Post View 3,693 आज फिर वही उदासी ! मेधा फ्लैट की बॉलकनी में आकर खड़ी हो गई । मंद मंद हवा उसके खुले बालों से अठखेलियां करने लगी । समीर को ये उसके बालों की ये अठखेलियां बेहद पसंद थी । वह कार ड्राईव करते हुए अक्सर खिड़की का शीशा खोल देता ताकि खुली हवा … Continue reading पंख होते तो ! – अंजू खरबंदा
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