पंखे की डोर –   बालेश्वर गुप्ता

Post View 546      अरे रामदीन क्या मर गया है, हाथ क्यों नहीं चल रहे?देखता नही कितनी गर्मी पड़ रही है,जल्दी जल्दी डोर खींच।          जी माई बाप, कह कर  पसीने से तरबतर रामदीन ने और जोर से डोरी खींचनी शुरू कर दी।         असल मे अबकी बार गर्मी कुछ अधिक ही पड़ी थी।वैसे भी बड़े आदमियों को … Continue reading पंखे की डोर –   बालेश्वर गुप्ता