पछतावे के आंसू – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

अभी नींद लगी भी नहीं होंगी की मोबाइल की रिंग टोन ने जगा दिया। रंजना ने उठ कर पहले लाइट जलाई देखा रात के 12:00 बजे थे। इस समय किसका कॉल है ? पर पैशा ही ऐसा है। कॉल रिसीव किया। हेल्लो मैडम एक महिला का एक्सिडेंट हो गया है। बहुत खून बह रहा है?

सीरियस केस है । आ जाइए। ओके ओके अभी आ रही हूं। कह कर फटाफट तैयार हो गई । वितिका बेटा अंदर से लोक कर लो। कोई भी आए गेट मत खोलना। ओके मम्मी। हॉस्पिटल पहुंच कर मरीज को देखा तो देखती रह गई। ऐतबार करने के लिए रिपोर्ट देखी। शबाना w/0 अतुल। ऑपरेशन करना पड़ेगा।।

। साथ में कोन है? “मेम इनका बेटा” और इनके पति। ओह ठीक है। ऑपरेशन की तैयारी करो। ऑपरेशन होते ही थियेटर से बाहर निकलते ही एक हमउम्र से व्यक्ति ने पूछा। कैसी है शबाना बच तो जाएगी क्या? रंजना की आंखे उस पर जम सी गई। फिर हा,हा कहते हुए स्टाफ रूम में आ कर धक से कुर्सी पर बैठ गई।

दिमाग में पुरानी यादें विचरण करने लगी थी। कितनी मिन्नते की थी अतुल की मम्मी ने अतुल से शादी करने के लिए। तब जाकर हा हुई थी। धूमधाम से शादी हो गई। रंजना भी बहुत खुश थी। अच्छा नामी परिवार था।धन दौलत की कमी नहीं थी। पर शायद खोखलापन ज्यादा था। नाम बड़े दर्शन छोटे। पर ना जाने  क्यों आनयास ही अतुल में परिवर्तन शुरू हो गया।

रोज की किसी ना किसी बात पर लड़ाई। पीहर वालो से बात करने पर तो पूरी तरह रोक लगा दी गई। चरित्र पर आरोप लगाने लगा। और एक दिन तो हद कर दी शबाना नाम की लड़की को लेकर सामने आ गया । उस दिन रंजना ने  एक खत उसके नाम लिखा।

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सॉरी अतुल इतने दिन अपने स्वाभिमान को मार कर मै तुम्हारे साथ तालमेल बिठाने की कोशिश करती रही। तुम्हारे मुंह से अपशब्द सुनती रही। जो तुमने कहा वो नहीं चाहकर भी किया। पर अब ऐसा लगता है वास्तव में मै तुम्हारे लायक नहीं हूं। खुश रहना।

अपनी दोनो बच्चियों को लेकर में जा रही हु। खत को अतुल के सिरहाने रख रंजना चली गई। दो चार महीने बाद तलाक ले लिया। और फिर दोनो बच्चियों का जीवन संवारने की जिम्मेदारी ने उसे आगे बढ़ने को प्रेरित किया। पापा के घर के पास ही एक छोटा सा घर लिया वही लोगो का इलाज कर सबका मन जीता।

और एक दिन नारी संघर्ष जीत ही गया और अपना हॉस्पिटल खोला और पूरी तरह कर्तव्य निष्ठा मै रम गई। इतने में स्टाफ रूम पर नोक्ड की आवाज हुई। रंजू कैसी हो? ” रंजू नहीं मिस्टर रंजना कहिए” आप बाहर जाइए जो बात करनी नर्स को कहिए।

” मै बहुत शर्मिंदा हूं” “प्लीज मुझे माफ़ कर दो” “आपकी पत्नी  खतरे से बाहर है” “आप उनकी देखभाल कीजिए” जाइए” कह कर रंजना वहां से चली जाती है। अतुल रंजना को अश्रु पुरित नजरो से देखता रहता है। सोचने लगता है” वास्तव में हीरे की कदर जोहरी जानता है।

में नालायक कदर नहीं कर पाया।आज अपने किए का हाल ही भुगत रहा हूं। “घर आई लक्ष्मी का अपमान कर आज रोड पर आ गया हूं।” पछतावे के आंसू आखों से झर झर बह चले थे। तभी नर्स अतुल को दवाइयों की स्लिप देकर दवाई लाने को कहती है। अतुल ने रुमाल से आंसू पोंछकर जेब में रुपए तलाशने लगा।

“काउंटर पर दवा मिल जाएगी डॉक्टर रंजना ने आपकी पत्नी का इलाज फ्री में करने को कहा है” नर्स ने कहा। अतुल की आंखे बार बार नम हो चली थी। अतुल भीगी पलकों को साफ करते हुए बोला। “में आपकी मैडम को धन्यवाद देना चाहता हूं” सॉरी डॉक्टर रंजना आज से 15-20 दिन को छुट्टी लेकर चली गई। अतुल शून्य सी आखों से रोड की तरफ देखने लगा।

 

दीपा माथुर

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