नियति की मोहर – रुचि पंत

Post Views: 5 अपने ग्राहक के दुपट्टे पर उन रंगबिरंगे फूलों के गुच्छों बीच पीले पराग की कढ़ाई करती चित्रा के घर के समीप से गुज़रती गाड़ी की तेज हॉर्न एकदम से सुन वो काँप उठी और अनायास नुकीली सुई उसके कोमल हाथों में चुभ गई। “ये रवि के आने का समय नहीं है।” अपने … Continue reading नियति की मोहर – रुचि पंत