सुबह होते ही गौरीशंकर महाराज जी ने जो जो समान लाने कहा था उसकी व्यवस्था करने में जुट गया और दोपहर तक सारी व्यवस्था कर दी गई।
अहिधर और महाराज जी मिलकर अपने अपने विद्या के अनुसार आज दोपहर से ही घर के आंगन में सारे इंतजाम करने लगे ।
आंगन में दो हवन कुंड का निर्माण किया गया और उन दोनो के बीच एक छोटा कुंड बनाया गया तथा घर के चारो ओर लाल धागे बांधे गए जिसमे एक महाराज जी के धागे जो दाएं से बाएं की ओर लपेटा गया और दूसरा बाएं से दाएं की ओर लपेटा गया जो अहिधर द्वारा अभिमंत्रित था ।
घर के सभी कमरों में सिंदूर से कुछ चित्र बनाए गए जो छोटे छोटे बच्चो के लग रहे थे जिसे तांत्रिक महाराज ने बनाया था।
वहीं महाबलेश्वर महाराज ने घर में मौजूद पूजा घर से आंगन तक फूल और सुगंधित इत्र का छिड़काव कर दिया था ।
दोपहर का समय होने के कारण चंद्रिका इन दोनो को ये सारी व्यवस्था करते देख रही थी और मुस्कुरा रही थी तभी वह अपने दोनो बच्चों को पास बुलाती है और कहती है ….
बच्चों अब तुम दोनो विष्णु और अपूर्वा के शरीर में जाने के लिए तैयार रहना ( एक अजीब किस्म की भयावह हंसी के साथ )
आज इन दोनो बूढ़ों को मैं इस सबक सिखाऊंगी की ये अपनी जिंदगी में भूत प्रेतों के साथ खिलवाड़ करना छोड़ देगा…
और जाकर विष्णु और अपूर्वा के पास उन दोनो बच्चों को बैठा देती है…
जब तक मैं न कहूं तुम दोनो यहां से कही मत जाना ..
इधर दोनो महाराज जी मिलकर अपने सारे इंतजाम खुद से कर लिए
गौरीशंकर और उमा केवल मूकदर्शक बने हुए थे
हां कभी कभी बीच में उठाकर दोनों मदद कर देता था गौरीशंकर..
आज इस घर में तंत्र विद्या और मंत्र विद्या दोनो को एक साथ आना पड़ रहा था चंद्रिका को पकड़ने के लिए जिसे देखकर उदास बैठी उमा घबराई हुई थी …
सारी व्यवस्था होने के बाद महाराज जी ने उस जगह जहां उमा बैठी हुई थी एक घेरा तैयार किया और उमा और गौरीशंकर को निर्देश दिया
गौरीशंकर …
जी महाराज..
तुम और उमा दोनो …जब हम अपना काम कर रहे होंगे इस घेरे में रहना और हां किसी भी परिस्थिति में इस घेरे से बाहर मत निकलना क्योंकि चंद्रिका तुम दोनो पर जानलेवा हमला भी कर सकती है।
जी महाराज ( गौरीशंकर बोला)
शाम का समय है
धीरे धीरे अंधेरा छा रहा है …
महाराज जी मिलकर अपनी अपनी प्रक्रिया में लगे हुए है….
गौरीशंकर …..( अहिधर महाराज ने बुलाया)
जी महाराज
मैने तुझे एक लोटे में जल रखने कहा था जिसमे मैने उमा के साड़ी के किनारे से रक्षा कवच बना रखा है वो लेकर आओ…
गौरीशंकर दौड़ कर लोटे में रखा जल लेकर आता है..
रात के करीब 9 बजे दोनो महाराज ने अपनी अपनी विधि से पूजा की प्रक्रिया शुरू की और दोनो हवन कुंडो को प्रज्वलित कर दी गई
उधर चंद्रिका किसी भी खतरनाक प्रस्थिति में जाने से बचना चाह रही थी और इन दोनो के पूजा प्रक्रिया पर नजर बनाए हुई थी
अब मंत्रों के जोर अपने चरम पर पहुंच रहे थे और चंद्रिका किसी तरह अपने आप को आधी रात होने का इंतजार करवा पाने में सफल हो रही थी लेकिन मंत्रों के जोर में इतनी शक्ति थी की वो चंद्रिका को अपनी खींच रही थी इधर चंद्रिका भी अपनी पूरी शक्ति लगाकर अपने आप को वहां जाने से रोक रखी थी…
समय 12 पार गई और इसके बाद का समय नकारात्मक ऊर्जा के लिए अनुकूल होता है इसलिए चंद्रिका अब थोड़ा सहज महसूस करने लग गई थी ..
लेकिन दोनो महाराज जी का मंत्र उच्चारण करीब करीब तीन घंटों से चल रहा था … लेकिन चंद्रिका पर उन मंत्रों का जैसे कोई असर ही नही हो रहा था…
तभी अहिधर महाराज की कर्कश आवाज चंद्रिका को सुनाई पड़ती है..
महाबलेश्वर …( चिल्लाकर) क्या तुम नही चाहते की गौरीशंकर और उमा के बच्चे वापस लौट कर आए ?
अहिधर….( महाराज जी भी चिल्ला उठे)
कहना क्या चाहते हो तुम?
वही जो तुम सुन रहे हो महाबलेश्वर तुम अपने मंत्र का गलत उच्चारण कर रहे हो इसलिए पिछले तीन घंटों से ऊपर से मंत्र जाप का कोई असर चंद्रिका पर नही हो रहा है
अहिधर ( महाराज जी चिल्लाकर बोले) तुम मेरी सीखी हुई विद्या पर सवाल उठा रहे हो?
हां उठा रहा हूं क्योंकि इतनी देर में चंद्रिका को बुलाने में सफल हो जाना चाहिए था हम दोनों को लेकिन हम सफल नहीं हो रहे
और जैसा कि मैं जान रहा हु की मेरे मंत्रोच्चारण में कोई गलती नही जो रही इसका साफ साफ मतलब है की तुम्हारी विद्या में ही कुछ कमी है या फिर तुम कुछ गलत कर रहे हो…
हुह्ह …. यही सवाल मैं भी तुमसे पूछ सकता हूं अहिधर की तुम्हारी शक्तियां काम क्यों नही कर रही ?…
क्योंकि मुझे भी पता है की मैं अपनी विद्या का प्रयोग बिलकुल सही तरीके से कर रहा हूं ( महाराज जी ने कह)
दोनो को आपस में भयंकर तरीके से लड़ता देख गौरीशंकर और उमा दोनो व्याकुल हो जाते है लेकिन उनकी हिम्मत नही होती बीच में जाने की और वैसे भी दोनो सुरक्षित घेरे में रहना चाह रहे थे
और
उधर चंद्रिका दोनो को लड़ता देख भयानक हंसी हंसे जा रही थी …
हा हा हा हा ….. मुझे पकड़ने आए थे बुड्ढे दोनो
मेरी शक्तियों से पर पाना इतना आसान नहीं था बुढ्ढों…
अब मैं तुम दोनो का वो हश्न करूंगा की रूहें कांप जाएगी तुम्हारी….
हा हा हा ….
इधर दोनो महाराज जी …
देखो अहिधर तुम वैसे भी अपने गुरुकुल में पढ़ने में कमजोर थे तो हो सकता है तुम्हे तुम्हारी विद्या याद न या फिर कोई त्रुटि हो गई हो…
चल हट ..
बड़ा आया याद रखने वाला…
अरे माना की तुम पढ़ाई में होशियार थे लेकिन तुम डरपोक भी तो थे इसलिए तुम मलूका से डरते थे गुरुकुल में ..वो तो मैं था जिसने हमेशा उससे रक्षा की थी तुम्हारी ..
इसलिए हो सकता है की चंद्रिका के डर से तुम अपनी विद्या भूल गए हो या फिर तुम्ही से त्रुटि हो गई हो…
क्या कहा अहिधर…?
डरपोक और मैं ?
इतना अपमान सहने के बाद मैं अब तुम्हारे साथ इस मंत्रोच्चारण में भाग नही ले सकता
ये सुनकर चंद्रिका खुशी से झूम उठी और बोली…
निकल गई तुम दोनोंकी तांत्रिक विद्या और मंत्रों की विद्या की हेकड़ी…
इधर अहिधर….. तो मैं कौन सा मारे जा रहा हूं तुम्हारे साथ मिलकर अपनी विद्या का प्रयोग करने के लिए ?
अरे इससे अच्छा होता की मैं अकेला ही सारी व्यवस्था कर लेता लेकिन मैंने तुम्हारी खातिर गौरीशंकर का साथ देने का वादा किया था और तुम मेरे विद्या पर सवाल उठा रहे हो….
महाराज जी..
अरे मूर्ख क्या मैने तुम्हे आने को कहा था मैं अकेला ही काफी हूं उस चुड़ैल से निपटने के लिए..
नही चाहिए तुम्हारी मदद..
ये लो..
( तड्ड्ड्डड्ड्ड्डा….क्क्क)
महाराज जी ने एक ईंट उठाकर सबसे छोटे वाले हवन कुंड पर दे मारा ….
महाराज जी ये क्या किया आपने ( गौरीशंकर चिल्लाया)
अरे मूर्ख ये क्या किया तुमने …
हवन क्यों तोड़ दी इतनी रात को ….( अहिधर चिल्लाया)
अब वो हम में से किसी को जीवित नहीं छोड़ेगी…..
नही छोड़ेगी
और तभी वहां ………….
शशिकान्त कुमार
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पापी चुड़ैल (भाग – 13)- शशिकान्त कुमार : Moral stories in hindi