“परिवार” – ऋतु अग्रवाल 

Post View 569  “संपदा, जल्दी करो भाई! कितनी देर लगाती हो तैयार होने में? तुम्हारे चक्कर में हर बार देर हो जाती है।” पुलकित बाहर से आवाज लगा रहा था।       “आई! बस दो मिनट।” संपदा ने प्रत्युत्तर दिया।       “इसके  दो मिनट पता नहीं कब पूरे होंगे?” पुलकित बड़बड़ाने लगा।     “चलो” संपदा बाहर निकल आई।    पुलकित … Continue reading “परिवार” – ऋतु अग्रवाल