बाहर से अख़बार उठाते ही कुछ पम्पलेट बाहर गिर गये, सबको उठाते हुये एक पम्पलेट पर स्नेहा की नजर रुक गई, एक नामी ब्रांड ने, अपने ब्रांड स्टार के नाम से “मिसेज स्टार “की प्रतियोगिता रखी है.., स्नेहा का मन जिज्ञासा से भर गया ..।खुली आँखों से मिसेज स्टार बनने का सपना देखने लगी..।
उसे पम्पलेट हाथ में ले, सोच में डूबी देख, पति विशाल ने कहा “कहाँ खो गई हो स्नेहा…. कहीं मिसेज स्टार बनने का सपना तो नहीं देख रही हो..”
“दिल चाहता है मै भी इस प्रतियोगिता में भाग लूँ….”स्नेहा ने हसरत से कहा.., जोर से हँसने की आवाज सुन स्नेहा ने पीछे मुड़ कर देखा तो ननद रानी अपनी पूरी बत्तीसी दिखा रही थी।
“भाभी, आप और मिसेज स्टार…, अपना शरीर देखा है…, कितना फैल गया, आपको पता भी है, मिसेज स्टार की प्रतियोगिता के लिये स्लिम -ट्रिम बॉडी चाहिए…, रहने दो भाभी आप,हम सबका मजाक उड़वाने को…, आप अपनी रसोई सम्भालो…”विशाखा ने हँसते हुये कहा..।सासू माँ की तरफ देखा तो उनकी वक्र मुस्कान बेटी की बात पर अपनी सहमति दे रही थी..।
“अभी तो दो महीने है ना, मै अपना वजन थोड़ा कम कर लूंगी .. उनकी प्रतियोगिता में “जीरो फिगर “तो कहा नहीं है .., मेरी चाहत जाग उठी है, अब मै जरूर इस प्रतियोगिता में भाग लूंगी…”कह कर स्नेहा अंदर चली गई, ननद की बातऔर सासू माँ की मुस्कान कहीं तीर की तरह लग गई उसे..।
आईने में अपना शरीर देख एकबारगी तो स्नेहा रो पड़ी…,नन्हे विहान होने के बाद उसके शरीर ने अपना आकार खो दिया था, साइड में लटकती मांस की परते और लटके पेट ने एक बार उसके हौसले को तोड़ दिया…
तभी मिसाइल मैन अब्दुल कलाम जी की, कहीं बात याद आई,”सपनें वो नहीं होते जो नींद में देखे जाते, सपनें वो होते जो आपको सोने नहीं देते…”
बस फिर क्या था स्नेहा ऊर्जा से भर गई,सारी उदासी और निराशा दूर कर अपने अभियान में लग गई…, सबसे पहले उसने घर के पास जिम ज्वाइन किया और यू- ट्यूब देख एक वेट लॉस प्रोग्राम को फ़ॉलो करने लगी…।
सुबह जल्दी उठ कर सारे काम निपटा कर जिम जाती, फिर घर आ नारियल पानी, फ्रूट्स खाती…, ये सब देख ननद विशाखा बहुत हँसती पर स्नेहा ध्यान ना देती,
हाँ पति उसे ना प्रोत्साहित करते ना ही ना ही उसे निरुत्साहित करते…। ससुर जी उसे जरूर प्रोत्साहित करते…., साथ ही उसके लिये हरी सब्जियां और फल लाकर उसके मिशन में सहयोग देते…।
दो हफ्ते बाद वजन देखा तो चार के. जी. कम था… स्नेहा का उत्साह बढ़ गया लेकिन तीसरे हफ्ते में उसका कोई वजन कम नहीं हुआ, वही चौथे हफ्ते में भी ना कम हुआ… अब एक बार फिर स्नेहा अपना हौंसला खो दी . “अब तो सिर्फ एक महीना बचा है उसे पूरे दस के. जी. वजन कम करना था…।
स्नेहा को उदास हताश देख, उसके जिम ट्रेनर ने उसका हौंसला बढ़ाया और समझाया वजन पहले कम होता है फिर कई बार स्टेबल ही रहता है, लेकिन उसके बाद जरूर कम होता है, आप हिम्मत ना हारो ..।
एक बार फिर हिम्मत कर स्नेहा जुट गई और एक महीने में छः किलो वजन और कम कर ली…। प्रतियोगिता का समय आ गया…।
प्रतियोगिता -स्थान पर, ससुर जी के अलावा स्नेहा के साथ कोई और जाने को तैयार नहीं था .. स्नेहा का मन बुझ गया .एक बार जब वो परीक्षा देने में घबरा रही थी तब माँ ने ही कहा था “मन के हारे हार है, मन के जीते जीत “… उस परीक्षा में स्नेहा के सबसे ज्यादा नम्बर आये…
आज फिर माँ की याद आई…।उनकी नसीहत भी, जो अपनी लगन और परिश्रम से रास्ता तय करते उन्हें भगवान भी अपना आशीर्वाद देते है…।
फोन मिलाया.. बेटी की डूबी आवाज सुन माँ सब समझ गई बोली “बिट्टो .. याद है वो मुहावरा.. मन के हारे हार है……., तुम निश्चित हो कर जाओ, बिना प्रयास के सफलता नहीं मिलती,”और स्नेहा को मानो नई ऊर्जा मिल गई,..।
प्रतियोगिता स्थल पर एक से बढ़ कर एक महिलायें थी, सब अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस दे रही थी … धीरे -धीरे स्नेहा ने भी अपने आत्मविश्वास से खूबसूरत परफॉर्मेंस से कई राउंड पार कर लिया…. अंतिम राउंड प्रश्न -उत्तर का था… स्नेहा घबरा रही थी… जब जज ने पूछा “दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज क्या है।
तभी सामने अचानक दादी -बुआ और विशाल के साथ बैठे विहान पर स्नेहा की नजर पड़ी… लड़खड़ती जुबान, परिवार को साथ देख आत्मविश्वास से बोल उठी “मातृत्व….”
तालियों के शोर में विजेता का नाम सुन स्नेहा की ऑंखें छलक आई…। आखिर जिस सपनें ने उसे दो महीने सोने ना दिया वो साकार हो गया . “मिसेज स्टार “का ताज़ स्नेहा को पहनाया गया… साथ ही कैश प्राइज भी मिला…. विशाल प्यारी से मुस्कान के साथ अंगूठा दिखा रहे थे,
तो सासू माँ गर्वित हो बहू को निहार रही थी, अंतिम राउंड में पहुँचने से पहले ही ससुर जी ने उसके बेहतरीन परफॉर्मेंस को देख कर, घर में कॉल कर दिया था, अंतिम राउंड से पहले सब प्रतियोगिता- स्थल पर पहुँच गये थे।
अपना ताज ले वो ससुर जी के पास आई,”पापा आपके आशीर्वाद से ही ये संभव हो पाया, अगर आप साथ ना देते तो मैं यहाँ ना होती…,
“बधाई हो भाभी, आखिर आपने अपनी चाहत को पूरी कर दिखाया., .”विशाखा ने स्नेहा को बधाई देते कहा..।
“धन्यवाद विशाखा, कभी कभी व्यंग और माँ वक्र मुस्कान भी प्रेरणा का काम करता है……”स्नेहा की बात सुन विशाखा शर्मिदा हो गई।
कल तक की अस्त -व्यस्त वाली सामान्य सी स्त्री आज अपने पूरे आत्मविश्वास से जगमगा रही थी..।
स्नेहा जान गई अपनी पहचान खुद बनानी पड़ती है, अपने सपने भी खुद पूरे करने पड़ते है…, दूसरे आपका मजाक बना निरुत्साहित कर सकते है पर प्रोत्साहित कम ही लोग करते है, इसलिये अपने आत्मविश्वास को कम ना होने देना चाहिए ना ही अपने लगन में कोई कमी रखनी चाहिए….।
आपकी सफलता आपकी इज्जत जरूर बढाती है.. पर सफलता के लिये जूनूनी होना जरुरी है,तभी सफलता का आशीर्वाद मिलता है..जैसे स्नेहा को मिला ….,।
.—=संगीता त्रिपाठी
#आशीर्वाद