जिनका हाथ पकड़ कर नींद आती थी , सोचा ना था की हालात ऐसे होंगे …..कि आख़िरी बार उनका हाथ भी ना पकड़ पाऊँगी ….. अपने जीवन में ये शर्मिंदगी मुझे हमेशा महसूस होगी…,..काश
जब मैं छोटी थी तो अपने पापा से अक्सर कहा करती थी “पापा मैं थक गयी मुझे गोदी उठा लो ना और अपने हाथ का सामान मम्मी को दे दो” और पापा बहुत प्यार से मुझे गोद में उठा चलने लगते । बच्चे जब छोटे होते हैं तो माता पिता को उनकी हर बात पर बहुत प्यार आता है, मेरा बचपन भी बहुत लाड-प्यार में गुजरा। कहने की देर होती और जो चाहिए होता पापा तुरंत हाज़िर कर देते, कई बार तो बिन कहे ही ना जाने दिल की बात कैसे पता कर लेते थे ……,,जादू जानते थे पापा ..,,,,शायद हर पिता को ये जादू आता है। एक बार बचपन में मैं बहुत बीमार हो गयी और मुझे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा….क़रीब 6-7 दिन में अस्पताल में रही। दिन भर माँ मेरे साथ अस्पताल में रहती मेरी देखभाल करती , पापा दिन भर अपने काम पर रहते और रात को अस्पताल में आ जाते मुझे देखने और हमारे लिए खाना देने । रात को पापा मेरे पास घंटों बैठते, मैं जल्दी ठीक हो जाऊँ इसलिए मेरा मन खूब बहलाते ..,,,रात को पापा मुझे छोड़ कर चले ना जाएँ मैं सोते समय उनका हाथ पकड़ कर सोती थी… पापा सर पर हाथ फेरते रहते पता नहीं कब नींद आ जाती और सुबह जब मैं उठती तो मेरे हाथ में मम्मी का हाथ होता मैं रोते-रोते पूछती पापा कहा हैं? मम्मी कहती शाम को आएँगे । बचपन से लेकर बड़े होने तक पापा से मैंने प्यार, सम्मान, साथ, शिक्षा ……,,ज़िंदगी को जीने का तरीक़ा .,..,सब कुछ उनसे सीखा ।
पिछले साल पापा को कोविड हो गया । उस दौरान कोविड बहुत ज़्यादा फैल चुका था और घर में सब इसकी चपेट में आ गये पर पापा की हालत ज़्यादा गम्भीर हो गई उनको अस्पतालमें भर्ती करना ज़रूरी हो गया। छोटे भाई से फ़ोन पर हालात जानकर उसको कहा तू पापा को लेकर अस्पताल चल , मैं भी पहुँच रही हूँ । ज़्यादातर अस्पताल में जगह ख़ाली नहीं थी बहुत भाग दौड़ कर *एलएनजेपी* में दाखिल करवाया गया वहाँ डॉक्टर हमें पापा के पास खड़े होने भी दे रहे थे और बोले कि आपके पापा को *आइसीयू* में शिफ़्ट करना पड़ेगा । पापा को मायूस देख कर मैं दूर से ही पापा को हौसला दे रही थी पापा आप ठीक हो जाओगे, अभी आपको भाई की शादी करनी, मेरे बच्चों को बड़ा होता देखना हैं, अभी तो बहुत कुछ करना बाक़ी है ….पापा की आँखों से आँसू निकल रहे थे ….वो दूर से ही ना में हाथ हिला रहे थे …पहली बार मैं अपने आपको इतना लाचार महसूस कर रही थी ….,,मैं अपने पापा का हाथ पकड़ कर उनके पास बैठना चाहती थी… उनसे बातें करना चाहती थी पर कोविड के डर से मैं हार गई , कहीं मेरी वजह से मेरे बच्चों को कोविड ना हो जाए इस डर से मैं पापा का हाथ ना थाम पायी ।कैसी बेटी हूँ मैं पापा………पापा मुझे माफ़ कर देना …,मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ । पापा को ‘आइसीयू’ में शिफ़्ट कर दिया और हमें वहाँ रुकने की इजाज़त भी नही दी..,, हमें कहा कल सुबह विडीओ कॉल पर बात करवाएँगे तो सुबह 10 बजे आ जाना। हम दोनो भाई बहन रोते हुए घर आ गए । सुबह पापा को विडीओकॉल के ज़रिए देखा पर 2-3 मिनट में क्या होता है , ना वो कुछ कह पाए ना हम । मायूस हो कर हम घर आ गये । अजीब सा डर था । थोड़ी देर बाद भाई ने कॉल पर डाक्टर से बात करने की कोशिश की तो पहले डॉक्टर ने बताया की ठीक हैं पापा …..पर 2 घंटे बाद लगभग 1:30 बजे डॉक्टर ने खुद भाई को विडीओ कॉल किया कि आपके पापा रेस्पॉन्स नही कर रहे ।मन में बहुत डर था पर सोचा ना था पापा कि आप ऐसे चले जाओगे हम सबको अकेला छोड़ कर ।
आज भी मैं बहुत कोसती हूँ अपने आप को कि काश उस दिन ……एक बार आपका हाथ थाम लेती ।
आपकी बेटी