घनश्याम जी रात भर सोए नहीं थे , उन्हें कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था , रात भर बुखार होने के कारण अब तो शरीर साथ भी नहीं दे रहा था फिर भी वे जैसे – तैसे उठे और अपने लिए चाय बनाई ताकि चाय के साथ कुछ खाकर दवाई ले पाए !!
चाय के साथ बिस्किट खाए और फिर दवाई ली !! रात को भी तो दवाई ली थी मगर कुछ आराम नही पड़ा था अब तक और अभी भी सुबह की दवाई लेकर करीबन दो घंटे बीत चुके थे मगर बुखार कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था !!
घनश्याम जी ने अपने बेटे आर्यन को फोन किया और अपनी तबीयत के बारे में बताया और डॉक्टर के पास साथ चलने को कहा !!
आर्यन बोला पापा , अभी आधे घंटे में मेरी जरूरी मीटिंग हैं इसलिए मैं आपके साथ नहीं आ पाऊंगा !! एक काम करिए आप तुषार को अपने साथ ले जाईए !!
घनश्याम जी ने छोटे बेटे तुषार को फोन किया तो तुषार बोला – पापा , मुझे ऑफिस में आज बहुत काम हैं तो मैं नहीं आ पाऊंगा !!
घनश्याम जी ने दुःखी होकर फोन रखा और जैसे तैसे ऑटो लेकर हॉस्पिटल पहुंचे !!
हॉस्पिटल में चेक – अप करवाया तो उन्हें पता चला कि उन्हें डेंगू हो गया हैं जिस वजह से उन्हें तुरंत एडमिट होना पड़ा !! आज उन्हें अपनी पत्नी की बहुत याद आ रही थी , उनकी पत्नी के जाने के बाद घनश्याम जी चार रोटी के भी मोहताज बन गए थे !!
बेटे बहु घनश्याम जी को एक दिन भी अपने साथ नहीं रख पाए थे सोचते सोचते उनकी आंखें भर आई थी !!
उसी शाम हाथों में टिफिन का डब्बा लिए उनकी बगल की सोसायटी में रहने वाली राधिका जी घनश्याम जी से मिलने चली आई !!
घनश्याम जी उन्हें देखकर हतप्रभ रह गए क्योंकि राधिका जी के अचानक हॉस्पिटल आने की उम्मीद नहीं थी उन्हें !!
राधिका जी उनकी बगल वाली सोसायटी में रहती थी !! उन दोनों की कामवाली बाई भी एक ही थी !! कामवाली बाई सरिता के मुंह से ही घनश्याम जी ने सुना था कि राधिका जी बेटे – बहू के होते हुए भी अकेली रहती हैं , अक्सर शाम को सोसायटी के गार्डन में घनश्याम जी और राधिका जी की मुलाकात हो जाया करती थी तो दोनों एक दूसरे का हालचाल पूछ लेते थे मगर आज अचानक राधिका जी को यूं हॉस्पिटल में देखकर घनश्याम जी आश्चर्यचकित थे !!
राधिका जी बोली मुझे हमारी कामवाली बाई सरिता ने बताया कि आपको आज ही हॉस्पिटल में एडमिट किया हैं , इसलिए आपको मिलने चली आई , खाना खाने के समय पर ही आ रही थी तो अपने साथ खाना भी ले आई !!
घनश्याम जी बोले शुक्रिया राधिका जी मगर आपने क्यूं तकलीफ की ??
राधिका जी बोली इसमें तकलीफ कैसी ?? हम लोग एक दूसरे के काम नहीं आएंगे तो किसके काम आएंगे ?? लिजिए आप यह खाना खा लिजिए कहते हुए टिफिन उनके हाथों में दे दिया !!
घनश्याम जी ने टिफिन खोला तो देखा उसमें उनकी फेवरेट लौकी की सब्जी , रोटियां और खिचड़ी थी !! खाना खाते खाते घनश्याम जी की आंखें भर आई और वे बोले राधिका जी बरसों हो गए घर का खाना खाए , ऐसा लग रहा है मानो आज बहुत सालों बाद आत्मा तृप्त हुई हो !!
राधिका जी बोली – घनश्याम जी आपको घर का खाना इतना पसंद हैं यह पहले क्यों नहीं बताया कभी ?? आप जब तक यहां हैं मैं सुबह – शाम खाना ले आया करूंगी !!
घनश्याम जी कुछ बोलते उससे पहले ही राधिका जी बोली और हां इसे तकलीफ उठाना मत कहिएगा और फिर दोनों एक साथ हस पड़े !!
चार दिन बाद घनश्याम जी भले चंगे होकर घर आ गए थे और अब वे और राधिका जी रोज मिलने लगे थे !!
राधिका जी का आज जन्मदिन था , घनश्याम जी हाथों में गुलदस्ता लिए उन्हें बधाई देने उनके घर पहुंचे !!
राधिका जी बोली अरे , इसकी क्या जरूरत थी ??
घनश्याम जी हसकर बोले जरूरत तो थी , मुझे आपके हाथ की बनी चाय भी तो पीनी थी !!
वह तो ऐसे भी मिल जाती बोलकर राधिका जी चाय बनाने चली गई !!
राधिका जी के बनी हाथ की चाय पीकर फिर एक बार घनश्याम जी भावुक हो गए और बोले मेरी पत्नी आशा भी ऐसी ही मसालेदार चाय बनाती थी राधिका जी !! क्या आप मुझे यह मसाला कैसे बनाते हैं बताएंगी ??
राधिका जी बोली – जी जरूर क्यों नही , क्या हुआ था आशाजी को ??
घनश्याम जी बोले क्या बताऊं राधिका जी ?? इंसान जितना अपनों से उम्मीदें कम रखेगा उतना ही ज्यादा सुखी रहेगा !!
आशा और मेरी गृहस्थी बहुत खुशहाल चल रही थी , हमारे दोनों बेटे आर्यन और तुषार बड़े हो गए थे और अपने पैरो पर खड़े भी हो गए थे !!
आशा को उन दोनों से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें थी , अपनी पसंद की बहू लाना चाहती थी दोनों के लिए मगर दोनों ने अंर्तजातीय विवाह कर लिया फिर भी आशा ने सब कुछ स्वीकार कर लिया था मगर उसे सबसे ज्यादा झटका तब लगा जब दोनों बेटे हम दोनो को अकेला छोड़कर हमसे अलग रहने लगे , दोनो ने यही बैंगलोर में अपने अपने घर ले लिए और हमसे सिर्फ फोन तक का रिश्ता कायम कर लिया !! धीरे धीरे फोन भी ना के बराबर आना शुरू हो गए !!
आशा कुछ कहती नही थी मगर मन ही मन बहुत दुःखी होती !! अपने बेटे – बहुओं से उसकी बहुत उम्मीदें थी जिसमें कोई खरा ना उतर पाया !!
एक रात आशा जो सोई फिर उठी ही नहीं !! डॉक्टर ने बताया कि उसे नींद में ही अटैक आया था और वह मुझे हमेशा के लिए छोड़ गई !!
दोनों बेटे इतना नजदीक होते हुए भी मुझसे मिलने नहीं आते !! दोनों अपने काम में बहुत व्यस्त हैं कहते हुए घनश्याम जी की आंखें भर आई !!
राधिका जी ने उन्हें संभाला और बोली – आपका ही नहीं घनश्याम जी , हमारे जैसे बुर्जुगों का आजकल यही हाल हो गया है !!
मुझे भी मेरे बेटे बहू का सच तब पता चला जब मै उनके घर रहने गई थी !!
मेरे बेटे मोहित और बहू नेहा की नौकरी मुंबई में हैं !! जब मैं पैंतीस वर्ष की थी तब मेरे पति किशोर जी की मृत्यु कार एक्सीडेंट में हुई थी तब से मोहित को मैंने अकेले ही पाल पोसकर बड़ा किया !! मैंने तब से ही घर में ट्यूशन लेना शुरू कर दिया था जिससे मोहित की स्कुल फीस और घर के बाकी खर्चे पुरे होते !!
मोहित पहले तो यही नौकरी पर था मगर बाद में उसका ट्रांसफर मुंबई में हो गया फिर वही मुंबई में साथ नौकरी करने वाली शिखा से उसे प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली !!
शिखा और मोहित मुंबई में ही सेटल हो गए !! शिखा मुंबई में पली बढ़ी थी और कभी बैंगलोर आना नहीं चाहती थी !!
एक रोज मोहित ने मुझे बताया कि शिखा प्रेंग्नेंट हैं इसलिए वह मुझे यहां लेने आ रहा हैं !!
मैं तो वैसे ही अकेली यहां जिंदगी गुजार रही थी भला मैं क्यों मना करती ?? मैं भी वहां जाने तैयार हो गई !!
मैं मोहित और शिखा के सारे काम कर देती ताकि शिखा को प्रेंग्नेंसी में पुरा आराम मिल पाए !! वे दोनों रोज सुबह ऑफिस के लिए निकल जाते और शाम सात बजे तक घर आ जाते !!
मोहित मुझसे रोज नई नई फरमाईशे करता कभी गाजर का हलवा तो कभी मेथी के थेपले !! मैं भी बेटे बहू से बहुत प्यार करती थी इसलिए कभी कुछ मना नहीं करती थी और सब कुछ बना देती मगर एक रोज जब मैं रात को रसोई में पीने पीने जा रही थी तो बेटे बहू की बातो से मुझे झटका लगा !!
शिखा कह रही थी मोहित तुम्हारी मां को हमेशा यहां रख लेना चाहिए !! ऑफिस जाने से पहले गर्म गर्म नाश्ता भी करवाती हैं और फिर रोज ऑफिस के लिए टिफिन भी तैयार रखती हैं , ओर तो ओर तुम यह जो रात को फरमाईश कर टेस्टी टेस्टी खाना बनवाते हो उस बात ने तो मुझे तुम्हारा दीवाना बना दिया हैं !!
बेचारी बुढ़िया बेटे का मन रखने के लिए हमारे लिए रोज अच्छा खाना बना रही हैं !!
मोहित बोला शिखा आखिर तुम मेरी पत्नी हो और तुम्हारा ध्यान रखना मेरा फर्ज हैं , मेरा बस चले तो तुम जिस पर हाथ रखो वह चीज तुम्हारे कदमों में लाकर रख दुं !!
शिखा बोली रहने दो मैने जो कहा वह तो तुमने किया ही नहीं अब तक !!
मोहित बोला मैं कल ही मां से बात करता हुं कि वे अपना बैंग्लोर वाला फ्लैट बेचकर वह पैसा मुझे दे दे ताकि मैं यहां मुंबई में टू बी एच के का फ्लैट ले पाऊं , आखिर कल के दिन हमारा बच्चा होगा तो हमें प्राइवेसी भी तो चाहिए होगी !!
शिखा बोली स्मार्ट बॉय !! अब की तुमने अक्कलमंदी वाली बात !! यह सब सुनके मेरो पैरो तले जमीन खिसक गई और मैं दबे पांव अपने कमरे में सोने चली आई !!
दूसरे दिन सुबह मैं अपना बैग पैक कर चुकी थी और मोहित के उठते ही मैंने कहा मैं आज ही वापस जाना चाहती हुं !!
मोहित और शिखा एक दूसरे के सामने हैरानी से देखने लगे और फिर मुझे प्यार से मनाने की कोशिश करने लगे मगर मैंने कोई प्रतिक्रिया ना देते हुए कहा बस मोहित मुझे स्टेशन छोड़ देना बाकि तुम दोनो की रात की बातें सुनकर मैं अपनी अहमियत जान चुकी हुं !!
मोहित और शिखा को बिल्कुल अंदाजा ना था कि उनके सारे किए कराए पर यूं पानी फिर जाएगा बस उस दिन के बाद हम लोग आपस में
बिल्कुल बात नहीं करते !!
बोलते बोलते राधिका जी रोने लग गई !! घनश्याम जी बोले – रोईए मत राधिका जी , अगर आजकल की युवा पीढ़ी हम बुर्जुगों की कीमत नहीं समझ रही हैं तो यह उनकी नासमझी हैं और हम उनकी वजह से अपनी जिंदगी क्यों खराब करें ??
ऐसे बच्चों के लिए क्यों रोए जो हमें सिर्फ जरूरत के वक्त याद करते हैं ?? हम लोग तो पहले ही अपना सर्वस्व उन पर न्योछावर कर चुके हैं , अब बुढ़ापे में भी वे लोग हमें इस्तेमाल करेंगे क्या ??
राधिका जी कुछ शांत हुई , घनश्याम जी बोले राधिका जी आप ट्यूशन टीचर रह चुकी हैं , मेरे दोस्त ने अभी हाल ही एक क्लासेस खोली हैं , मैं कल ही उससे आपका परिचय करा देता हुं , आप उसकी क्लासेस में पढ़ा सकती हैं !! मुझे उसने क्लासेस का अकाउंटेंट बनाया हैं !! मेरा पहले से हिसाब – किताब का ही काम रहा हैं राधिका जी , इस काम से समय भी बीत जाता हैं और महिने की सैलेरी भी मिल जाती हैं , जिससे हमें किसी पर आधारित रहने की जरूरत नहीं !!
राधिका जी बोली बिल्कुल सही कह रहे हैं आप घनश्याम जी , इसिलिए तो मैंने भी ट्यूशन लेना नहीं छोड़ा अब तक , और मैं आपके दोस्त की क्लासेस में भी जरूर पढ़ाने जाऊंगी !!
घनश्याम जी और राधिका जी दोनों एक ही क्लासेस में काम कर रहे थे जिससे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती जा रही थी !!
अब सोसायटी और आस – पास के लोग भी उनके बारे में बात करने लगे थे और आखिर धुआं वही से उठता हैं जहां आग लगी होती हैं , यह बातें उडते उड़ते घनश्याम जी के दोनों बेटों के कानों तक भी जा पहुंची !!
एक रोज दोनों इकट्ठा होकर घनश्याम जी के घर आकर उन्हें कोसने लगे !!
बड़ा बेटा आर्यन बोला पापा आपको इस उम्र में यह सब करते शर्म नहीं आई , आपने एक बार भी हमारी इज्जत और पोजिशन के बारे में नहीं सोचा कि दुनिया वाले क्या बोलेंगे हमारे बारे में ??
तुषार भी बड़े भाई की हां में हां मिलाते हुए बोला शेम ऑन यू पापा !!
घनश्याम जी मुस्कुराकर बोले – हां बेटा सही कह रहे हो तुम दोनों !!
जब तुम्हारा बाप वहां अस्पताल में मर रहा था तब कहां गई थी तुम्हारी शर्म ?? जब तुम्हारे बाप को घर का खाना नसीब नही होता था कभी बाहर का खाकर तो कभी भूखा ही सो जाया करता था तुम्हारा बाप तब कहां गई थी तुम दोनों की शर्म ??
यस (Yes) , सही कहा शेम ऑन मी कि मैंने अपने लिए इस उम्र में एक ऐसी दोस्त बनाई जो मुझे समझती हैं , मेरी चिंता करती हैं और बदले में मैं भी उनका ध्यान रखता हुं , उनकी चिंता करता हुं !!
अगर बच्चे बुढ़े लोगों को बेसहारा और लाचार छोड़ दे तो क्या हम बुढ़े लोग एक दूसरे के सहायक बनना भी छोड़ दें , और तुम लोगों की नजर में यह पाप हैं तो हां मैं पापी हुं !!
घनश्याम जी की आवाज में एक जोश और एक जुनुन था जिसे देखकर दोनों बेटे एकदम चुप हो गए और वहां से जाने लगे , उतने में घनश्याम जी बोले – मैं राधिका जी से अगले महिने विवाह करने वाला हुं , तुम दोनों को न्यौता तो नहीं दूंगा क्योंकि तुम दोनों तो बहुत समय से मुझे बेसहारा करके जा चुके हो लेकिन बताना मेरा फर्ज है इसलिए बता देता हुं !!
वहां दूसरी ओर मोहित का भी राधिका जी पर आज बहुत महिनों बाद फोन आया था वह भी मां को भला बुरा कहने !!
राधिका जी भी अब तक चुपचाप सुनते आई थी और बस दिखावे की जिंदगी जीती आई थी कि वे अकेले खुश रह सकती हैं मगर सच तो यही था कि हर पल उन्हें भी एक कमी खलती , वह भी किसी का साथ , किसी का अपनापन चाहती थी !!
आज उन्होंने भी अपनी आवाज को बढ़ाते हुए कहा – बस बहुत हो गई तुम लोगों की मनमानी !!
बेटे – बहु को तो मुझे देखने छोड़ो मेरा हालचाल पूछने तक की फुर्सत नहीं हैं और आज मुझे सुनाने फोन कर रहे हो !!
अगले महिने मैं घनश्याम जी से सात फेरो में बंधने जा रही हुं और यही मेरा आखिरी फैसला हैं !!
आज पहली बार घनश्याम जी ने और राधिका जी ने अपने लिए एक ऐसा फैसला लिया था जिसे शायद दुनिया वाले या घरवाले ना समझे मगर उन दोनों के लिए वह एक सही फैसला था !!
क्या बुढे होने पर इंसान जीना छोड़ दे ??
क्या बुढ़ापे और अकेलेपन में जिंदगी अकेले बिताना सही है ??
घनश्याम जी और राधिका जी के इस फैसले पर दोस्तो आप लोगों की क्या राय है ??
कमेंट में जरूर बताईएगा और हमारी ऐसी ही कहानियां पढ़ने के लिए हमारे पेज को फॉलो जरूर कीजिएगा !!
आपकी सहेली
स्वाती जैंन