नियति का‌ खेल – संगीता श्रीवास्तव

Post Views: 7 “आओ बैठो,” उसने गहरी  सांस लेते हुए कहा था। मैं कुर्सी खींचकर उसके सामने बैठ गया ।मैं सोचने लगा, क्या यह वही आमोद है जो मिलते ही गर्मजोशी से गले मिलता था और आज, ऐसा क्यों…..?    मैं उससे 20 साल बाद मिला था ग्रेजुएशन करने के बाद उसकी नौकरी सेंट्रल गवर्नमेंट में … Continue reading नियति का‌ खेल – संगीता श्रीवास्तव