परिवार के बिना कुछ नहीं – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

चलो रिया.. फटाफट से तैयार हो जाओ शाम 6:00 बजे का शो है और मैं एक भी सीन मिस नहीं करना चाहता और हां खाना बनाने की झंझट में मत पडना हम खाना बाहर ही खाकर आ जाएंगे!

वह सब तो ठीक है शुभम, एक बार मम्मी पापा से तो पूछ लो! अरे उनसे क्या पूछना..  वह तो मना ही करेंगे, नहीं… फिर भी एक बार  हमें पूछना चाहिए! ठीक है.. तुम्हें मुझसे ज्यादा उनकी परवाह रहती है

तो तुम ही पूछ लो, अच्छा बाबा सॉरी, वैसे भी अभी घर पर कोई नहीं है, चलो मैं चलती हूं! आते आते दोनों को 11:00 बज गए, आते ही मम्मी जी ने पूछा…

बेटा तुम लोग बाहर गए थे तो कम से कम बता कर तो जाते, तुम दोनों का फोन भी बंद आ रहा था, मैंने सारा खाना बना लिया,  और अब सारा खाना बेकार जाएगा,

इस तरह खाने की बर्बादी ठीक नहीं है ,आज कल तुम दोनों बिना बताए कहीं भी चले जाते हो  यहां मैं और पापा  इंतजार करते रहते हैं और तुम्हें फिक्र ही नहीं है,

एक बार अगर कह दो तो हम क्या तुम्हें  जाने से मना करेंगे, तुम बच्चों को तो अपनी ही जिद्दी पूरी करनी होती है, ऐसा कहकर  रामादेवी अपने कमरे में आ गई!

तब शुभम रिया से बोला.. कहा था ना मैंने.. इनको कुछ बताओ या ना बताओ यह लोग हर हाल में  प्रवचन  देकर ही रहेंगे, परेशान हो गया मैं  इनसे, मैं चाहता हूं

अब हम अलग से रहे ताकि रोज-रोज की किचकिच खत्म हो जाए और हम अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी जी सके! अभी शुभम और रिया की शादी को 2 साल ही हुए थे,

अगले दिन शुभम ने अपने पापा मम्मी को अपना फैसला सुना दिया, पापा तो चुपचाप बैठे रहे किंतु मम्मी ने शुभम और रिया को खूब समझाया की बेटा… छोटी-छोटी बातों पर नाराज होना सही नहीं है,

और उस पर अलग हो जाना तो बिल्कुल ही गलत है! रिया ने भी शुभम को बहुत समझाया पर शुभम को लगता था कि उसके मां-बाप उनकी जिंदगी में बेवजह दखल देते हैं,

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पापा ने सिर्फ इतना कहा अलग घर लेने की कोई जरूरत नहीं है मकान में ऊपर वाला पोर्शन खाली है तुम उसमें रह सकते हो अगर तुम चाहो तो…!

और आज के बाद हम तुम्हारी जिंदगी में दखल नहीं देंगे तुम्हें जैसे जीना है वैसे ही जियो! बस शुभम तो यही चाहता था और अगले दिन ऊपर शिफ्ट हो गया,

2 दिन बाद रिया ने कहा… शुभम ऑफिस से आते समय सब्जियां दूध और राशन का सामान ले आना, शिवम को गुस्सा तो बहुत आया पर क्या करता, ऑफिस से आने के बाद उसने सोचा था

घर जाकर मैच देखूंगा पर 2 घंटे तो उसके सामान लाने में ही खराब हो गए, थकान के मारे भूख भी तेज लगने लगी थी, घर आकर देखा खाने में केवल दाल रोटी बना रखी थी, शुभम ने कहा..

यह क्या.. बस दाल रोटी ,शुभम… तुम्हें पता है ना पूरे दिन घर को जमाते जमाते मैं थक गई थी, इतना बना दिया यह भी कम नहीं है, अगले दिन जब रिया चाय बनाने लगी देखा सिलेंडर खत्म हो गया,

उसने शुभम को जगाया और कहा  कहीं से सिलेंडर का इंतजाम करो वरना आज चाय और खाना कुछ नहीं मिलेगा! अरे यार पहले तो यह सब परेशानी नहीं होती थी!

हां तो.. अब अलग रहोगे तो जिम्मेदारी तो निभानी ही पड़ेगी ना, नीचे तो पापा मम्मी सब संभाल लेते थे, खैर जैसे तैसे एक दो महीने निकल गए! शुभम की बुआ जी की बेटी की 15 दिन बाद शादी थी,

शुभम ने देखा नीचे मम्मी पापा और उसकी बहन खूब शॉपिंग कर रहे हैं और खूब हंसी मजाक चल रहा है, कभी बुआ जी आती है कभी चाची आई है, कभी मामा  मामी आए हुए है,

कोई ना कोई मेहमान आता रहता और वह दोनों बस ऊपर अकेले पड़े रहते, शुभम का  बहुत मन था शादी में जाने का, किंतु शुभम के पापा ने एक बार भी शुभम से नहीं कहा

और शुभम के पापा मम्मी और बहन तीनों शादी में जाकर आ गए , शुभम को अब ना  मूवी देखने का मन करता ना कहीं घूमने जाने का मन करता,  घर के काम ही खत्म नहीं होते

और  उन्हीं  में बेचारा थक जाता, आज शुभम की बहन का बर्थडे था,  घर में तैयारी हो रही थी, रिया काफी रो रही थी हर बार वह सब की खुशी और गम में शामिल रहती थी

किंतु इस बार वह दोनों बिल्कुल अलग थे, घर वालों ने भी उन्हें पूछना या बुलाना उचित नहीं समझा, रिया को रोते देखकर शुभम को भी रोना आ गया और उसने कहा…

रिया सच में हमने अलग होकर बहुत बड़ी गलती की है, जब हम परिवार के साथ थे तो माना कभी-कभी नोक झोक होती थी लेकिन फिर भी हम खुश थे,

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किंतु मेरी ना समझी की वजह से सब कितना दुखी है, चाहे मम्मी पापा और छोटी बहन अपना दर्द  दिखाते नहीं है पर मैं जानता हूं उन्हें हमारे बिना कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा होगा,

मैं जान गया नाराज होकर अलग होने में कोई सुख नहीं है, हमें अभी मम्मी पापा के पास जाना होगा, और माफी मांगनी होगी, रिया भी तो इसी इंतजार में थी और फिर

रिया और शुभम ने नीचे आकर अपने पापा मम्मी से कहा.. पापा मम्मी माना कि हम ना समझ थे पर आप भी हमसे नाराज हो गए, आपने तो हमें किसी भी चीज में बुलाना तक  उचित नहीं समझा,

क्या हम इतने पराए हो गए? नहीं बेटा.. मैं तो बस तुम्हें एहसास करना चाहता था की परिवार से अलग होना कोई समझदारी नहीं है, उतार-चढ़ाव किस परिवार में नहीं

आते तुम नाराज होकर हमसे अलग रहने चले गए पर क्या तुम खुश रह पाए? इसलिए बेटा परिवार के साथ रहने में ही असली आनंद है,

हां कुछ हमारी भी गलती है कि हम तुमको कई बातों की मना करते थे किंतु हम दोनों को ही अब समझना होगा और तभी शुभम की छोटी बहन बोल पड़ी…

भैया भाभी.. क्या आप मुझे बर्थडे विश नहीं करोगे, आओ भैया भाभी हम सब मिलकर साथ में ही केक काटेंगे और फिर वातावरण खुशनुमा हो गया!

      हेमलता गुप्ता स्वरचित

#नाराज

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