नृत्यमं ,यही नाम था इशिता के नृत्य क्लास का ।जिसका बड़ा सा ग्लोसाइन बोंड लगवाते हुए इशिता फूली नहीं समा रही थी।आज बरसों का सपना जो पूरा हो रहा था उसका।वो अपने सासू मां को धन्यवाद दे रही थी जिनकी बदौलत आज उसका सपना पूरा हो रहा था।कई घंटों के मेहनत से इशिता का का काम पूरा हो पाया
पसीने पसीने हो रही थी इशिता।काम निपटा कर इशिता ने पहले नहाया फिर एसी चला कर कमरे में आराम से लेट गई।आज उसके चेहरे पर मुस्कान थी और मुस्कुराते हुए इशिता अतीत में खो गई।
नाच गाना सिखोगी खबरदार , इशिता के पिता जी दयाशंकर जी की कड़कती आवाज उसके कानों में पड़ी , इशिता को सुनाकर मां को डांट रहे थे पिताजी। तुमने ही लड़कियों को बिगाड़ रखा है। खानदान की कोई इज्जत है कि नहीं।अब हमारे घर की लड़कियां नचनियां बनेंगी।कौन करेगा ऐसी लड़कियों से शादी।उसको घर के काम धाम सिखाओ, ससुराल में रहने के तौर तरीके सिखाओ ये क्या नाच गाना सीखेंगी।
आज से पच्चीस तीस साल पहले ज्यादा तर घरों में यही स्थिति थी । ज़रा ज़रा सी बात पर उनके घर की इज्जत खराब हो जाती थी ।और ये नाच गाना सीखना अच्छे घरों की लड़कियों को सीखना अच्छा नहीं मानते थे।
इशिता पांच भाई बहनों से सबसे छोटी थी । सभी भाई बहनों की शादी हो चुकी थी । इशिता की शादी में ही देर हो रही थी । इशिता को नाच गाने का बहुत शौक था ।घर में कोई भी गाना बजता वो दरवाजा बंद करके उसपर डांस किया करती थी। स्कूल के वार्षिकोत्सव पर इशिता ने किसी क्लासिकल गाने पर नृत्य किया था।
प्रथम पुरस्कार जीता था। स्कूल की सभी टीचरों ने खूब सराहना की । इशिता की सहेलियां कहने लगी बहुत सुंदर नृत्य करती है तू , इशिता तू कोई डांस क्लास ज्वाइन कर लें । क्लासिकल के साथ साथ कत्थक भी सीख ले बहुत अच्छा रहेगा। आगे तू किसी स्कूल में डांस टीचर बन सकती है या अपना कोई क्लास खोल सकती है ।
सबकी बातें सुनकर इशिता के हौसले बढ़ने लगे।उसे कत्थक भी पसंद था, लेकिन वो अपने घर के माहौल से पिता जी के सख्ती से वाकिफ थी । बिना इजाजत के लड़कियां घर से बाहर कोई कदम नहीं उठा सकती थी ।
घर में दयाशंकर जी का बड़ा रूतबा था ।उनको लड़कियों का बाहर घूमना फिरना,गाने सुनना,डांस करना ये सब बिल्कुल भी पसंद नहीं था ।वो तो चाहते थे कि बेटियों को घर का काम-धाम सिखाया जाए और अपने ससुराल जाए आखिर यही सब तो आगे काम आएगा नाच गाना नहीं। फिर भी इशिता ने बड़ी हिम्मत करके मां से कहा मां मुझे स्कूल में क्लासिकल डांस में प्रथम स्थान मिला है ।
टीचरे और मेरी सहेलियां कह रही थी की तू कोई डांस क्लास ज्वाइन कर लें और अच्छा सीख जाएगी ।तो मां पिताजी से बात करो ना मुझे सीखने दे । मां ने समझाया देखो इशिता तेरे पिता जी नहीं मानेंगे। फिर भी एक बार कोशिश करो ना मां प्लीज़, प्लीज़ ,,,,,,, अच्छा देखती हूं ।
आज बड़ी हिम्मत करके मां ने दयाशंकर जी से बात की मां भी उनके रूतबे से डरती थी ,वो इशिता नाच गाना सीखना चाहती है । क्या दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा।अब इस घर की लड़कियां गली गली नाच गाना करेगी । खबरदार जो आगे ऐसी बात करने की हिम्मत की ।दूर खड़ी इशिता सब सुन रही थी । उसके सारे अरमानों पर पानी फिर गया । फिर इशिता चोरी छिपे गाना लगा कर घर पर ही डांस किया करती थी।
दो साल बाद इशिता की शादी हो गई और वो अपने ससुराल आ गई।सब भूल गई नाच गाना । लेकिन एक बात उसके मन को कचोटता रहता था कि मुझे कुछ सीखना है कुछ करना है। फिर इशिता के शादी के दो साल बाद इशिता के देवर की शादी पड़ी तो घर पर इशिता ने नाच गाने से खूब रौनक लगाई
और लेडीज संगीत वाले दिन उसने एक बढ़िया सी नृत्य नाटिका प्रस्तुत किया वहां आई महिलाओं ने खूब तारीफ की और इशिता की सास विमला जी से बोली आपकी बहूं तो बहुत सुंदर नाच गाना जानती है क्या कभी सीखा है विमला जी बोली मुझे भी नहीं पता था मैंने तो इशिता को आज पहली बार देखा है ।
यदि कहीं क्लास में सीख जाएं तो और बढ़िया है फिर तो वो खुद ही क्लास चला सकती है । हां हां क्यों नहीं ,,, इशिता के तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई क्या मम्मी जी आप मुझे सीखने देंगी, सीखना चाहो तो सीख लो मेरी तरफ से कोई मनाही नहीं है । फिर क्या था इशिता के मन की मुराद पूरी हो गई।
दूसरे दिन से ही क्लास कहां कहां होती है पता करने लगीं और फिर सफलता मिली और उसने क्लास ज्वाइन कर लिया। सालभर के प्रशिक्षण से इशिता पारंगत हो गई कत्थक और क्लासिकल में क्यों कि वो पहले से ही काफी कुछ करती थी बस उसकी बारिकियों को सीखना था।
मम्मी जी में घर में नृत्य की क्लास लगाना चाहती हूं। इशिता ने मां से कहा घर की आमदनी भी बढ़ जाएगी और खाली समय का सदुपयोग भी और मेरा सपना भी पूरा होगा।सासू मां ने इजाजत दे दी । घर के एक छोटे से कमरे से शुरूआत हुई क्लास की । पहले पहल तो दो बच्चे आए फिर धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी। पहले एक बैंच लगता था अब दो लगाने पड़ते हैं । इशिता बहुत खुश थी वो पूरे मनोयोग से बच्चों को सिखाती थी।
और फिर वो कमरा भी छोटा पड़ने लगा । इशिता की सास विमला जी ने कहा तुम्हारी क्लास तो अच्छी चल रही है , लेकिन मम्मी कमरा छोटा पड़ रही है इशिता बोली, अच्छा ऐसा करते हैं सबसे ऊपर एक बड़ा कमरा बनवा देते हैं वहीं पर तुम अपनी क्लास चलाओ ।आप कितनी अच्छी है मम्मी जी और इशिता सांस के गले लग गई।
ऊपर हाल बनाने के लिए इशिता ने भी थोड़े पैसे दिए जो उसने क्लास से कमाए थे और हाल बनकर तैयार हो गया । उसके लिए “नृत्यम” का बड़ा सा ग्लोसाइन बोंड लगा और सासूमां से पूजा करवाईं । फाइनेंशियल भी मजबूत हो रही थी इशिता।जिस बात पर दयाशंकर जी के घर की इज्जत दांव पर लग रही थी उसी से इशिता नाम कमा रही थी ।और इशिता खुशियों के पंख लगा कर उड़ रही थी उसके मन की मुराद जो पूरी हुई थी आज ।
धन्यवाद
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
31 जुलाई
#खानदान की इज्जत