प्रियंका ने आवाज देते हुए एक रिक्शा वाले से कहा मलका गंज के स्कूल चलोगे ,, रिक्शे वाले ड्राइवर ने जल्दी से कहा ,, जरूर चलूंगा बेटी
मगर आज किराया 10 रूपये ज्यादा लूंगा पहले 20 रुपए लगते थे अब हमने पुराना रेट खत्म कर दिया है पुराना साल जा रहा है इसलिए आज से हम सब रिक्शे वाले कैंप की लाल बत्ती से मलका गंज तक के प्रत्येक सवारी से 30 रूपए ही ले रहे हैं । हमारे परिवार के बहुत से खर्चे हैं हमारी भी मजबूरी है इसलिए हमें किराया बढ़ाना पड़ा ,,इसमें हम क्या कर सकते हैं । मुझे माफ करना बेटी ,,
प्रियंका की जेब में केवल 40 रुपए ही थे जो उसकी मम्मी ने उसे सुबह स्कूल जाने और आने का किराया दिया था
लेकिन प्रियंका स्कूल के लिए लेट ना हो जाए इसलिए उसने कहा ठीक है
मैं आपको 30 रूपए दे दूंगी आप स्कूल जल्दी चलिए
प्रियंका रिक्शा में बैठ गई और रिक्शे वाला अपना रिक्शा लेकर चल पड़ा
प्रियंका रिक्शा में बैठे-बैठे सोचने लगी मम्मी ने मुझे 40 रूपए दिए थे
30 रूपए रिक्शा वाले भैया को देने के बाद मेरे पास केवल 10 रूपए ही शेष बचेंगे ,,
और शेष बचे हुए 10 रूपए से मैं अपने स्कूल से घर वापस कैसे लौटूगी
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20 मिनट रिक्शा चलने के बाद रिक्शा वाले ने कहा ,, लो बेटी मलका गंज का बस स्टैंड आ गया है
प्रियंका ने रिक्शा के ड्राइवर को 20 का नोट और एक 10 का नोट पकड़ाकर ,,,, स्कूल के मेंन गेट की तरफ चल पड़ी
प्रियंका का मन थोड़ा उदास था ,, उसने भगवान से प्रार्थना की मुझे
20 रूपए कहीं स्कूल में पड़े हुए मिल जाए तो मैं दोपहर को स्कूल से छुट्टी होने के बाद अपने घर पहुंच सकती हूं
प्रार्थना की लाइन में लगने के बाद कुछ देर प्रार्थना हुई फिर राष्ट्रीय गान हुआ ,, फिर सभी लड़कियां अपनी-अपनी क्लास रूम में जाने लगी
प्रियंका भी अपना सर झुकाए धीरे-धीरे क्लास रूम में पहुंची उसे वहां पर एक चमकती हुई चीज नजर आई उसने उठाया उसे गौर से देखा ,, उसने आश्चर्य चकित होते हुए अपने आप से कहा ,,यह तो एक कान की वाली है ,, और यह कान की वाली पीले रंग की है शायद सोने की होगी
बाजार में इसकी कीमत बहुत होगी , भगवान ने मेरी सुन ली ,,
मलका गंज के बस स्टॉप के सामने ही एक सुनार की दुकान है स्कूल से छुट्टी होने के बाद मैं इस सोने की,, वाली,, को उस दुकान पर बेच दूंगी
अगर यह कान की वाली बेंचने पर,, मुझे ,,दो हजार रुपए मिल जाएं
तो सबसे पहले मैं एक साइकिल खरीदूंगी ,, और फिर मैं उसी साइकिल से स्कूल आया और जाया करूंगी ,,
प्रियंका ने वह कान की ,,वाली ,, अपने बस्ते में छिपा कर रख ली
तभी गणित की मैडम क्लास रूम में पहुंची सभी छात्राएं खड़ी हो गई और कहने लगी गुड मॉर्निंग मैम ,,
गणित की मैडम ने छात्राओं को बैठने के लिए कहा ,,
तभी मैडम ने देखा एक लड़की की आंखें धीरे-धीरे बंद हो रही थी
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मैडम ने जोर से चिल्लाते हुए कहा ,, जोया ,,खड़ी हो जाओ क्या तुम रात को जल्दी नहीं सोती हो तब जोया ने बताया ,, मैडम जी कल हमारे घर कुछ मेहमान आए थे उनकी खातिरदारी में काफी रात हो चुकी थी इसलिए मेरी नींद पूरी नहीं हो सकी ,, हमारे घर में केवल एक ही कमरा है हम उसी में सोते हैं और उसी में पढ़ते हैं मेहमान भी उसी में आकर ठहरते हैं ,,
जोया की बात सुनकर मैडम ने कहा ठीक है बैठ जाओ और गणित की किताब निकालो,,
सब छात्राओं ने अपनी-अपनी गणित की किताब निकाल ली
तब मैडम ने चार लड़कियों की तरफ देखते हुए कहा ,, साक्षी,,साकिना
दिव्या और पलक ,, तुम चारों खड़ी हो जाओ ,, गणित में तुम बहुत कमजोर हो ,, उस लड़की की तरफ देखो जिसका नाम,, देविका ,,है
खेलकूद में आगे ,,पढ़ने में आगे,,और बोलने में भी आगे,है,, गणित का हर सवाल इसे आता है ,, और उस लड़की की तरफ देखो जिसका नाम प्रियंका है ,, इसकी हेड राइटिंग अच्छी है ,, क्लास में बहुत सी लड़कियों की हैंड राइटिंग भी अच्छी है ,,
तभी क्लास रूम के भीतर सफाई कर्मचारी आते हुए बोला,,मैडम जी
हमने स्कूल के सारे डस्टबिन को अच्छी तरह छान लिया लेकिन आपकी सोने की ,,वाली ,, कहीं ना मिली
तब मैडम जी बोलने लगी ,, पूरे सात हजार रुपए की सोने की बाली मेरे पति ने मुझे बनवा कर दी थी ,, प्रार्थना से पहले मैं क्लास रूम में आई थी ,, उसके बाद से ही मेरी सोने की बाली गायब है ना जाने कहां गिर गई
मैडम ने सभी लड़कियों से पूछा अगर आप लोगों को कोई सोने की चीज मिली हो तो,, मुझे दे दो
प्रियंका ने अपने बैंग की चेन खोली तो उसे,, सोने की वाली ,,नजर आई
प्रियंका के मन में कई तरह के सवाल उठने लगे ,, लोग कहते हैं जिसे जो चीज पा जाती है वह चीज उसकी ही हो जाती है यह कान की वाली मुझे मिली है यह अब मेरी हो चुकी है ,, तब प्रियंका को याद आया उसके मम्मी पापा हमेशा उसे बताया करते थे बेटी हमेशा जीवन में ईमानदार रहना चाहिए ,, दूसरे का धन और दूसरे के समान पर हमें अपनी नियत खराब नहीं करनी चाहिए ,, हमें अपनी मेहनत करके हर चीज हासिल करनी चाहिए ,,
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स्कूल जाने का यही मतलब होता है कि हम वहां पर पढ़ाई करें और पढ़ाई करके बड़े होकर एक काबिल इंसान बने अपने माता-पिता समाज और देश का नाम रोशन करें ,,
प्रियंका ने झट बैंग से वह कान की वाली निकाली और उसे मुट्ठी में पकड़ लिया और मैडम जी के पास पहुंची यह कहते हुए ,,
मैडम जी जब मैं प्रार्थना करने के बाद क्लास में पहुंची तो मुझे यह वाली मिली और मैंने इसे अपने बैंग में रख लिया था
लेकिन जब मुझे पता चला यह आपके कानों की बाली है और आप इस वाली के लिए काफी परेशान भी थी ,, हम बच्चे स्कूल में पढ़ने आते हैं एक अच्छे नागरिक बन सके ,, और हमें एक अच्छा नागरिक बनाने के लिए आप जैसी टीचर स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए कितनी मेहनत करती है,,
एक पल के लिए तो मुझे ऐसे लगा यह सोने की बाली अब मेरी हो चुकी है लेकिन मेरे हृदय ने मुझे झंझोड़ा ,, मेरा दिल मुझसे कहने लगा
हमेशा ईमानदार बने रहना चाहिए,, थोड़ी देर के लिए मेरे हृदय में पाप आ गया था ,, लेकिन अब मैं बहुत खुश हूं और मुझे बहुत खुशी मिल रही है ,,
मैडम जी ने प्रियंका से ,,सोने की वाली ,,ले ली और मुस्कुराते हुए कहा
मेरी सोने की बाली अगर नहीं मिलती तो मैं दूसरी वाली भी बनवा सकती थी,,
लेकिन,, तुम अगर आज,,, यह सोने की वाली ना लौटाती तो
यह लालच तुम्हें एक दिन बहुत दुख देती ,, और तुम उस दुख से कभी भी निकल नहीं पाती ,, सही समय पर तुम्हारा ह्रदय परिवर्तन हुआ है
यह कोई मामूली सी बात नहीं है ,, इस उम्र में सभी के साथ ऐसे ही होता है ,, लेकिन इस उम्र में हमें ही यह तय करना होता है क्या अच्छा है और क्या गलत ,, तुमने सही निर्णय लिया और ईमानदारी का साथ दिया इसलिए क्लास की सभी छात्राएं तुम्हारे लिए जोरदार तालियां बजाऐंगी
स्कूल की सभी छात्राओं ने जोरदार तालियां बजाई ,, सारे स्कूल में खबर फैल गई गणित की मैडम जी की सोने की बालियां मिल चुकी है आठवीं क्लास की पढ़ने वाली छात्रा जिसका नाम प्रियंका है वह ,,बाली ,, उसे ही सुबह क्लास रूम में मिली थी
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जो उसने गणित की मैडम जी को वापस लौटा दी है,,
दोपहर हो चुकी थी स्कूल की छुट्टी होते ही सभी छात्राएं अपने-अपने घर की तरफ चल पड़ी ,,
प्रियंका की जेब में केवल 10 का नोट शेष बचा था लेकिन रिक्शा वाले को 30 रुपए देने होंगे
उसने पैदल ही चलने का निर्णय ले लिया ,,
कुछ दूर पैदल चलने के बाद ,, रास्ते में प्रियंका को गणित की मैडम दिखाई दी ,, मैडम ने प्रियंका को तुरंत पहचान लिया और पूछा
तुम तो हमेशा रिक्शे में जाया करती थी आज पैदल क्यों जा रही हो
तब प्रियंका ने सुबह रिक्शा वाले से हुई बातचीत की सारी घटना बता दी
गणित की मैडम ने तुरंत एक रिक्शा वाले को आवाज देकर उसका रिक्शा रुकवाया प्रियंका को रिक्शा पर बैठा दिया और रिक्शा वाले के हाथ में 30 रूपए थामते हुए बोली ,, यह अपना किराया ले लीजिए
वही सामने ही एक साइकिल की दुकान थी गणित की मैडम ने प्रियंका से पूछा क्या तुम्हें साइकिल चलानी आती है ,, प्रियंका ने बताया साइकिल तो मैं चला लेती हूं मगर मेरे पापा जी मुझे साइकिल दिलवाने में असमर्थ है ,, वह मोहल्ले के एक चौकीदार है ,, उनकी सैलरी भी बहुत कम है और हमारा मकान भी किराए का है ,,
गणित की मैडम ने ,, प्रियंका को रिक्शा से उतार दिया और साइकिल की दुकान की तरफ ,, उसे लेकर चल पड़ी
साइकिल की दुकान पर पहुंचने के बाद ,,
एक नई साइकिल खरीद कर प्रियंका को पकड़ाते हुए कहा आज से तुम इस साइकिल से स्कूल आना जाना करोगी आज तुम्हारी ईमानदारी का
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यह तोहफा साइकिल के रूप में मिल रहा है और वैसे भी नया साल शुरू होने वाला है अपनी गणित की टीचर की तरफ से नये साल का इसे गिफ्ट समझो ,,
प्रियंका तुरंत साइकिल में सवार हो गई और गणित की मैडम को नमस्ते कह कर घर की तरफ चल पड़ी
प्रियंका साइकिल चलाते समय बार-बार यही सोच रही थी ,, जिस साइकिल को मैं दो बर्षो से अपने पापा जी से कह रही थी
आज वही साइकिल मेरी ईमानदारी की वजह से मुझे मिली है ,,
लेखक नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना