न्यूजपेपर – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सर्द हवाओं ने सबको अपनी गिरफ्त में ले लिया है हाथ पैर नाक कमर सब मानो ठिठुरन की जकड़न में आ गए हैं।धूप भी जैसे ठंड से कोई मित्रता निभा रही है और सूरज की तपन को क्षीण करने के लिए पैतरे बदल बदल कर बुढ़ापे के शरीर को तंग करनेकी साजिश कर रही है।

नम्रता जी ने सर्दी की साजिश को नाकाम करने की तैयारी एक हफ्ते पहले शुरू कर दी थी।सारे गरम कार्डिगन,शाल, ओवरकोट,मोजे, टोपे ,स्कार्फ और पिछले साल बेटे अभि ने जो पश्मीना का शॉल भेजा था वह भी, बहू ने जयपुरी रजाईयां ऑन लाइन मंगवा दीं थीं सब निकल कर धूप दिखा दीं थी।

सुबह सुबह चारों तरफ से खुद को गर्म कपड़ों में लपेटे हुए वह बाहर बरामदे में न्यूजपेपर लेने के लिए आई थीं और तभी मौका देख कर  सर्द हवा ने उन पर वार कर दिया था।जल्दी से पेपर उठाकर उन्होंने भीतर जाकर दरवाजे बंद करदिए थे और हीटर ऑन कर लिया था।

बूढ़ा गई हो तुम कितनी ठंड लगती है तुम्हें.. मॉर्निंग वॉक से लौट कर आते पति विक्रम जी ने उन्हें रोज की तरह छेड़ा तो वह बस हल्के से मुस्कुरा उठी थीं।

मैं तो बाहर ही था पेपर ले आता तुम इतनी ठंड में क्यों बाहर निकलीं वैसे भी जब तुम्हे पेपर पढ़ने से चिढ़ है तो पेपर उठाकर लाने की उतावली क्यों रहती है.. विक्रम ने फिर से टोका।

फिर आराम से कॉफी का बड़ा सा मग हाथ में उठाकर उन्होंने न्यूजपेपर खोल कर पढ़ना शुरू कर दिया।

सेवानिवृत्ति के बाद विक्रम जी के लिए न्यूजपेपर पढ़ना मानो उनकी जिंदगी का एक अभिन्न अंग बन गया था।नम्रता जी विक्रम की पेपर के प्रति बेचैनी से भलीभांति वाकिफ थीं इसीलिए वह हमेशा विक्रम के वॉक से आने से पहले पेपर लाकर टेबल पर काफी के साथ तैयार रखतीं थीं… विक्रम का चेहरा खिल जाता था।

पर नम्रता जी कभी पेपर को खोलकर नहीं पढ़ती थीं ।पता नहीं एक चिढ़ थी उन्हें पेपर से ।एक घबराहट होने लगती थीं उन्हें न्यूजपेपर को देख कर ही जैसे हर न्यूजपेपर में उनके खिलाफ कुछ लिखा हो लेकिन रोज पेपर की न्यूज सुनने के लिए वह विक्रम को उत्सुकता से देखा करतीं थीं।

आज भी विक्रम के मुखपृष्ठ खोलते ही उनकी नजर वहीं चली गईं।

ये इतनी बड़ी फोटो किसकी छपी है… उनके पूछते ही विक्रम जी ने  फोटो के नीचे लिखे नाम को जोर से पढ़ा

पुलिस इंस्पेक्टर सोमनाथ सहाय ने शातिर चोरों को बेहद कुशलता से पकड़ शहर का नाम रोशन किया।

सोमनाथ …!! सोमनाथ नाम में ऐसा कुछ था सुनते ही उनके जेहन में मानो हलचल सी मच गई … जो उन्हें वर्षो पूर्व के एक उग्र खामोश छात्र की याद दिला गई….!!

… ये तो मार ही डालेगा मेरे बेटे को आपको पता नहीं है  इसके पिता के बारे में… आगे कुछ बताते बताते वह अभिभावक सोमनाथ का उग्र चेहरा देख चुप हो गया था।

क्लास में लड़ाई हो गई थी सोमनाथ ने अकेले ही चार लड़कों को पटक दिया था बेहद आक्रामक हो गया था वह। नम्रता जी ने उसे और बाकी लड़कों के अभिभावकों को इस घटना के संबंध में जांच पड़ताल के लिए बुलाया तो उसने सिर्फ यही कहा मेरे बाप के मारे में गंदा बोल रहे थे ..!!

दिखने में गंभीर शांत और रेगुलर छात्र सोमनाथ अचानक यूं उग्र हिंसक सा क्यों हो गया गुस्से के साथ साथ नम्रता जी शाला प्रधान होने के नाते जानने के लिए उत्सुक भी हो उठीं थीं।

सोमनाथ के घर से कोई अभिभावक  नहीं आया जैसे किसी को घर में उसकी चिंता ही नहीं थी । बाकी आए हुए अभिभावकों ने सोमनाथ की लानत मलामत करने में कोई कसर नहीं बचाई थी।सबके विरोध को अकेला सहता वह लड़का कुछ अलग सा कुछ अजीब सा ही लगा था नम्रता जी को।

किसी तरह अभिभावकों को तसल्ली देकर रवाना किया था उन्होंने।सोमनाथ को स्कूल से निकालने के प्रस्ताव से वह असहमत थीं दंड सुधारात्मक होना चाहिए उनका मानना था।

सबके जाने के बाद अकेले सोमनाथ को बुलाकर पूछताछ की थी उन्होंने तो पता लगा था चारों लड़के सोमनाथ के पिता के बारे में कुछ गलत  टिप्पणी कर रहे थे इसीलिए वह इतना उग्र हो गया था।

सोमनाथ के पिता अपराधी किस्म के व्यक्ति थे जेल की सजा भुगत रहे थे और तभी संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी हत्या कर दी गई थी।इस संवेदनशील घटना ने मासूम  सोमनाथ के दिल में अंगार भर दिए थे।उसका बालमन अपने पिता और उनके संबंध में की गई कैसी भी टिप्पणी से मर्माहत हो उठता था और ताने मारने वालों पर हिंसक हो जाता था।

समझा बुझा कर नम्रता जी ने बात आई गई कर तो दी लेकिन तब से वह सोमनाथ पर विशेष ध्यान देने लगीं थीं।

लेकिन सोमनाथ सुधरने के बजाय बिगड़ ही ज्यादा रहा था।सूत्र बता रहे थे कि अब वह कुसंगति में शराब तंबाखू का आदी हो गया था गुंडागर्दी की हरकतें स्कूल के बाहर करना उसका स्वभाव हो गया था।क्लास के अंदर भी अब वह शिक्षकों से असंयत भाषा में बात करने लगा था।

शिक्षक भी उससे डरते थे।

नम्रता जी ने नियंत्रण के लिए स्कूल में सीसीटीवी कैमरे लगवा लिए ताकि क्लास के अंदर की हरकतों की जानकारी की खबर से संज्ञान ले सकें।

दो ही दिन हुए थे कैमरे लगे कि तीसरे ही दिन जब  वह स्कूल में पहुंची कैमरे चोरी की सूचना तत्काल बच्चों ने आकर उन्हें दे दी।सकते में आ गईं थीं वह क्रोध के मारे नसें तन गईं थी उनकी।परीक्षाओं का समय था छात्रों ने नकल ना कर पाने का सबसे बड़ा कारण कैमरे को मानते हुए गायब कर दिया था उन्हें अच्छी तरह समझ आ गया था।

तत्काल पुलिस को सूचना दे दी ।पुलिस ने आते ही जांच शुरू कर दी।सीसीटीवी कैमरे में कोई फुटेज नहीं मिला बहुत ही होशियारी से पूरी घटना की गई थी।कैमरों के अलावा स्कूल के कोई भी सामान को नुकसान नहीं पहुंचाया गया था इसलिए पुलिस ने भी इसमें स्कूल के ही छात्रों की मिलीभगत बताते हुए छात्रों से पूछताछ की पेशकश की।

नहीं स्कूल के बच्चों से आप लोग कोई पूछताछ नहीं करेंगे गंभीर स्वर में मना करते हुए उन्होंने पुलिस वालो को रवाना कर दिया था

वह नहीं चाहतीं थीं स्कूल के बच्चों से पुलिस किसी तरह के सवाल जवाब करे।

किन बच्चों ने किया क्यों किया कैसे कर दिया डर नहीं लगा … सोच सोचकर नम्रता जी की नींद उड़ गई थी।अगर सिर्फ स्कूल के बच्चों ने किया है तो इतनी बड़ी अनुशासनहीनता को सहन करना उनके लिए असहनीय हो गया था।

शक की सुई सोमनाथ पर ही टिकी थी सबकी।

जांच समिति बनाई गई अलग अलग सभी बच्चों से सघन पूछताछ करने के दौरान महसूस होने लगा कि सोमनाथ ने ही किया है।लेकिन जांचसमिति उसकी अपराधिक पारिवारिक पृष्ठभूमि के मद्देनजर उससे कुछ भी पूछने से कतरा रही थी कहीं यह उग्र ना हो जाए हिंसा ना करने लगे ।समस्या गंभीर थी सोमनाथ से कैसे पूछा जाए और कौन पूछे… क्या वह स्वीकार करेगा..!!

आखिरकार नम्रता जी ने ही उसे बुलाया ।

मे आई कम इन कहता आकर सिर झुकाकर खड़ा हो गया था।

देखो सोमनाथ स्कूल में ये ट्री गार्ड किसने बनाए थे उन्होंने स्कूल परिसर में लगे हुए ईंटों से बने ट्री गार्ड की तरफ इशारा कर पूछा तो वह चौंक गया ।

जी मैंने उसने धीरे से आंख उठाकर कहा।

क्यों बनाए थे..??

जी पौधों की सुरक्षा के लिए!

जो लड़का जोड़ना जानता हो सुरक्षा करना जानता हो वह तोड़ना कैसे सीख गया नम्रता जी की बात से उसका चेहरा पीला पड़ गया था।

जानते हो ये ट्री गार्ड क्यों बनवाए जाते हैं पौधों की सुरक्षा के लिए तुम सब भी हम लोगो के लगाए पौधे हो जिनकी सुरक्षा की विकास की जिम्मेदारी हम लोगो पर है हम लोग तुम लोगों के ट्री गार्ड हैं नम्रता जी ने कहना जारी रखा।

सच बताओ तुमने ये क्यों किया अंतिम रूप से उन्होंने जोर से कहते हुए उसकी तरफ तेज दृष्टि से देखा तो वह चाह कर भी कुछ बोल नहीं पाया।

तुम्हे पुलिस को सौंप देना बेहद आसान है मेरे लिए पर उससे होगा क्या बताओ..!!

बोलो क्यों किया तुमने ये सब जोर से पूछा।

मैम गलती हो गई माफ कर दीजिए अबकी बार उसने सिर एकदम नीचे झुकाकर स्वीकार कर लिया।

तुममें असीमित क्षमता है सोमनाथ इस तरह के कार्यों में बर्बाद मत करो समझाया उन्होंने तो वह रोने लगा “मैडम सब लोग मेरे पिता का नाम ले लेकर मुझे ताना मारते हैं अच्छी राह चलने ही नहीं देते कभी कुछ अच्छा कार्य भी करता हूं तो हुंह तू क्या अच्छा करेगा जैसा बाप था वैसा ही तू रहेगा ऐसा ही बोलते रहते हैं…!

इसे चुनौती की तरह लो सोमनाथ और एक योद्धा की तरह लड़ो तुम्हे खुद को योग्य साबित करना होगा तुम पुलिस में भर्ती हो जाओ तुम एक बहुत सफल पुलिस अफसर बन सकते हो नम्रता जी ने दृढ़ता से कहा तो उसकी आंखों में एक चमक आ गई थी

जी मैम इस बार मुझे माफ कर दीजिए अब मैं सिर्फ पढ़ाई ही करूंगा।

नम्रता जी ने तत्काल सभी शिक्षकों को बुलाकर बताया और उसकी सजा तय करने को कहा।

जुर्माने के बतौर चोरी हुए सभी कैमरे लाकर यथावत लगाने का दंड निर्धारित किया गया जो सोमनाथ ने अगले दो दिनों के अंदर कर दिया था।

तीसरे दिन स्कूल में अभिभावकों की भीड़ जमा हो गई। सब जोर से मांग कर रहे थे कि सोमनाथ आपराधिक किस्म का लड़का है आज कैमरे चोरी किए है कल को डाका भी डाल सकता है मर्डर भी कर सकता है हमारे बच्चों का जीवन खतरे में है इसको स्कूल से निकाल दिया जाए।

घेराव हो गया नम्रता जी का।सबने घेर लिया और सोमनाथ को स्कूल से निकालने पर जोर देने लगे।

अंतिम गलती है उसकी अब वह सुधर गया है उसे स्कूल से निकालने से वह सही में अपराधी बन जायेगा नम्रता जी की बात कोई सुनने को तैयार नहीं था।

नम्रता जी के मना करने पर वे सभी उग्र हो गए कि आप उस लड़के की बात पर भरोसा करती हैं आप उससे  डरती हैं उसके अपराध को हवा दे रही हैं।

नम्रता जी के नहीं मानने पर सबने नम्रता जी के खिलाफ पेपरबाजी की हर न्यूजपेपर में मुखपृष्ठ पर उनके बारे में विरोधी बातें छपने लगी …वरिष्ठ अधिकारियों से उनकी शिकायत कर दी गई… अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाली भ्रष्ट महिला बताया।

 

थोड़े ही दिनों में नम्रता जी का निलंबन आदेश आ गया था।

इतना अपमान नम्रता जी सह नहीं पाई और नौकरी से ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था सेवानिवृत्ति मांग ली थी उन्होंने तभी से न्यूजपेपर उन्हें अपना दुश्मन ही लगने लगा था।

कई सालों से चुपचाप इस अपमान की आग को सीने में दबाए वह जीवन जी रहीं थीं क्या मैने सोमनाथ के बारे में गलत निर्णय लिया था क्या मुझे उस समय सबकी बात मानकर उसे स्कूल से निकाल देना चाहिए था अक्सर विचारों का चक्रव्यूह उन्हें जकड़ लेता था।

 

आज पेपर में सोमनाथ के बारे में पढ़कर जैसे वह आग शीतल हो गई थी जैसे उस दुरूह चक्रव्यूह को उन्होंने आज भेद लिया था।

मैने एक जीवन सुधार लिया मेरा निर्णय सही था सोमनाथ ने मेरी बात की लाज रखी जैसा मैने कहा था वह एक योग्य पुलिस अफसर बन गया नम्रता जी भावविव्हल होकर कह रही थीं।

तुम्हे कैसे पता ये वही सोमनाथ है या कोई और पतिदेव विक्रम उनकी बात सुनकर बोल पड़े।

हां …..ये तो मैने सोचा ही नहीं नम्रता जी ने गर्म शॉल को अच्छे से लपेटते हुए मुंह लटका लिया।

इसमें फोन नंबर दिया हुआ है विक्रम जी ने पेपर की खबर को अच्छी तरह पढ़ते हुए बताया और नंबर पढ़कर फोन लगाने लगे।

हेलो जी आप इंस्पेक्टर सोमनाथ जी बोल रहे हैं जी आपको बधाई क्या आप किसी नम्रता मैडम को जानते हैं विक्रम के कहते ही उधर से बहुत खुशी भरी तेज आवाज नम्रता जी तक को सुनाई पड़ी वो नम्रता मैडम नहीं मेरे लिए भगवान हैं मै उन्हीं की तो रोज पूजा करता हूं उन्होंने ही तो मुझ पर भरोसा जताया एक बदमाश गुंडा बनने से बचाया सारी दुनिया से लड़ गईं थीं वह  अपना इतना अपमान वह मुझे बचाने के लिए सहती गईं मै कभी भूल नहीं सकता ।उनकी बात मेरे जीवन की दिशा बन गई ।उनके जाने के बाद मैं उन्हें सही साबित करने के लिए जुट गया….. विक्रम ने मोबाइल का स्पीकर ऑन कर दिया था।

सोमनाथ की आवाज उसकी खुशी जैसे नम्रता के भीतर उतरती जा रही थी साथ ही एक अलग तरह की गर्माहट ।

आप क्यों पूछ रहे हैं ……अचानक अपनी बात रोककर उधर से पूछा था सोमनाथ ने क्या आप नम्रता मैडम के बारे में कुछ जानते हैं वह कहां हैं कैसी हैं….मुझे उनसे मिलना है उन्हें बताना है कि देखिए मैडम मैने आपकी बात पूरी की अधीर स्वर था।

लो अपनी मैडम से बात कर लो कहते विक्रम ने फोन मेरी तरफ बढ़ा दिया था।

मैडम जी….. उधर से खुशी भरा तेज स्वर आ रहा था।

नम्रता जी की आंखों में आंसू उमड़ आए थे गला भर आया था उनके शब्द गले में अटक गए थे।

सोमनाथ मुझे तुम पर गर्व है बेटा तुम मेरा सम्मान हो बड़ी मुश्किल से इतना ही कह पाईं थीं और फोन विक्रम को वापिस कर दिया था।

विक्रम फोन पर सोमनाथ को अपने घर का पता बता रहे थे और नम्रता जी स्कूल के उस छोटे से शांत से उग्र सोमनाथ को एक पुलिस इंस्पेक्टर की वर्दी में देखने के लिए विक्रम के हाथ से न्यूजपेपर लेकर आज वर्षों बाद तन्मयता से उत्साह से रुचि से पढ़ रहीं थीं….।

लेखिका : लतिका श्रीवास्तव

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