अरे श्रीधर देर मत कर, जल्दी से आजा। एक बार लड़का देख ले बहुत अच्छा लड़का है। सुंदर, पैसे वाला, एकलौता और क्या चाहिए। मधुलिका के लिए बहुत अच्छा रहेगा। बुआ जी लड़के की प्रशंसा के पुल बांधे जा रही थी।
ठीक है दीदी मैं घर में बात करके आपको बताता हूं। हां, हां कर ले बात बताये दे रही हूं, ऐसा लड़का ढूंढने से भी नहीं मिलेगा तुझे।
नीता सुनो विमला दीदी का फोन आया था। अपनी मधुलिका के लिए लड़का बता रही थी। हां जी तो ठीक है शादी तो करनी ही है । देख आइये, नहीं मैं अकेला नहीं जाऊंगा, तुम भी चलना मेरे साथ।
अगले दिन श्रीधर जी अपनी पत्नी नीता के साथ जयपुर पहुंच जाते हैं। लड़के वाले बहुत पैसे वाले थे। सभी कुछ बहुत अच्छा और सही लग रहा था। लेकिन नीता को एक बात खटक रही थी। जब सब अच्छा है तो ये हमारे जैसे मध्यम वर्गीय परिवार में रिश्ता क्यों जोड़ना चाहते हैं। बुआ जी तो तैयार बैठी थी। उन्होंने लड़की देखने का दिन निश्चित करवा दिया। श्रीधर जी और नीता वापस आ गए।
रविवार को लड़के वाले आने वाले थे। उनके स्टेटस के अनुसार थोड़ा अपनी हैसियत से ज्यादा मेहमान नवाजी की तैयारी की गई। मधुलिका उनको पसंद आ गई। लड़के वालों ने दहेज लेने से भी इंकार कर दिया। बस वे शादी थोड़ा जल्दी करना चाहते थे।
नीता ने अपने मन का संशय श्रीधर जी को बताया तो वह बोले अब जमाने की सोच बदल रही है। जी शायद आप सही हों, लेकिन रिश्ता बराबरी वालों में हो तो ज्यादा अच्छा रहता है। अरे तुम परेशान मत होओ। देखना मधुलिका वहाँ राज करेगी।
एक सादे से फंक्शन में बिना दान दहेज के शादी होकर मधुलिका अपनी ससुराल पहुंँची। ससुराल में उसे सभी अच्छे लग रहे थे। लेकिन उसका पति विवेक उसे शाम से दिखाई नहीं दे रहा था। मधुलिका को उसके कमरे तक पहुंचा दिया गया। आधी रात बीत चुकी थी। लेकिन विवेक अभी तक कमरे में नहीं आया था।
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पहले इंतजार, और उसके बाद सपने आंसू के रूप में आंखों से बहने लगे। सारी रात जागकर बीत गई थी। सुबह के समय उसकी थोड़ी सी आंख लगी। उसकी सास कमरे में आई और उससे नज़रें चुराते हुए बोली वो रात विवेक दोस्तों के साथ था तो शायद…..।
चलो तुम जल्दी से तैयार होकर नीचे आ जाओ। ये लो गहने। सब पहन लेना थोड़ी देर बाद मधुलिका गहनों से लदी औरतों के बीच बैठी थी। सब उसकी तारीफ कर रहे थे। पर उसे तो यह गहने भी दम घोंटते नजर आ रहे थे।
अगले दिन विवेक घर पर आया। और शाम से ही कमरे में शराब की बोतल लेकर बैठ गया। वह इतनी पी चुका था कि उसे अपना भी होश नहीं था। मधुलिका ने उसको रोकना चाहा। तो उसने दो थप्पड़ मार कर उसे धक्का दे दिया। मधुलिका को अपना भविष्य अंधेरे में दिखाई दे रहा था।
पहले तो वह रोती रही। फिर एक दृढ निश्चय किया, कि वह इस आदमी के साथ रहकर अपना जीवन बर्बाद नहीं करेगी। उसने अपने घर पर फोन करके सारी बात बताई। उसके मम्मी पापा सब सुनकर हैरान थे। दोनों की ही आंखों में पछतावे के आंसू थे। काश उन्होंने शादी की जल्दी न की होती। पहले लड़के के बारे में अच्छी तरह पता करके अपने मन के संशय को दूर किया होता। क्यों उन्होंने अपनी बहन पर आंख मूंद कर विश्वास किया।
नीता अपने आंसू पोंछ कर बोली, सुनो जी अभी भी देर नहीं हुई है। हम अपनी बेटी को उसे नर्क में नहीं छोड़ेंगे। अभी तो हमारी बेटी सही सलामत है। अगर हमने देर की तो कहीं हम अपनी बेटी से ना हाथ धो दें।
दोनों मधुलिका को वापस ले आए। मधुलिका बहुत दुखी थी। उसके मम्मी पापा ने उसे समझा बुझाकर आगे पढ़ने के लिए मनाया। और बोले अब अपने पैरों पर खड़ी होकर ही तुम आगे कोई निर्णय लेना। हम तुम्हारे साथ हैं। मधुलिका और विवेक के तलाक के लिए कोर्ट में मुकदमा डाल दिया। श्रीधर जी ने अपनी बहन से धोखा खाकर हमेशा के लिए उनसे रिश्ता खत्म कर दिया।
नीलम शर्मा