परिवर्तन – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    अरे,सुमन ये अपने फ्लैट में लाइट क्यों नही है?पूरी सोसाइटी में तो बिजली आ रही है।

        वो हम समय से पहले रिचार्ज कराना भूल गये थे ना,इसलिये आज बैलेंस समाप्त हो जाने के कारण बिजली कट गयी है।आज रात अंधेरे में ही काटनी पड़ेगी,सुबह 9 बजे के बाद ही री कनेक्शन हो पायेगा।

        क्या——अपनी बिजली काट दी गयी?ओह।

         वह तो भला हो पड़ौसी सत्यम का उसने अपने फ्लैट से डोरी डाल कर कनेक्शन दे दिया,तब जाकर घर मे उजाला हुआ ,अन्यथा पूरी रात शमित जी को अंधेरे में ही रहना पड़ता।शमित जी को ये तो राहत मिल गयी कि पड़ौसी की मदद से उनके घर मे लाइट जल गयी, पर सबसे अधिक उन्हें क्रोध इस बात पर था कि एक पूर्व आईएएस अधिकारी का इतना भी लिहाज नही किया गया कि रात भर रुक जाते।इस घटना ने उन्हें रात भर सोने नही दिया।

          हे, रामू इधर आ,देखो पूरी कोठी पर इस तरह लाइटिंग होनी चाहिये जिससे पूरी कोठी का लुक लाजवाब आये,समझ रहे हो ना।जी,सरकार ऐसे ही होगा।शहर के नामी इलेक्ट्रिकल शो रूम के मालिक को बुलाकर कह दिया गया है।सरकार देखना दीवाली पर अपनी कोठी सबसे अधिक जगमगाएगी।शमित जी दीवाली से दो माह पूर्व ही यहां डी.एम. नियुक्त हुए थे।शमित जी की गिनती एक सख्त प्रशासक के रूप में होती थी।

सख्त प्रशासक होना तो अच्छा होता है,पर शमित जी अपनी सख्ती को अपने अहंकार की सीमा तक  ले गये थे,जरा भी मानवीय लचक उनमें थी थी ही नही।एक दिन उनके जिले का ही एक व्यक्ति उनके पास आया और बोला साहब नगर पालिका की ओर से उनके खिलाफ 25000 रुपये के बकाया की रिकवरी जारी की गयी है,पर साहब जी मैंने तो सब जमा किया हुआ है,हां इस वर्ष जरूर दो हजार रुपये बाकी है,जो मैं जमा करने को तैयार हूँ,

पर अमीन और तहसीलदार मानने को तैयार नही है, उनका कहना है कि पहले ये जमा करा दो।शमित जी बोले तहसीलदार ऐसे ही थोड़े कह देंगे,एक साल का बकाया तो तुम ही स्वीकार कर रहे हो,इस कारण तुम डिफाल्टर तो हो ही।शमित जी ने उन्हें अपने ऑफिस से ही गिरफ्तार करा दिया।वह चीखता रह गया साहब मैं तो न्याय मांगने आया था आपने तो जेल ही दिखा दी।भगवान सब देखता है।रोते हुए उस व्यक्ति को जेल भेज दिया गया।

अगले दिन उसके बेटे ने बकाया रकम जमा करके अदालत से रिहाई आदेश प्राप्त किये।तब जाकर वह व्यक्ति जेल से बाहर आया।शमित जी के बारे में पूरे जिले में यह प्रसिद्ध हो गया था कि यह अधिकारी नितांत अव्यवहारिक और गुस्सेल टाइप का है।पूरा स्टाफ भी उनसे कांपता था, पता नही सामने पड़ने पर क्या आदेश हो जाये या किस बात पर डांट पड़ जाये।

      शमित जी अपने पूरे कार्यकाल में सदैव ही अलोकप्रिय रहे।पर आईएएस अधिकारी होने के कारण उन्हें कोई भी आईना नही दिखा सका।यही कारण था वे हमेशा अहंकार में ही डूबे रहे।रिटायरमेंट के बाद उन्होंने दिल्ली के पास नोयडा में रहने का निश्चय किया।एक पोस सोसाइटी में उन्होंने एक बड़ा  सा फ्लैट खरीद कर लिया,जिसमे आलीशान आंतरिक सज्जा भी करा ली।सब कुछ होने के बाद उन्हें समस्या आती समय काटने की।

अब रिटायरमेंट के बाद कोई काम धाम तो था नही,एक नौकरानी पूरे समय को रख ली थी,एक बेटा था,वह भी विदेश में था,सो उनके पास अब समय ही समय था।सोसायटी के पार्क में जाते तो उन्हें वहां अन्य सीनियर सिटीजन मिलते,पहले तो उन्होंने उनसे कभी बात ही नही की,अपने नशे में चूर उन्हें उन्होंने कुछ समझा ही नही,फिर धीरे धीरे एक दो से बात करनी शुरू भी की तो अपने सर्विस काल के रुतबे की ही बात उनसे करते रहते।दूसरे की सुनना उन्होंने कभी सीखा ही नही था,सो यहां भी लोग उनसे कटने लगे।

     उस दिन भी वे दो दिन बाहर रहकर फ्लैट में आये थे तो वहां रिचार्ज न होने के कारण बिजली कटी पायी तो उन्हें लगा कि जीवन भर का कमाया रुआब झड़ गया है।अगले दिन बिजली का मीटर रिचार्ज कराया तब बिजली आयी।चूंकि पहली रात्रि को पड़ौसी सत्यम ने उन्हें अपने फ्लैट से बिजली उपलब्ध कराई थी,तो उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें सत्यम का धन्यवाद करना चाहिये।जिंदगी में पहला अवसर था जब शमित जी को किसी को धन्यवाद कहना पड़ रहा था।

      सत्यम ने उन्हें आदर के साथ अपने ड्राइंग रूम में बिठाया,उनकी पत्नी ने चाय सर्व की,तो इसी बीच बात चीत चली।शमित जी ने बताया कि वे आईएएस अधिकारी रहे है,और फिर वे अपने रुआब के बारे में बात करने लगे।सत्यम जी उनकी बात सुनते रहे और हंसते भी रहे।उनको हंसता देख शमित जी एकाएक चुप हो गये और बोले सत्यम जी आप मेरी बात पर हंस क्यो रहे हैं?सत्यम जी एकदम चुप हो गये और बोले वेरी वेरी सॉरी शमित जी,असल मे मुझे हंसी इस बात पर आ रही थी,कि आप अभी तक उस दुनिया से नही निकल पाये हैं,

इसीलिये दुखी रहते हैं, अकेले रहते हैं।शमित जी मैं भी आईएफएस रहा हूँ पर मैं उस समय को भूल वर्तमान में जीता हूँ।शमित जी हमारे वे पुराने दिन कभी वापस नही आने वाले,तो उन्हें याद कर क्यो दुखी होना।कभी हम खास थे पर आज तो आम हैं, सो सब अपने बराबर ही हैं, तो क्यो न उनके साथ ही हँसते मस्ती करते शेष जीवन पूरा किया जाये।

      बातों बातों में सत्यम जी ने शमित जी को शेष जीवन को शांति और सुख के साथ जीने का मंत्र दे दिया था।चाय समाप्त हो गयी थी,शमित जी उठे और गर्मजोशी के साथ सत्यम जी से हाथ मिलाते हुए बोले सत्यम जी शाम को पार्क में मिलते हैं, आओगे न?सत्यम जी आश्चर्य से इस परिवर्तन को अनुभव कर रहे थे।

बालेश्वर गुप्ता,नोयडा

मौलिक एवं अप्रकाशित।

*#इतना गुमान ठीक नहीं…..परिस्थितियाँ मौसम की तरह जाने कब रंग बदल लें* साप्ताहिक वाक्य पर आधारित कहानी:

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