़ते हैं, “रिश्तों के बीच कई बार छोटी छोटी बातें बड़ा रूप ले लेती है।”

और फिर परिवार बिखर जाते है। तुम कई बार पूछते हो ना कि मैं तुम्हारे मामा- मामी की इतनी चिंता क्यों करती हूँ? उसका कारण यही है बेटा की अब वे गाँव में अकेले रह गए हैं। पहले तुम्हारे नाना का बड़ा परिवार था। मेरे ताऊजी- ताई जी, काकाजी-काकीजी सब साथ रहते थे हम दस भाई बहिन साथ रहते थे।

घर में एक छोटी सी बात को लेकर झगड़ा शुरू हुआ सहन शक्ति किसी में नहीं थी, बात बहुत बढ़ गई,और उसकी परिणाम यह हुआ कि एक घर के तीन घर हो गए। गाँव में हमेशा किसी बात को लेकर दंगा होता रहता है, सब साथ थे, तो हिम्मत रहती थी। आज तुम्हारे नानाजी और नानी जी भी नहीं रहै, मामा-मामी  अकेले है, इसलिए चिंता होती है, उनके सुख-दु:ख में कोई उनके साथ नहीं है। परिवार का अपना एक अलग महत्व होता है।

ये कहानी भी पढ़ें :

समझदारी से रिश्ते बनते है – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

जब तुम्हारी दादीजी का स्वर्गवास हुआ उन्होंने मुझसे कहा था-“प्रभा! विनोद और रजनी नादानियां करते हैं,मेरे जीवन का कोई ठिकाना नहीं है, तुम उनका ध्यान रखना। यह जिम्मेदारी मैं तुम्हें सौंप रही हूँ।” बेटा जैसे तुम और रानी मुझे प्यारे लगते हो वैसे ही विनोद भैया और रजनी मेरे अपने है। मैं नहीं चाहती हूँ बेटा कि हमारा परिवार बिखरे।

मैं चाहती हूँ कि तुम मेरी मदद करो, अपने दादाजी, पापा, काका, भुआ सभी का सम्मान करो, बेटा हमारी एकता ही हमारी शक्ति है। भुआ ससुराल चली जाएगी। काका की शादी होगी, काकी आएगी। समय के साथ कुछ रिश्ते साथ छोड़ जाते हैं और कुछ  नए रिश्ते बनते हैं। हर रिश्ते के साथ तालमेल बिठाकर जीना ही जीवन की सफलता है। मेरी यह बात ध्यान रखना।’ राहुल ने कहा- ‘माँ आप सही कह रही हैं।’

प्रभाजी ने राहुल को गले से लगा लिया और कहा – ‘मेरा राजा बेटा, अब जाओ अपनी पढ़ाई करो। दादाजी की दवाई का समय हो गया है, मैं उन्हें दवाई देकर आती हूँ।’ विश्वंभर नाथ जी चुपचाप दरवाजे पर खड़े हुए उनकी सारी बातें सुन रहै थे। वे अपने बिस्तर पर जाकर सो गए। जब प्रभा जी उन्हें दवाई देने के लिए गई, तो उन्होंने प्रभा जी के सिर पर हाथ रखा और कहा बेटा तूने सही कहा “रिश्तों के बीच कई बार छोटी छोटी बात बड़ा रूप ले लेती है”

ये कहानी भी पढ़ें :

चाहत- एक बहन की…. – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

मुझे विश्वास हो गया है कि तू इस घर को बिखरने नहीं देगी, हमेशा खुश रहो। उनकी आवाज और ऑंखों  में नमी आ गई थी। प्रभाजी ने कहा आप दवाई लेकर आराम करे बेकार की चिंता न करे। हमारा परिवार हमेशा एक साथ रहै, मैं हमेशा यही कोशिश करूँगी।’ प्रभाजी की सद्भावना और मेहनत रंग लाई। विनोद की शादी हुई तो विनोद ने शोभा से कहा ये भाभी नहीं माँ की तरह पूजनीय है

हमेशा इनकी बातों का मान रखना राहुल और रानी अपने बच्चे है, इन्हें प्यार से रखना, कोई गलती करे तो प्यार से समझाना। हमारी एकता ही हमारी शक्ति है उसे कायम  रखना। शोभा ने भी सबको खुले दिल से अपनाया इस घर में रिश्तों के बीच छोटी छोटी बातों ने बड़ा रूप नहीं लिया क्योंकि घर के सभी लोगों में एक सामंजस्य था।

प्रेषक-
पुष्पा जोशी
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!