“नज़ाकत रिश्तों की” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“कान खोल कर सुन लो तुम दोनों! नीमा और दामाद जी राखी पर आ रहे हैं कोई कमी ना होनी चाहिए!और बहू जी तुम? तुम तो अपनी कंजूसी अपने घरवालों के लिए ही बचा के रखना !मेरी बेटी की आवभगत खूब अच्छी तरह होनी चाहिए बस!”

मयंक तुम आज ही जाके बैंक से पैसे निकाल लाना!

सुधा जी अपने बेटे मयंक और बहू मीता से कड़क कर बोली!

सुनते ही मीता का मुँह उतर गया!उसने मयंक की तरफ देखा!अभी रात को ही तो उसने राखी पर मयंक के साथ मायके जाने का प्रोग्राम बनाया था!सुबह वे सुधा जी से बात करने वाले थे कि सुधा जी ने फरमान जारी कर दिया!

मीता और मयंक का ब्याह अभी कुछ ही महीनों पहले हुआ था!ब्याह के बाद उसकी पहली राखी थी!बड़े चाव से उसने भाई भाभी और नन्हीं भतीजी के लिए तोहफ़े लाकर रखे थे!

सुधा जी ने एक झटके में ही मीता की खुशियों को आग लगा दी!बेचारी रूआंसी होकर गई! 

मयंक ने सुधा जी से धीरे से कहना चाहा नीमा दीदी तो हर राखी और भाई दूज पर आती ही हैं,इस बार मीता की पहली राखी है!

मयंक की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि सुधा जी बिफर कर बोली”अच्छा तो ब्याह होते ही बहन का मायके आना अखरने लगा तुझे?अरे वह तो हर साल आती है जब तक मैं जिन्दा हूं आती रहेगी किसी को अच्छा लगे या बुरा!और मीता कोरियर से अपने भाई को राखी भेज दे!”

सुधा जी को बेटी दामाद के आगे कुछ भी दिखाई नहीं देता था!

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मयंक अच्छा कमाता था!बहन की शादी में सुधा जी ने खूब दिल खोलकर खर्च किया!

ब्याह के बाद वे हर छोटे बड़े तीज त्यौहार पर नीमा को बुलाकर उसे सामान और पैसा रूपया दिया करती!

नीमा का पति पियूष अपनी सास के लेन-देन से बहुत खुश रहता!

मयंक को कभी कभी मां का पियूष के लिए अनाप-शनाप खर्च अखरता था पर सुधा जी के क्लेश के कारण वह विवश था!

अब जब मयंक की ज़िन्दगी में मीता आ गई थी तो उसे लगता कि वह अपने बारे में भी सोचे ,वह भी ठाठ-बाट से रहे!

मयंक ने अपनी कंपनी से लोन लेकर बड़ी कार खरीदी थी!वह नीमा और पियूष को लेने स्टेशन गया तो उसकी नई कार देख कर पियूष के मन में भी लालच का सर्प सर उठाने लगा!

राखी का त्योहार निपट गया तो पियूष ने कार के लिए बानगी बनानी शुरू की!

उसने सुधा जी को कहा कि शादी में मिली कार तो छोटी थी भला आपका दामाद उस माचिस की डिबिया में चलता अच्छा लगेगा क्या?लोग क्या कहेंगे?

सुधा जी दामाद की फरमाइश सुनकर हक्की बक्की रह गई उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था दामाद महंगी कार की मांग कर बैठेगा!

पियूष ने सोचा था बेटी के मोह में विवश सुधा जी मान जाऐंगी!

सुधा जी की आंखें खुल गई कि उनके बेवजह के पैसे लुटाने की वजह से ही पियूष की यह हिम्मत हुई है! पियूष को शायद यह गलत फहमी हो गई कि उनके पास बहुत पैसा है!

उन्होंने बात टाल दी!

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पियूष को सपने में भी यह गुमान नहीं था कि सासू मां उसका कहना टाल देंगी!

बस इसी वजह से पियूष और मयंक के रिश्तों में दरार आ गई।पियूष नीमा के मायके आने जाने पर भी क्लेश करने लगा!

उसने नीमा को यहां तक कह दिया कार लेकर आओ तो आना वर्ना वहीं रहना अपनी मां और भाई के पास!” 

जो लड़की हर राखी-दूज पर मायके बुलाई जाती वही आज मायके जाने को तरस गई! 

मयंक ने की बार पियूष से बात कर उसे समझाने की कोशिश की पर पियूष की आंखों पर तो लालच की ऐसी पट्टी बंधी थी कि उसे कुछ और नजर ही नहीं आ रहा था!

तभी एक दिन पियूष के मामा मामी अमरीका से आए! नीमा उनका बहुत ख्याल रखती थी वे भी उसे बहुत पसंद करते थे!नीमा का मुरझाया चेहरा देखकर वो समझ गए कि कोई बात जरूर है!पियूष के ऑफिस जाने के बाद उन्होंने नीमा से उसकी उदासी की वजह पूछी तो नीमा ने रो रोकर उन्हें पियूष के लालच के बारे में बताया!

बचपन में ही मां-बाप के गुजर जाने के बाद मामा मामी ने ही उसकी परवरिश की थी!वह उनकी बहुत इज्ज़त करता था!अब वे अपने बेटे के साथ अमरीका ही बस गए थे!

रात को मामा मामी ने पियूष को बुलाकर समझाया कि वह ससुराल के पैसों का मोह छोड़कर अपनी मेहनत के बल पर अपने ठाठ-बाट बनाए! ऐसा कोई काम न करे जिससे उनकी परवरिश पर उंगली उठे!उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहे तो वे उसे पैसा देंगे

पर ससुराल से पैसा या सामान की इच्छा कर अपनी पत्नि को दुखी करना कहां का न्याय है!भारत में नीमा के परिवार के अलावा उसका और कोई नहीं है अगर उनसे भी रिश्ता तोड़ लेगा तो अकेला पड़ जाऐगा!तब उसके दुख सुख में खड़ा होने वाला कोई नहीं होगा!

वह रिश्तों की नज़ाकत को समझे वर्ना बहुत पछताऐगा! 

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पियूष को उनकी बात समझ आ गई ! उसने नीमा से माफी मांगी!सुबह होते ही नीमा ने सुधा जी को फोन कर कहा कि वह और पियूष मामा मामी के साथ खाने पर उनके पास आ रहे हैं!

नीमा की चहकती आवाज सुनकर सुधा जी और मयंक के दिल से बड़ा बोझ उतर गया यह सोचकर कि उनका रिश्ता टूटने से बच गया!

कुमुद मोहन 

स्वरचित-मौलिक 

#रिश्तों में बढ़ती दूरियां

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