Moral Stories in Hindi : शादी बाद,पहली बार लौट कर आई थी दीपिका अपने मायके,सब उसे घेरे बैठे थे,उसके छोटे बहन भाई,मां,भाभी और उसकी बुआ जी।
कैसे हैं सब लोग?तेरी ससुराल,वहां का माहौल और हमारे जीजू?छोटी बहन राशि ने छेड़ा उसे।
सब बहुत अच्छे हैं…प्यार करते हैं मुझे…।
मुझे तो ये बता,तेरी सास कैसी है?जितना लाड़ यहां दिखा रही थीं, ऐसी ही हैं या नहीं?उसकी बुआ जी बोलीं।
उससे ज्यादा ही हैं बुआ जी,दीपिका मुस्कराते हुए बोली।
अभी ये कहना जल्दी होगा बिटिया!महीना भर निकल जाए,असलियत तब आएगी सामने।बुआ जी ने अपने दिल की बात होंठों पर ला दी,जैसे वो दीपू की सास अच्छी हैं ये बात सहन न कर पाई हों।
दीपिका थोड़ा डर गई थी उनकी बात पर,उसने अपनी मां रागिनी की तरफ देखा।
क्यों डरा रही हैं जीजी बेचारी को…अगर उसकी सास अच्छी हैं तो अच्छी ही रहेंगी,थोड़े दिन बाद बदल जाएंगी ,ये क्या बात हुई?
अनुभव से ही कह रही हूं रागिनी,भूल गई मेरी सोनू की सास को…शुरू में कैसा लाड लड़ाती थीं और बाद में क्या रंग बदला था उन्होंने।
देखो जीजी!एक तो पांचों उंगली एक समान नहीं होती,इसी तरह सबका स्वभाव अलग अलग होता है, दूसरी बात,अगर दीपू को हम अभी से डरा देंगे ,उसके मस्तिष्क में एक बुरी इमेज बैठ जायेगी सास की और उसका व्यवहार भी उनके प्रति कठोर हो जायेगा।
ये बात तो सही कह रही हो तुम…बुआ जी सिर हिलाते बोलीं।
तभी राशि बोल पड़ी,मां!ये सास को सब लोग इतना बुराभला क्यों कहते हैं,वो भी तो मां ही होती हैं,जैसे आप दीपू दीदी की मां हो वो जीजू की मां,फिर दोनो में फर्क क्या हुआ,यहां आपके साथ दीदी रहती थी वहां उनके साथ रहेगी,कितनी भाग्यशाली हैं दीपू दीदी,उनकी दो दो मां हैं।
तू भी बड़ी हो जा,तेरे को भी दूसरी मां यानि तेरी सास मिल जायेंगी,उसका भाई अप्पू उसे छेड़ता हुआ बोला।
तभी बुआ जी फिर बोल पड़ी,न लाली!सास कितनी भी अच्छी क्यों न हो,वो मां की तरह कभी नहीं हो सकती।
ऐसा क्यों?राशि ने अपनी आंखें गोल गोल घुमा के पूछा।
बहुत सारी बातें छुपी हैं इस बात के पीछे…एक तो सास को ऐसा लगता है कि बहु ने आकर उसका बेटा छीन लिया,जो बेटा अभी तक मां मां कहता नहीं थकता था ,वो अपनी पत्नी के साथ ज्यादा वक्त काटने लगा।
तो वो तो स्वाभाविक भी है न?राशि बोली।
लेकिन ये बात,सास को समझ नहीं आती एकदम से,उसकी मां हंसी।
तुम मेरी पत्नी के साथ भी ऐसा करोगी मां?छोटा अप्पू बोला।
अपनी भाभी से पूछ ले..क्या मैंने ऐसा किया कभी?रागिनी हंसी।
उसकी बहू श्वेता हंसते हुए बोली,बिलकुल नहीं किया मम्मी जी आपने ऐसा,बल्कि आपने मुझे कभी महसूस ही नहीं होने दिया कि मैं अपनी ससुराल में हूं।मुझे तो आपने मेरी मम्मी से ज्यादा प्यार दिया है।
दीपिका बोली,आपने क्या जादू किया मेरी मां पर भाभी,मुझे भी सिखा दीजिए।
प्यार,सम्मान और अपनेपन का जादू आप सबने किया है मुझपर ननद रानी, मै खुद ही उससे खुश रहती हूं।आप भी अपनी सास को खूब इज्जत देना,उनका विश्वास जीतना,फिर वो आपको अपनी बेटी की तरह रखेंगी।
लेकिन अगर ये बात इतनी ही आसान है तो लोग इतने दुखी क्यों रहते हैं मां?राशि को अभी भी ये पहेली समझ नहीं आ रही थी।उसने रागिनी से पूछा।
दरअसल बेटा!ऐसा नहीं है कि सब बहुएं ही खराब होती हैं ,तभी उनके साथ बुरा व्यवहार होता है ससुराल में,ये मानव मन बड़ा विचित्र होता है।कभी डर,कभी अधिकार की भावना,कभी वर्चस्व रखने की आदत हमें असुरक्षित बना देती है और हम आने वाली लडकी से दुर्व्यवहार करने लगते हैं।
फिर सास और मां में एक बेसिक अंतर भी होता है कहीं कहीं..रागिनी बोलीं।
वो क्या?दीपिका,राशि,उसकी भाभी बड़े गौर से सुन रही थीं उसे।
मां चाहती हैं कि उसने अपनी जिंदगी में जितनी परेशानियां झेली हैं,दुख दर्द उठाए हैं
उसकी बेटी,उसका लेशमात्र भी न झेले,वो सब कांटे,उसकी जिंदगी में फूल बन जाएं जबकि सास चाहती हैं,आखिर उसने इतने बुरे समय देखे हैं,सबकी कड़वी बातें सुनी,दुख देखे तो ये बहु ही कौन लॉट साहब है जो बिल्कुल अछूती रह जाएंगी इन सबसे,इसे भी तो एहसास होना चाहिए,इस सबका।
रागिनी की इस बात से तो बुआ जी भी इत्तेफाक रखती थीं।बात तो बड़े पते की कही रागिनी तुमने।
तो इसका इलाज भी है कोई या नहीं?राशि डरते हुए बोली।
है ना..रागिनी ने कहा,सबको सोचना चाहिए,जैसे हमारी बेटी है ,वैसे ही बहु है,वो भी तो किसी की बेटी होती है,बहन होती है,हमें उसे उतना ही खुश रखना चाहिए जितना हम अपनी बेटी को रखना चाहते है।
और ठीक वैसे ही,हर लड़की को सोचना है कि वो अपनी सास को अपनी मां समान समझे,वैसे ही प्यार और भावनाएं रखे जैसे अपनी मां की फिक्र करती है।
इसका मतलब सब नज़र का फेर है!राशि बोली,हैं तो सास भी मां ही और बहु भी बेटी जैसे…
और नहीं तो क्या बुद्धु!रागिनी हंसी।
मां!आपकी बातें सुनकर मेरा दिल बेचैन हो उठा है,मेरी शादी कब होगी?राशि बोली।
फिलहाल जाकर दीपू जीजी के लिए चाय बना कर ला,बेचारी कब से आई है और तुम सब सास मां,बहु बेटी पुराण लिए बैठे हो।बुआ जी ने कहा और सब हंस पड़े।
डॉ संगीता अग्रवाल
#ममता