पेरिस एयरपोर्ट पर,,दो रात एक दिन का बसेरा,, – सुषमा यादव

पेरिस के एयरपोर्ट का एक रोचक संस्मरण,,,

,,,,, एक देवदूत के संग,,

 मैं अपनी बेटी के साथ पेरिस के एयरपोर्ट के लिए निकली,,जो उनके घर से लगभग चालीस किलोमीटर दूर था,, उसकी बच्ची अभी मात्र एक महीने की थी,,

मेरी फ्लाइट,, एयर इंडिया,की , दिल्ली के लिए रात दस बजे की थी,, मेरी बेटी ने मुझे चेयर पर बैठा दिया और स्वयं चेकिंग की लाईन में लग गई, वहीं पर एक युवक उसको अपने देश का मिला,, उससे परिचय बढ़ाते हुए बेटी ने कहा,, मेरी मम्मी भी जा रही है,, प्लीज़,आप इनका ध्यान रखना,,

जी बिल्कुल,, ज़बाब दिया, उन्होंने,, चेकिंग करवा कर जब दोनों वापस लौट रहे थे, तो बताया गया कि, वो फ्लाइट जो दस बजे की थी अब बारह बजे जायेगी,,हम सब चिंतित हो गए,, मैंने बेटी को कहा, तुम जाओ,, बच्ची को छोड़कर आई हो,, उसे दामाद जी के पास छोड़ आई थी,,

,वो‌ बड़ी ही कशमकश में थी, क्या करूं,, मेरे जोर देने पर वो‌ उस युवक जिनका नाम,,अमोल था, के पास गई और उन्हें मेरे पास ले कर आई,मेरा परिचय कराया,, और अपनी ना रुकने की मजबूरी बताई,,,,, जी,आप बिल्कुल जाईये,, मैं आंटी की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं,, और मेरी बेटी वापस चली गई,,

,,,हम बोर्डिंग के लिए जब गये,,तो वहां लोग लाईन लगा कर नाश्ता ले रहे थे,,अमोल‌ बोले कि,,आपके लिए मैं लाता हूं,, चुंकि खाद्य सामग्री ले जाने की इजाजत नहीं रहती, तो हम‌ लोगों के पास कुछ नहीं था,, लेकिन मेरा नंबर आने के पहले ही सब बंद कर दिया गया,, बताया गया कि, तकनीकी कारणों से फ्लाइट



उड़ान नहीं भर सकती,, इसलिए आप लोगों का एक होटल में रहने की व्यवस्था की जा रही है, आप अपना सामान लेकर बाहर खड़ी बस में बैठ जाये,,मैं तो बहुत ही घबरा गई,, मैं एक पैर से कुछ कारण वश चलने में असमर्थ थी, और व्हील चेयर पर थी,,सब सामान जाकर लेना और मेरे पास कोई भी सहायक नहीं आया,, पेरिस का एयरपोर्ट रात को बंद हो जाता है,, हे भगवान, क्या करूं, कहां जाऊं,,,इतने में अमोल भागते हुए आये और बोले,, चलिए, आप को वापस आपके बेटी के पास पहुंचा देता हूं,, मैं बोली, नहीं बेटा,, छोटी सी बच्ची को वो छोड़ कर इतनी दूर मुझे फिर वापस छोड़ने आयेगी,,

,,तो फिर चलिए हमारे साथ,, और वो भगवान के भेजे देवदूत ने एक हाथ से सामानों की ट्राली और एक हाथ से मेरी व्हील चेयर धकेलते हुए बाहर बस में मुझे बिठाया और सब सामान रखा, और हम सब होटल में आये, वहां भी अमोल ने मेरे लिए कुछ खाने पीने की व्यवस्था करनी चाही तो कुछ भी नहीं मिला,, और मैं अपने कमरे में आ गई, शुगर की मरीज़ हूं तो बड़ी बेचैनी होने लगी,इतने में बेटी का फोन आया,, कुछ खाया,, नहीं,, कुछ नहीं मिला,, अच्छा, मम्मी,देखो,आपके एक छोटे से बैग में सैंडविच रख दिया था,

खा लो, मैं बहुत खुश हुई और झट से निकाल कर खाने लगी,, बेटी को बहुत बहुत धन्यवाद कहा,, और सो गई, सुबह सुबह ही अमोल आये,, आंटी, चलिए, आपको जलपान करवा देता हूं,,हम गये, वहां सब फ्रेंच में बातें कर रहे थे, मुझे कुछ समझ नहीं आया,,अमोल ही मेरे लिए वेज नाश्ता ले कर आये,,

,, धीरे धीरे, हमने देखा कि बहुत से भारतीय पर्यटक आये थे,उनको हिंदी में बातें करते देख हमें बहुत ही प्रसन्नता हुई, और हम भी उनके ग्रुप में शामिल हो गए,, और दुनिया जहान की बातें


होने लगी,,इतने में पता चला कि, लंदन से इंजीनियर बुलाये गये हैं, फ्लाइट की खामियों को दूर करने के लिए,, और हम सब गप्पे मारते

तमाम नई जानकारियां लेते, सबसे परिचय करते आराम से शाम तक बैठे रहे,,जब डिनर करने हम अंदर गए तो पता चला,, नहीं मिलेगा,, एयरपोर्ट वापस जाना है,,हम सब भाग कर खुशी खुशी वापस आये,, फिर वही प्रक्रिया, चेकिंग हुई,जब बोर्डिंग कराने आये,,तब तक फिर पूरी तरह से एयरपोर्ट बंद,,ना कुछ खाने को ना पीने को,, पुनः एनाउंस किया गया,, एयरइंडिया की फ्लाईट उड़ान नहीं भर सकेगी,,हम सब एक दम हताश और निराश हो गए,,सब‌ बोले कि‌ आप तो यहीं से आईं हैं,

वापस चले जाइए, मैं बोली नहीं, मेरे पिता जी वहां अकेले हैं मैं जल्द से जल्द इंडिया वापस जाना चाहतीं हूं,,,इतने में पता चला कि अब इंडिया से ही इंजीनियर आयेंगे और देखेंगे,, हे भगवान,,कब‌ वो वहां से आयेंगे,कब‌ ठीक करेंगे और कब हम‌ जायेंगे,,हम सब भारतीय एक साथ बैठ गये,भूख प्यास से मैं बेहाल हो रही थी,,अमोल भाग कर गए और एक दुकान खुलवा कर मेरे लिए पानी लेकर आये,,एक सज्जन ने मुझे लड्डू और नमकीन खाने को दिया,, वो बोले, मैं किसी तरह से छुपा कर ले आया था, मेरी पत्नी ने दिया था,।  

  ,सब बहुत गुस्से में थे,,,पूरे एक दिन और एक रात बीत गए थे, और फ्लाइट के जाने की कोई आशा नहीं दिखाई दे रही थी,, और फ्लाइट के क्रु मेंबर्स और पायलट सब होटल में सोने चले गए,,



,,,, इतने में कुछ लोग गुस्से में खड़े हो गए, और बोले,सब कोई हंगामा करो,, नारेबाजी करते हैं, कुछ तो ये लोग सुनेंगे,,सब के‌ खड़े होते ही अमोल जल्दी से उठ कर बोले,,ना,ना,ऐसी ग़लती कभी नहीं करना,, ये हमारा देश नहीं है, जहां,जरा,जरा सी बात पर, हड़ताल, तोड़फोड़ शुरू हो जाती है,,लोग नारेबाजी करते हैं, दंगा फसाद और आगजनी करने लगते हैं,, ये विदेश है,,जरा सी‌ भी ख़िलाफत किया तो तुंरत ही पुलिस आयेगी,,जेल में ठूंस देगी और तीन साल तक तुम्हारे विदेश भ्रमण में रोक लगा कर वीज़ा भी रद्द कर दिया जाएगा,,सब ये सुनकर तुरंत ही बैठ गये,,इतने में सामने खड़े फ्लाइट की लाइट्स जल गई और भाग कर एक दो लोग थोड़ी दूर से खड़े हो कर पल पल की सूचना देने लगे,,,,,

,,, हां जी,अभी एक लाईट जली थी ,अब दो जली,, अरे,अब बाहर की सब जल‌ गई, हमारे इंजीनियर, लगातार सुधारने में लगे हैं,,दो हैं, नहीं तीन हैं,, नहीं, नहीं,चार हैं, और हम में से हर एक भाग भाग कर देख कर आता और हाल‌ बताता,,हम सब एकटक उसी तरफ नजरें गड़ाए बैठे थे और लगातार भगवान् से प्रार्थना कर रहे थे,,हर तरफ यही सुनाई दे‌ रहा था,, मेरी जिंदगी में ऐसा कभी नहीं हुआ कि हम‌‌ एयरपोर्ट पर दो रात और एक दिन पूरा

बैठें हो,, मुझे भी बहुत रोना आने लगा,अभी तक तो मैंने सबके साथ खूब हिल मिल कर समय बिताया,नये नये लोगों से मिल कर बहुत अच्छा लगा, और मेरा देवदूत तो मेरे साथ ही था,सब मदद करने के लिए,,पर अब तो सब्र की इंतहा हो गई,,, कुछ लोग बहुत परेशान थे, उनके वीज़ा की‌ अवधि उसी दिन तक होने के कारण समाप्त हो चुकी थी,,

,,रात के करीब तीन बजे , हमारी फ्लाइट के अंदर की सब‌ लाईट्स 

भक से जल उठी और उसके स्टार्ट होने की आवाज आई,, मैं बता नहीं सकती ,हम सब की खुशी का अंदाजा आप नहीं लगा सकते,,इतने में हमने देखा कि फ्लाईट के सब‌ मेंबर्स एक लाईन से चले आ रहे हैं,,सारे यात्री खुशी से झूम उठे और खड़े हो कर एक साथ तालियां बजा कर उनका स्वागत करने लगे,,पूरा एयरपोर्ट नारों से गूंज रहा था,अब चुप कराने से भी कोई चुप नहीं हो रहा था,,,सब मुस्कुराते, अभिवादन स्वीकार करते फ्लाइट के अंदर चले गए,, और हम‌ भी,,,,


इस तरह पूरे दो रात और एक दिन पेरिस के एयरपोर्ट पर हमने बिताया,, एक अविस्मरणीय यादगार और,, कभी भी नहीं भूलने वाला एक देवदूत के साथ बिताया गया वो रोमांचक सफर,,

, सुबह हमारी फ्लाइट ने चार बजे 

 , उड़ान भरी, अपने देश के लिए,,

और हम शाम को तीन बजे अपने वतन दिल्ली के एयरपोर्ट पर,, हमारे देवदूत ने हमसे विदा मांगी और हमने बहुत बहुत धन्यवाद आभार के साथ तथा ढ़ेर सारी शुभकामनाएं आशिर्वाद के साथ हमने अपने प्रिय देवदूत को भरे मन से विदा किया,, आज़ उस बात को तीन बरस बीत गए हैं,,पर हमें उन दिनों की और अपने देवदूत की रहनुमाई ज़रा भी विस्मृत नहीं हुई है,,हम आज भी उनको दिल से याद करते हैं और हार्दिक शुक्रिया अदा करते हैं,

,,,, उन्होंने हमें एयरइंडिया कंपनी से पूरा किराया दिलवाने में मेरी बेटी की बहुत मदद की ,,सोचती हूं, वो देवदूत ना मिले होते तो मेरी हालत क्या होती,, भगवान सबकी मदद ऐसे ही करते हैं,,

,, कभी कभी इत्तफाक से जिंदगी में कुछ ऐसे लोग मिल जाते हैं,,

,,,जिनकी नेकी हमेशा हमारे दिल में एक छाप छोड़ जाती है,,

,,, सुषमा यादव,, प्रतापगढ़, उ प्र,

,, स्वरचित,, मौलिक,, अप्रकाशित,,

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