निशानी –  अरूण कुमार अविनाश

Post Views: 55 दीवाली की सफाई हो रही थी। एक पुराने ट्रंक से कुछ चीजें बाहर निकली। उन चीज़ों में एक पुरानी HMT की चाभी वाली कलाई घड़ी थी। मैं बड़े अनुराग से उस घड़ी को इस तरह कपड़े से पोछने लगा जैसे उसे पोछ नहीं – सहला रहा होऊ। इतवार का दिन था। दुकान … Continue reading  निशानी –  अरूण कुमार अविनाश